क्या आप ये जानते हैं ?
हेनरी रामजे के विषय में बद्रीनाथ पांडे लिखते हैं- 'उनको कुमाऊँ का बच्चा-बच्चा जानता है। वे यहाँ के लोगों से हिल-मिल गए थे। घर-घर की बातें जानते थे। पहाड़ी बोली भी बोलते थे। किसानों के घर की मंडुवे की रोटी भी खा लेते थे।' अंग्रेजों ने शासन व्यवस्था में पर्याप्त सुधार किए, वहीं अपने शासन को सुदृढ़ बनाने के लिए कठोरतम न्याय व्यवस्था भी की।
१८५७ के प्रथम स्वतंत्रता संग्रेम में कुमाऊँ के लोगों की भागीदारी उल्लेखनीय रही, परन्तु १८७० ई. में अल्मोड़ा के शिक्षित व जागरूक लोगों ने मिलकर सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान के लिए चंद्रवंशीय राजा भीमसिंह के नेतृत्व में एक क्लब की स्थापना की। १८७१ में 'अल्मोड़ा अखबार' का प्रकाशन प्रारंभ किया। १५ अगस्त, १९४७ को सम्पूर्ण भारत के साथ कुमाऊँ भी स्वाधीन हो गया।