आन्दोलनकारियों का सम्मान , यह बात मेरी समझ से परे है , क्यूंकि जिस तरह से सरकारें अपना शासन चला रही है उससे तो एक बात साफ़ होती है की जनता को फिर एक आन्दोलन के लिए तैयार होना पड़ेगा ! हालात आज भी वैसे ही है जैसे उत्तराखंड राज्य बनाने से पहले थे, बल्कि और ज्यादा खतरनाक हो गए हैं , एक अलग राज्य बनाने से पहाड़ के दलाल , माफिया ,..इत्यादि अब या तो सरकार मे हैं या उन सबको सरकारी संरक्षण प्राप्त है! हालात इसलिए भी वैसे है जैसे राज्य बनाने के पहले थे , क्यूंकि सरकारों की सोच मे कोई बदलाव नहीं आया है , पहले यही सरकार आन्दोलनकारियों को अलगाववादी मानती थी ,आज ये सरकार , अपनी जल ,जंगल ,जमीन के हकों की बात करने वाले आन्दोलनकारियों को माओवादी कहती है ! इसलिए मेरी समझ मे ये नहीं आ रहा है की सरकार किन लोगों का सम्मान कर रही है , और कैसा सम्मान कर रही है !