Author Topic: Popular Saying about Different Places- कहावते किस्से विशेष स्थान आदि  (Read 11568 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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“सेट्ठुगा लाटा-काला”
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Uttarakhand के गढ़वाल क्षेत्र में ( विशेषकर टेहरी गढ़वाल में ) स्थानीय पहाडी भाषा मे एक मुहावरा बहुत प्रचलित है “सेट्ठुगा लाटा-काला” जिसका अर्थ है सेठ लोगो के मंद बुद्धि बच्चे ! इस मुहावरे के पीछे की कहानी कुछ इस तरह है : हुआ यूँ कि एक गाँव में एक सेठ ( धनी साहूकार ) परिवार रहता था, सेठ उसकी पत्नी यानि सेठानी और उनके चार बच्चे ! फसल कट चुकी थी, और फसलों की कुठायी और सफाई का काम चल रहा था, सेठ के खलिहान में एक बहुत बड़ा ढेर भट्ट ( स्थानीय एक किस्म की दाल ) का लगा हुआ था।  रात को सेठ-सेठानी आपस में बात कर रहे थे, सेठानी ने सेठ  से कहा ” आजू सी भट्ट भी छन रयाँ फूकण थै ( अर्थात साधारण हिन्दी भाषा में जिसका मतलब है कि अभी फूकने के लिये यह भट्ट भी रहे हुए है, जबकि वास्तविक कहने का सेठानी का मतलब था कि बाकी फसल का अनाज तो हमने सम्भाल दिया है   मगर कूठाई-सफ़ाई के लिये अभी भट्ट बाकी रहे हुए है ) सेठ जी के बच्चे उनका वार्तालाप सुन रहे थे। अगले दिन सेठ और सेठानी एक शादी में सरीक होने के लिये पड़ोस के गाँव गए और जब शाम को लौटे तो खलिहान में राख का एक बड़ा ढेर देख दंग रह गए , बच्चो से पूछा कि ये सब कैंसे हुआ? बच्चे बोले आप लोग कल कह रहे थे न की भट्ट फूकने के लिये रहे हुए है इसलिये आज हमने सोचा की माँ-बाप का काम हल्का कर देते है, और  हमने पूरे भट्ट के ढेर को आग के हवाले कर, पूर भट्ट का ढेर फूक दिया, जलते वक्त उनसे पटाखे के जैसे फूट्ने की आवाजे आ रही थी। सेठ सेठानी, उन लाटे बच्चो की बात सुन  माथा पकड़ कर बैठ गए।  इसीलिये यह कहावत बनी  ‘सेठुगा लाटा-काला’ !!

By पी.सी.गोदियाल "परचेत
(http://gurugodiyal.blogspot.com)

विनोद सिंह गढ़िया

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इस कहावत को मेरे एक गुरु जी हमें सजा देते समय भी बोलते थे। जब वे हमारा कान मरोड़ते थे तब इस प्रकार बोलते थे।

कान मरोड़ते हुए :
जब जाले अल्माड़, तब लागाल गजमाड़।
जब जाले झील*, तब लागाल चील  ।।

*झील = जेल




अल्मोड़ा गये अल्मोड़ा के बारे में अनुमान कितना सही हो सकता है वह इस कहावत से विदित होता है -

न गये अल्मोड़ा, ना लाग्या गजमोड़ा
 मैंने यह भी सुना है- "जब जाला अल्माड, तब लागल गज्माड" यानी- अल्मोड़ा जाके .. अल्मोड़ा के बारे में ही पता चलेगा!

 

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 मैंने एक रानीखेत के जाड़े के बारे में यह कहावत सुना!

 "रानीखेत क जाड, मुसया क भाड़"


 तराई से मुसलवान भाई लोग कभी रानीखेत में आये होंगे, लेकिन यहाँ के अत्याधिक ठण्ड उनसे नहीं सही गयी होगी! तभी यह कहावत है ..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक पहाडी कहावत है

" जूओ गा डोरौ क्या घागरु ही छोड़ दयोण"

अर्थात क्या किसी आशंका के चलते हम उसे भी छोड़ दे जो हमारे पास है ?

Hisalu

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हमारे इलाके गंगोली में बहुत बाघ होते है| उसके लिए ये कहा जाता है

ख़तयाड़ी साग, गंगोली बाघ|


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तीतर का माँस खाने से वात रोग ठीक हो जाता है।

तीतर या किसी भी पक्षी का सिर नहीं खाया जाता है।

 इससे कुमाऊँनी में एक कहावत जुड़ी है - 'तीतर जतुक चतुर'।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड के जिले पिथौरागढ़ के एक हिस्से मुनस्यारी पर कुदरत खासतौर पर मेहरबान है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से ही स्थानीय लोग मुनस्यारी के लिए "'सात संसार, एक मुनस्यारी" की कहावत का प्रयोग करते हैं।

Hisalu

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Munsyaar ke baare me ye bhi kha jaata hai..
"Aadu Sansaaar.. Aadu Munsyaar"

Isse matlab hai munsyaari me saare sansaar se yatra tatra se log aaakar base hai

उत्तराखंड के जिले पिथौरागढ़ के एक हिस्से मुनस्यारी पर कुदरत खासतौर पर मेहरबान है। इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से ही स्थानीय लोग मुनस्यारी के लिए "'सात संसार, एक मुनस्यारी" की कहावत का प्रयोग करते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पिथौरगढ़ के सोर घाटी के लिए यह कहावत -

सौरकि नाली कत्यूर माणो
ज्वे जे ठुली खसम जे नानी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गंगोली हाट के बारे में यह कहावत है :

"रोल गाव के सोल धार"
कहाँ हाट कहाँ बाज़ार "

सोर और गंगोली हाट (पिथौरागढ़) की ऊँचाई  अंग्रेजी अक्षर W की तरह है! इसी लिए यह कहावत बना है!

 

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