Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन

Justice for Muzzaffarnagar Case, State Struggle-न्याय की मांग- मुज्ज़फ्फर नगर

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Pardeep Rawat द्वि अक्तूबरे की नि बिसरेंदी वा कई रात
 मुज़फर नगर मा दुश्मनू की लगे छे घात
 
 रुकिन बस होण बैठी हल्ला
 क्या व्हे होलू भै बंधू देख्योला चला
 दना दान चलणी वुख गोई
 आहिंसा का पुज्यरा जन्म दिन मा यू क्या होई
 नासूर बा णी की चुब्दू यू अघात
 द्वि अक्तूबरे की नि बिसरेंदी वा कई रात
 
 भाई बंधू पर भी पोड़ी लाठा डंडो की मार
 माँ बैणयूं पर टूटी धख बिपदो कू पहाड़
 कैन या साजिश रची कैन यू कर्म कई
 गंगा जी का मैतते कैन अपवित्र बणायी
 नि कै हे गंगा माँ तू वे पापी ते माफ़
 द्वि अक्तूबरे की नि बिसरेंदी वा कई रात
 
 रामपुर तिराह मा चली रावण राज
 बै बंधू कनू कलयुग आई आज
 मचि भगदड़ लोगो की रात का पहर
 निर्भाग्यून कानी बरसाई कहर
 कनू तमसू देखि तिन ये बद्री नाथ
 द्वि अक्तूबरे की नि बिसरेंदी वा कई रात
 
 याद राखला भै बैणो तुमरू यूं बलिदान
 अपड़ी जान देकी उत्तराखंड की बढ़ाई शान
 हर हमेशा गयेला तुमरा गीत
 देव भूमि का बीरू की तुमन निभाई रीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Bhishma Kukreti देखिल्या : राम पुर तिराहा (महान कवि कि शहीदों तै  श्रधांजलि )
 
  कवि मदन डुकलाण
 
 (गढ़वाळि क महान कवि मदन डुकलाण क कविता अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हुन्दन। मदन डुकलाण कि गणत इकिसवीं सदी क महान अंतर्राष्ट्रीय कवियुं मा होंद. ये महान गढ़वाळि कवि न उत्तराखंड आन्दोलन टैम पर रामपुर तिराहा पर हुंईं दैसत कु बिरतांत बड़ो बढिया ढंग से करी. ल्या महान कवि क राम पुर तिराहा पर कुछ पंगत-भीष्म कुकरेती)
 
 हक्क का बाना ह्वेंगीं शहीद हमरा लाल देखिल्या
 
 वूंका  जुल्म वूंकी दैसत का हाल देखिल्या ।
 
 त्वेन दे छे माया कि मीतै दगड्या ज्वा समळौण
 
 ल्वे मा भीजी आज तर्र वो रुमाल देखिल्या ।
 
 देखिके घैल मा बैण्यु कि कुंगळि क्वन्सि जिकुडि
 
 गङ्गा जमुना मा बि आज ऐगे उमाळ देखिल्या ।
 
 देखी ल्वेखाळ निहत्थों कु आज गांधी जनमबार मा
 
 शिव का हिमालम ह्यूं बि आज ह्व़े गे लाल देखिल्या ।
 
  सर्वाधिकार @ मदन डुकलाण देहरादून
 
 (ग्वथनी गौं बटे , २००२ से साभार )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Bhishma Kukreti देखिल्या : राम पुर तिराहा (महान कवि कि शहीदों तै  श्रधांजलि )
 
  कवि मदन डुकलाण
 
 (गढ़वाळि क महान कवि मदन डुकलाण क कविता अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हुन्दन। मदन डुकलाण कि गणत इकिसवीं सदी क महान अंतर्राष्ट्रीय कवियुं मा होंद. ये महान गढ़वाळि कवि न उत्तराखंड आन्दोलन टैम पर रामपुर तिराहा पर हुंईं दैसत कु बिरतांत बड़ो बढिया ढंग से करी. ल्या महान कवि क राम पुर तिराहा पर कुछ पंगत-भीष्म कुकरेती)
 
 हक्क का बाना ह्वेंगीं शहीद हमरा लाल देखिल्या
 
 वूंका  जुल्म वूंकी दैसत का हाल देखिल्या ।
 
 त्वेन दे छे माया कि मीतै दगड्या ज्वा समळौण
 
 ल्वे मा भीजी आज तर्र वो रुमाल देखिल्या ।
 
 देखिके घैल मा बैण्यु कि कुंगळि क्वन्सि जिकुडि
 
 गङ्गा जमुना मा बि आज ऐगे उमाळ देखिल्या ।
 
 देखी ल्वेखाळ निहत्थों कु आज गांधी जनमबार मा
 
 शिव का हिमालम ह्यूं बि आज ह्व़े गे लाल देखिल्या ।
 
  सर्वाधिकार @ मदन डुकलाण देहरादून
 
 (ग्वथनी गौं बटे , २००२ से साभार )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
प्रयाग पाण्डे मुज्जफरनगर कांड की बरसी के मौके पर पेश है -
  अलग राज्य आन्दोलन के दौरान  प्रसिद्द जनकवि श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी द्वारा लिखा गया प्रसिद्ध लोकगीत -
 
 तेरा जुल्मु कू हिसाब , चुकौला एक दिन
 लाठी - गोली कू जबाब , दयोला एक दिन
 यो दिन - बार औण तक
  बिकास  का रतब्यौंण तक
 अलख जगीं राली ये उत्तराखंड मा
 लडै लगी राली ये उत्तराखंड मा|
 
 देखि याली राज तेरु , लूट भ्रष्टाचार चा
  उत्तराखंड राज्य अब , बिकास कू आधार चा
 भ्रष्ट मुणडुमा ताज रालू ,
 जब तै गुंडा राज रालू \
 अलख जगीं .......
 लडै लगीं .........
 
 हिमालै का बीरुं की , गैरत न ललकारू क्वी
 हमारी हक़ की मांग चू , हमारू हक़ न मारू क्वी
 अब न कैकी धौंस सौला
  हक़ - हकूक लेकी रौंला |
  अलख जगीं .......
 लडै लगीं ..........
 
 तुमारी तीस ल्वे कि तीस , हमारी तीस बिकास की
 तुमारी भूख जुलुम , हमारी उत्तराखंड राज की
 जब तलक निमिलटू राज
 बंद  रालु राज काज
 अलख जगीं .......
 लडै लगीं ...........

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