२३ मार्च, १९९५: शहीद भगत सिंह आजाद के शहादत दिवस पर, ले.जन. गजेन्द्र सिंह रावत के नेत्रत्व में पूर्व सैन्य अधिकारियों व पूर्व सैनिकों ने अन्य आंदोलनकारियौं के साथ मिलकर बिशाल प्रदर्शन किया. गौरतलब है कि इस प्रदर्शन में १३ पूर्व जनरल शामिल थे.
१७ - २३ अगस्त, १९९५:केन्द्र सरकार की कान पर जूं न रेंगती देख, उत्तराखण्ड जन मोर्चा व अन्य आंदोलनकारी संगठनों के संयुक्त आव्हान पर पुन: "जेल भरो" आंदोलन शुरू किया इसमें भारी संख्या में लोगों ने गिरफ़्तारी दी. प्रशासन को अस्थाई जेल के ब्यवस्था करनी पढी. चार दिन बाद आंदोलनकारियों को रिहा कर दिया गया.
३० दिसम्बर, १९९५:मुजफ़्फ़रनगर काण्ड के अपराधिओं को तत्काल दण्डित करने की मांग को लेकर उत्तराखण्ड की सैकडों महिलाओं ने होम मिनिस्टर के निवास पर प्रचण्ड प्रदर्शन किया.
८ अक्तूबर, १९९५:स्थान : श्रीयंत्र टापू (श्रीनगर गढ्वाल)अलकनंदा की जलधारा के बीच स्थित श्रीयंत्र टापू पर उत्तराखण्ड क्रान्ति दल (डंगवाल) के आंदोलनकारियों ने प्रथक उत्तराखण्ड राज्य के लिये ’आमरण अनशन’ शुरू किया.
५ नवम्बर, १९९५:स्थान : वही.पुलिस ने आंदोलनकारियों के दमन का कुचक्र फ़िर चला. दो आंदोलनकारियों को अलकनंदा की तेज जलधारा में बहा देने का कलंक पुलिस के माथे लगा. श्री डंगवाल सहित अनेक आंदोलनकारियों को सहारनपुर जेल भेज दिया गया.आन्दोलनकारी किसी भी प्रकार से हार मानने को तैयार नहीं थे.
१२ अक्तूबर, १९९५:उत्तराखण्ड क्रान्ति दल (डंगवाल) के नेता श्री दिवाकर भट्ट ने खैट पर्वत (जिला टिहरी) पर पुन: आमरण अनसन शुरु किया.और२१ दिसम्बर, १९९५ आज, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री मोतीलाल बोरा, ने उत्तराखण्ड क्रान्ति दल (डंगवाल) को वार्ता पर बुलाया.
१२ जनवरी, १९९६:खैट पर्वत पर अनशन पर बैठै नेता, श्री दिवाकर भट्ट केन्द्र सरकार के आमंत्रण पर अन्य साथियों सहित दिल्ली में अनशन पर बैठै अन्य आंदोलनकारियों के पास (जंतर मंतर) पहुचे. यहां ग्रिह राज्य़मंत्री एवम बिदेश राज्य मंत्री ने आंदोलनकारियों से अनसन खत्म करने का अनुरोध किया.तब इसके बाद:
१९-२२ जनवरी, १९९६ भारत सरकार और आंदोलनकारियों के बीच आधिकारिक रूप से पहली वार्ता शुरू हुयी. इस वार्ता में मुख्य रूप से उपस्थित नेता इस प्रकार हैं:सर्वश्री: दिवाकर भट्ट, पूरण सिंह डंगवाल, मेजर जनरल शैलेन्द्र राज, पी. सी. थपलियाल, प्रकाश सुमन ध्यानी, अवतार रावत, देवसिंह रावत, राजेन्द्र शाह, श्रीमती कौशल्या डबराल के साथ साथ प्रख्यात पर्यावरणविद सुन्दरलाल बहुगुणा, एस.के. शर्मा एवम छात्र नेता .
२६ जनवरी, १९९६: (गणतंत्र दिवस)स्थान : विजय चौक (इस स्थान के गणतंत्र दिवस परेड आरम्भ होती है)उत्तराखण्ड संयुक्त महिला संघर्ष समिति की आंदोलनकारियों ने ४४ महिलाओं व १८ नवयुवकों के लेकर बी.आई.पी. गैलरी (विजय चौक) में उत्तराखण्ड राज्य के समर्थन में जोरदार नारेबाजी की. श्रीमती उषा नेगी को वहा पर गिरफ़्तार किया गया.
९ फ़रवरी, १९९६इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों पर मुजफ़्फ़रनगर एवम अन्य स्थानों पर दमन के आरोपों के लिये उत्तरप्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार को कटघरे में रखते हुये इसे यहूदियों पर नाजियों द्वारा किये गये अत्याचार के बराबर बताया.
१५ अगस्त्, १९९६:प्रधानमंत्री एच. डी. देवागौडा ने लाल किले के प्रचीर से उत्तराखण्ड राज्य गठन का संकल्प ब्यक्त किया.
१५ अगस्त्, १९९७:प्रधानमंत्री इन्द्र कुमार गुजराल ने भी लाल किले के प्रचीर से उत्तराखण्ड राज्य गठन का संकल्प दोहराया.
१९९८ में, अटल बिहारी के नेतृत्त्व वाली भा.ज.पा. की गठ्बंधन सरकार ने पहली बार राष्ट्रपति के माध्यम से उत्तरप्रदेश सरकार को उत्तराखण्ड राज्य बिधेयक प्रेषित किया.इस बीच, दिल्ली में जन्तर मन्तर पर आंदोलनकारियों का धरना जारी था.
९ अगस्त, १९९८:भारी पुलिस बल ने जन्तर मन्तर पर आंदोलनकारियों पर धावा बोल दिया और आन्दोलनकारियों को तितर-बितर कर दिया. परिणामस्वरूप धरना स्थल वहा से मंदिर मार्ग में स्थानतरित हो गया. बाद में पुन: जन्तर मन्तर पर आगया.
१९९९कांग्रेस नेता, हरीश रावत भी संघर्ष में कूदे.
27 July, 2000:Uttar Pradesh Reorganisation Bill, 2000 presented in Lok Sabha.
1 August, 2000:LOK SABHA passed the Bill.
10 August, 2000Rajya Sabha Passed the Bill.
१५ अगस्त, २००० लालकिले के प्रचीर से प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी ने उत्तराखण्ड राज्य गठन के अपने वादे को पूरा करने की घोषणा की.
१६ अगस्त, २०००स्थान : जन्तर मन्तर, दिल्ली.यहां पर उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के श्री देब सिंह रावत के उत्तराखण्ड राज्य के गठन की मांग को लेकर ६ वर्षों (१९९४-२०००) के लगातार धरने का हर्षोल्लास के साथ समापन करने हेतु सभी आंदोलनकारियों ने संगठन व दलों की सी्माओं को तोडते हुये समारोह में भाग लिया. इस अवसर पर यहां आने वालओं में सर्वश्री बची सिंह रावत, सतपाल महाराज, डा० हरक सिंह रावत, एस.के. शर्मा, अवतार रावत, रणजीत सिंह पंवार, प्रताप रावत नरेन्द्र भाकुनी व अन्य शामिल थे.
२० अगस्त, २००० भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्य गठन बिधेयक को मंजूरी दे दी गई.