Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन

Honour Of State Movement Heroes - उत्तराखण्ड आन्दोलन के आन्दोलनकारियों का सम्मान

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पंकज सिंह महर:
jagran news Jul 03, 12:45 am

सोमेश्वर (अल्मोड़ा): उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी संघर्ष समिति की बैठक में राज्य गठन के नौ वर्ष बीतने पर भी असली राज्य आंदोलनकारियों की पहचान नहीं होने, उन्हे अनुमन्य सुविधाएं नहीं दिए जाने तथा राज्य की स्थाई राजधानी के मुद्दे को लटकाए रखने के लिए राज्य सरकारों की कड़ी भ‌र्त्सना की गई।

आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य प्राप्ति के लिए जिन लोगों ने यातनाएं सहीं तथा जेल गए उनकी सुध नौ वर्षो तक नहीं लिया जाना देवभूमि में सत्ता सुख भोग रहे राजनैतिक दलों की कुर्सी के पीछे राजनीति का परिचायक है। यदि शीघ्र आंदोलनकारियों का सही चिह्नीकरण कर उन्हे सुविधाएं मुहैया नहीं की जाएंगी तो उन्हे पुन: अपने अधिकारों के लिए आंदोलन की राह पकड़ने को विवश होना पड़ेगा।

बैठक में सदस्यों ने राज्य की स्थाई राजधानी के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने का आरोप लगाते हुए राज्य में अब तक बनी सरकारों की कड़ी निंदा की।

Mohan Bisht -Thet Pahadi/मोहन बिष्ट-ठेठ पहाडी:

bhai aandolan kariyo ki to list hi gayeb hai sakaar ke pass hai ho maharaz...

baki....abhi to bade bade waade gayeb hai ...

maire hisab se to phir se ek naye andolan ko janam dena chahiye jo rajdhani ke masle ko hal kar sake.. aur sabhi ko meel kar is awaz ko buland karni hogi.. jandi ki power kya hai use sakaar ko batana hoga...

kya kahate hai aap log... chup bekar sayed kuch na ho...


kyon uttarakhand mai abhi tak jisne bhi raj kiya o sirf national partyo ne kiya aur aur aage bhi yehi hone waala hai kshaitriy party ka to haal bura hai.. aur aage bhi bura hi rahega...

so is masle per ab janta ko hi sochna hoga...

hito gairsain ... paidal..

पंकज सिंह महर:
130 आंदोलनकारियों की ही जांच मिली  देहरादून: राज्य स्थापना को भले ही लंबा वक्त बीत गया हो लेकिन उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का मुद्दा अभी भी सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। आंदोलनकारियों से संबंधित विभिन्न प्रार्थना पत्रों में से केवल 130 की ही जांच आख्या पुलिस से प्रशासन को मिली है। जबकि, बाकी के लिए भी जल्द जांच आख्या देने को कहा गया है। आंदोलनकारियों के चिह्निकरण के संबंध में चल रही प्रक्रिया के बारे में एसडीएम सदर मनोज कुमार हाल ही में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि आंदोलनकारियों से संबंधित विभिन्न लोगों से 2400 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए थे। जबकि, जिलाधिकारी कार्यालय से 2476 प्रकरण प्राप्त हुए थे। इस प्रकार कुल 4876 प्रार्थना पत्र जांच के लिए पुलिस के पास भेजे गए थे। लेकिन, इनमें से केवल 130 की ही जांच आख्या पुलिस से अभी तक प्राप्त हुई है। अभी 4746 प्रकरण बचे हुए हैं। बचे हुए प्रकरणों पर भी शीघ्र जांच आख्या देने का अनुरोध एसएसपी से किया गया है।

जब पूरा प्रदेश आन्दोलनरत था, बच्चे, बूढे और जवान सभी कर्मचारी हड़ताल पर रहकर आन्दोलन कर रहे थे तो कैसे चिन्हीकरण हो रहा है, समझ में नहीं आता। और जो सक्रिय आन्दोलनकारी थे, उनका चिन्हीकरण अभी तक न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरी निजी जानकारी है कि अभी तक कई विधायक और पूर्व विधायक ऐसे हैं, जिनका नाम इस सूची में नहीं है, जब कि वे इस आन्दोलन के अगुवा थे, शासन की यह कार्य प्रणाली भी तो हास्यास्पद ही कही जा सकती है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

I don't agree with the figure. How can be only 130 State Struggle Agitators ?

When the struggle was in full swing, whole Uttarakhand was there. This figure should be almost 10,000.

There are many Agitators who do not have proof of to have particiapted in the Struggle.



--- Quote from: पंकज सिंह महर on October 05, 2009, 05:19:23 PM ---130 आंदोलनकारियों की ही जांच मिली  देहरादून: राज्य स्थापना को भले ही लंबा वक्त बीत गया हो लेकिन उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का मुद्दा अभी भी सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। आंदोलनकारियों से संबंधित विभिन्न प्रार्थना पत्रों में से केवल 130 की ही जांच आख्या पुलिस से प्रशासन को मिली है। जबकि, बाकी के लिए भी जल्द जांच आख्या देने को कहा गया है। आंदोलनकारियों के चिह्निकरण के संबंध में चल रही प्रक्रिया के बारे में एसडीएम सदर मनोज कुमार हाल ही में जिलाधिकारी को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि आंदोलनकारियों से संबंधित विभिन्न लोगों से 2400 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए थे। जबकि, जिलाधिकारी कार्यालय से 2476 प्रकरण प्राप्त हुए थे। इस प्रकार कुल 4876 प्रार्थना पत्र जांच के लिए पुलिस के पास भेजे गए थे। लेकिन, इनमें से केवल 130 की ही जांच आख्या पुलिस से अभी तक प्राप्त हुई है। अभी 4746 प्रकरण बचे हुए हैं। बचे हुए प्रकरणों पर भी शीघ्र जांच आख्या देने का अनुरोध एसएसपी से किया गया है।

जब पूरा प्रदेश आन्दोलनरत था, बच्चे, बूढे और जवान सभी कर्मचारी हड़ताल पर रहकर आन्दोलन कर रहे थे तो कैसे चिन्हीकरण हो रहा है, समझ में नहीं आता। और जो सक्रिय आन्दोलनकारी थे, उनका चिन्हीकरण अभी तक न हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरी निजी जानकारी है कि अभी तक कई विधायक और पूर्व विधायक ऐसे हैं, जिनका नाम इस सूची में नहीं है, जब कि वे इस आन्दोलन के अगुवा थे, शासन की यह कार्य प्रणाली भी तो हास्यास्पद ही कही जा सकती है।

--- End quote ---

पंकज सिंह महर:
                    Uttarakhand chief minister Ramesh Pokhariyal Nishank today announced 10% reservation in government jobs for Uttarakhand statehood agitationists.
After unfurling the national flag at the historic parade ground here on the occasion of Independence Day, he also said a pension of Rs10,000 per month will given to the activists who became disabled during the statehood movement of 1990s.
Besides, the chief minister announced that Siddowala Polytechnic will be converted to the first technology college for women in the state. He said a women's university will be set up in the hill state.
On the occasion of Independence Day, Nishank honoured 37 officials and employees for successful conduct of the Mahakumbh Mela in Haridwar earlier this year.

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