5 अगस्त, 1942 को आस-पास के गांव के लोग खुमाड़ (सल्ट) जिला- अल्मोड़ा में एकत्रित होकर स्वाधीनता संग्राम हेतु सत्याग्रह कर रहे थे। तत्कालीन एस०डी०एम० जानसन के प्रतिनिधित्व में पुलिस और पटवारियों का जत्था इन्हें रोकने के लिये वहां पर आया , जानसन ने लोगों को धमकाया और स्वाधीनता सेनानियों के बारे में जानकारी न दिये जाने पर गांव में आग लगा देने की धमकी देते हुये हवाई फायर करने लगा। इसी बीच भीड़ से नैनमणि उर्फ नैनुवां ने जानसन के हाथ से पिस्तौल छीन ली और उसे मारने हेतु लाटी उठाने लगा तो पुलिस कर्मियों ने उसे पकड़ लिया। इससे भड़ककर जानसन ने गोली चलाने का हुक्म दिया। लेकिन स्थानीय होने के नाते पुलिस कर्मियों ने भीड़ को निशाना न बनाकर इधर-उधर गोलियां चलाई, जिसपर जानसन ने स्वयं ही निशाना साधकर गोली चलाना शुरु कर दिया। इस गोलीकांड में दो सगे भाई गंगाराम और खीमानंद वहीं पर शहीद हो गये और चूड़ामणि और बहादुर सिंह मेहरा गंभीर रुप से घायल हो गये, जिनकी चार दिन बाद मृत्यु हो गई। इसके अलावा गंगादत्त शाष्त्री, मधूसूदन, गोपाल सिंह, बचेसिंह व नारायण सिंह भी घायल हो गये।
स्वाधीनता संग्राम में सल्ट की अद्वितीय भूमिका रही और इसकी सराहना करते हुये महात्मा गांधी जी ने इसे कुमाऊँ* की बारदोली की पदवी से विभूषित किया था। आज भी खुमाड़ में हर साल ५ सितंबर को शहीद स्मृति दिवस मनाया जाता है।
* कुमाऊँ का अभिप्राय टिहरी रियासत को छोड़ सम्पूर्ण उत्तराखण्ड से था।