93-94 की एक घटना आप लोगों को सुनाताअ हूं, जिसमें कुछ हास्य का भी पुट है।
हमारे कस्बे देवलथल में आन्दोलन चल रहा था, पूरा देवलथल बाजार बन्द था और हम लोग ढोल-दमू के साथ जुलूस निकाल रहे थे। इसी बीच किसी ने सुझाव दिया कि मुलायम सिंह की शवयात्रा निकाली जाय, जिसे देवलथल से बुंगाछीना और रसैपाटा- मोडी होते हुये चण्डिकाघाट तक ले जाया जाये, इससे पूरे क्षेत्र में व्यापक जनसम्पर्क भी हो जायेगा। फिर शव यात्रा की तैयारी शुरु हुई, कफन आदि में पुतले को लपेट शवयात्रा निकाली गई, मुर्दाबाद के नारों और आन्दोलन के प्रचलित नारों के साथ जुलूस निकला। हमारे क्षेत्र का एक लड़का जो कुछ मानसिक रुप से अस्वस्थ था और दाढ़ी-बाल बढ़ाये रखता था, लोगों ने उसे मुलायम सिंह का लड़का बनाकर दाढ़ी-बाल मूंड्कर अर्थी के आगे-आगे चला दिया। यह जुलूस बुंगाछीना पहुंचा तो वहां पर एक आम सभा हुई, जिसमें हम लोगों ने भी भाषण आदि दिये....अचानक वहां पर पुलिस की दो गाडियां पहुंच गई और पुलिस वालों ने लाठीचार्ज करते हुये पुतला छीनने की कोशिश की। इसी बीच में जो मुलायम सिंह का लड़का बना हुआ था, वह पुलिस वालों से भिड़ गया और कहने लगा जानते नहीं हो मैं कौन हूं, मैं मुलायम सिंह का लड़का हूं। पहले तो पुलिस वाले सन्न रहकर पीछे हट गये, जब दरोगा ने उससे और पूछताछ की तो असलियत सामने आ गई, उसके बाद तो पुलिस वालों ने उसकी ऐसी पिटाई की कि पूछो मत। लेकिन भारी विरोध और नारेबाजी हुई, पुलिस को पीछे हटना पड़ा और पुतले को चण्डिकाघाट पहूंचा के ही दम लिया गया।