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Fast by Uttarakhandi Social Workers-उत्तराखंड के समाजसेवियों का अनशन

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
Dosto,
 
We are sharing here information about Hunger Strike done by various uttarakhandi Social workers for social cause. There have been many people from Devbhoomi Uttarakhand who sacrified their lives for public cause.
 
One such name is Sri Dev Suman .
 
देवभूमि के नाम से विख्यात इस राज्य में कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गांधीवादी रास्ता अख्तियार किया है और सत्याग्रह के बीच ही परलोक सिधार गए हैं। साथ ही उनकी मांगें भी नहीं मानी गईं। इन लोगों ने महात्मा गांधी से प्रेरणा ली और वे अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे, जिसमें सबसे लंबा अनशन 84 दिन तक चला। स्वर्गीय श्रीदेव सुमन ने लोकतंत्र की मांग को लेकर टिहरी राजपरिवार के खिलाफ 1940 में अनशन किया और जेल में उनका अनशन सर्वाधिक दिनों तक चला। 84 दिन के लंबे अनशन के बाद उनकी मौत हो गई।

M  S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
Baba Mohan Uttarakhandi
 
वर्ष 2004 में सामाजिक कार्यकर्ता बाबा उत्तराखंडी ने देहरादून की जगह गैरसैण को उत्तराखंड राजधानी बनाए जाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल की।  उनके अनशन के 42 दिन उनकी मृत्यु हो गई।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


SUNDER LAL BAHUNGA

 
चिपको आंदोलन के नेता और पर्यावरण कार्यकर्ता सुंदरलाल बहुगुणा भी 1990 में 2400 मेगावॉट की टिहरी पनबिजली परियोजना की स्थापना के खिलाफ 74 दिन लंबा अनशन किया। बहरहाल, उन्होंने प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद अनशन खत्म कर दिया। लेकिन सरकार ने बाद में इस परियोजना को जारी रखा। कुछ साल बाद बहुगुणा को पद्म विभूषण सम्मान दिया गया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
Diwakar Bhatt
 
1990 में राज्य के राजस्व मंत्री व सामाजिक कार्यकर्ता दिवाकर भट्ट ने टिहरी जिले के खेत पर्वत इलाके में 20 दिन लंबा अनशन किया था। उनकी मांग उत्तराखंड को अलग राज्य बनाए जाने की थी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
सामाजिक कार्यकर्ता जीडी अग्रवाल (2008) 
आईआईटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ता जीडी अग्रवाल ने अनिश्चितकालीन अनशन किया, जिसके बाद राज्य सरकार को दो बड़ी पनबिजली परियोजनाएं 2008 में स्थगित करनी पड़ीं। 2 साल बाद केंद्र सरकार ने न सिर्फ दोनों परियोजनाओं को बंद कर दिया, बल्कि अग्रवाल के दबाव में एनटीपीसी की 600 मेगावॉट क्षमता वाली लोहारीनाग पाला परियोजना को रोक दिया।

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