Author Topic: Know Your State Uttarakhand-जानिये अपने राज्य उत्तराखंड को  (Read 7273 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

You will find some exclusive, historical, mythological and other information about Uttarakhand State in this topic.

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उत्तराखण्ड का प्राचीन इतिहास सामान्यतः अनुमान तथा प्रचलित लोक-विश्वास एवं किंवदंतियों पर आधारित है, किन्तु वेद, पुराण, महाभारत आदि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस भू-भाग का उल्लेख पवित्र क्षेत्र के रूप में किया गया है। इसी कारण आज भी उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है।

M S Mehta

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कुणिन्द वंश को उत्तराखण्ड में शासन करने वाली पहली राजनैतिक शक्ति माना जाता है। सुमाड़ी ;पौड़ी गढ़वालद्ध, थत्यूड़ ;टिहरीद्ध तथा अल्मोड़ा में कुणिन्द कालीन सिक्के इस तथ्य की पुष्टि करते हैं। ‘अमोहाभूति‘ को इस वंश का सबसे प्रभावशाली राजा माना जाता है।


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कुणिन्द वंश के पश्चात् उत्तराखण्ड में ‘कुषाण वंश’ का शासन माना जाता है। वीरभद्र ()षिकेश), मोरध्वज (कोटद्वार) व गोविषाण (काशीपुर) से बड़ी मात्रा में कुषाण कालीन अवशेष प्राप्त हुए हैं।

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कार्तिकेयपुर राजवंश को उत्तराखण्ड का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश माना जाता है। ऐतिहासिक कालक्रम के अनुसार, इस राजवंश का शासन काल 700ई.से 1050ई.माना जाता है। निम्बरदेव, ललितशूरदेव व सलोणादित्य को इस वंश के प्रभावशाली शासकों में शुमार किया जाता है।

कार्तिकेयपुर राजवंश के बाद कुमाऊं में कत्यूरी और गढ़वाल में परमार राजवंश की स्थापना मानी जाती है।


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परमार राजवंश का संस्थापक राजा कनकपाल को माना जाता है। स्थापना के समय इस राजवंश की राजधानी चांदपुर गढ़ थी, जिसे राजा अजयपाल ने पहले देवलगढ़ और बाद में श्रीनगर स्थानान्तरित किया था।

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कुमाऊं में कत्यूरी शासन के बाद चन्दवंश के राजाओं का शासन रहा और सन् 1563 में राजा बलदेव कल्याण चन्द ने अपनी राजधानी चम्पावत से अल्मोड़ा स्थानान्तरित की। सन् 1790 में गोरखाओं ने चन्द वंश को समाप्त कर दिया।

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अपनी स्थापना से 1804 ई.तक गढ़वाल में परमार राजवंश का अक्षुण्य राज रहा। 1804 में गोरखा आक्रमण व 1815 में अंग्रेजों के साथ हुई सिंगोली की संधि के बाद गढ़वाल का विभाजन ब्रिटिश गढ़वाल एवं टिहरी गढ़वाल के रूप में हो गया।

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DO YOU KNOW

प्राचीन पौराणिक नाम आधुनिक नाम

मानस खण्ड                  कुमाऊं
केदारखण्ड/ हिमवन्त       गढ़वाल
कार्तिकेयपुर                 जोशीमठ
गोविषाण                     काशीपुर
मोरध्वज                     कोटद्वार
मायापुर/गंगाद्वार           हरिद्वार
बाड़ाहाट                      उत्तरकाशी
चुंड़पुर                      विकासनगर  (देहरादून)
वैद्यनाथ                      बैजनाथ

खीमसिंह रावत

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Chamoli Garhwal


According to the holi book Rigveda(1017-19), after Jalpralay (Inundation) Sapt Rishi saved their life in same place Mana, Chamoli Garhwal.


 

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