Author Topic: Tribute To Movement Martyrs - उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि  (Read 64520 times)

sanjupahari

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #100 on: October 03, 2008, 11:15:36 PM »
yess,,you are absolutely right Mehta jew.........we would accomplish whtrv been visioned....

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #101 on: October 04, 2008, 10:33:57 AM »
Uttarakhand ke Shahido ko meri vinarm shradhdhanjali..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #102 on: November 06, 2008, 03:17:56 PM »
स्थापना दिवस 09 नवम्बर २००८ : समय है उन शहीदों को याद करने का जिनके वलिदान से उत्तराखंड राज्य का सपना साकार हो सका !

हम नमन करते है उनको जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के निमार्ण मे अपनों प्राणों की आहुति दी !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #103 on: November 06, 2008, 03:25:27 PM »

Yaad Karo..



Some more...







Source.. uttarakhand.prayaga.org/justice.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #104 on: November 06, 2008, 03:26:24 PM »

Yaa karo in lamho ko.


See the slogan of Uttarakhand Martyres..





source..  uttarakhand.prayaga.org/justice.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #105 on: November 06, 2008, 03:26:29 PM »

Yaa karo in lamho ko.


See the slogan of Uttarakhand Martyres..





source..  uttarakhand.prayaga.org/justice.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #106 on: November 07, 2008, 12:51:20 PM »

Sat sat naman..

See the slogan of Uttarakhand Martyres..





source..  uttarakhand.prayaga.org/justice.html
[/quote]

Mukesh Joshi

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #107 on: November 07, 2008, 01:26:08 PM »
हमरा भोल भला दिनों का खातिर ,जो की ल्वै सड़को बौगी .
वो शहीदों की तस्वीरो जने हेरी, मूट बोटी की रख
तेरी हिक्मत ( हिम्मत ) आजमाणु वेरी, मूट बोटी की रख

पंकज सिंह महर

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #108 on: November 07, 2008, 01:39:08 PM »
नरेंद्र सिंह नेगी ने 1994 में उत्तरकाशी में जब यह पंक्तियां लिखीं, तब सामने अलग राज्य का संघर्ष था। आज अलग राज्य तो है, लेकिन आम आदमी का संघर्ष वही है। ऐसे में उनका यह गीत आज मुझ जैसे न जाने कितने लोगों को संबल देता है।

द्वी दिनू की हौरि छ ,
अब खैरि मुट्ट बोटीकि रख
तेरि हिकमत आजमाणू बेरि
मुट्ट बोटीक रख।
घणा डाळों बीच छिर्की आलु ये मुल्क बी
सेक्कि पाळै द्वी घड़ी छि हौरि,
मुट्ट बोटीक रख
सच्चू छै तू सच्चु तेरू ब्रह्म लड़ै सच्ची तेरी
झूठा द्यब्तौकि किलकार्यूंन ना डैरि
मुट्ट बोटीक रख।
हर्चणा छन गौं-मुठ्यार रीत-रिवाज बोलि
भासायू बचाण ही पछ्याण अब तेरि
मुट्ट बोटीक रख।
सन् इक्यावन बिचि ठगौणा
छिन ये त्वे सुपिन्या दिखैकी
ऐंसू भी आला चुनौमा फेरि
मुट्ट बोटीक रख।
गर्जणा बादल चमकणी
चाल बर्खा हवेकि राली
ह्वैकि राली डांड़ि-कांठी हैरि
मुट्टबोटीक रख।

पंकज सिंह महर

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Re: Shaheedon ko Shradhhanjali
« Reply #109 on: November 07, 2008, 01:41:25 PM »
गिरीश तिवारी "गिर्दा" की मर्मस्पर्शी कविता


आज हिमाल तुमन के धत्यूंछौ, जागौ-जागौ हो म्यरा लाल,
नी करण दियौ हमरी निलामी, नी करण दियौ हमरो हलाल।
विचारनै की छां यां रौजै फ़ानी छौ, घुर घ्वां हुनै रुंछौ यां रात्तै-ब्याल,
दै की जै हानि भै यो हमरो समाज, भलिकै नी फानला भानै फुटि जाल।
बात यो आजै कि न्हेति पुराणि छौ, छांणि ल्हियो इतिहास लै यै बताल,
हमलै जनन कैं कानी में बैठायो, वों हमरै फिरी बणि जानी काल।
अजि जांलै कै के हक दे उनले, खालि छोड़्नी रांडा स्यालै जै टोक्याल,
ओड़, बारुणी हम कुल्ली कभाणिनाका, सांचि बताओ धैं कैले पुछि हाल।
लुप-लुप किड़ पड़ी यो व्यवस्था कैं, ज्यून धरणै की भें यौ सब चाल,
हमारा नामे की तो भेली उखेलौधें, तैका भितर स्यांणक जिबाड़ लै हवाल।
भोट मांगणी च्वाख चुपड़ा जतुक छन, रात-स्यात सबनैकि जेड़िया भै खाल,
उनरै सुकरम यौ पिड़ै रैई आज, आजि जांणि अघिल कां जांलै पिड़ाल।
ढुंग बेच्यो-माट बेच्यो, बेचि खै बज्याणी, लिस खोपि-खोपि मेरी उधेड़ी दी खाल,
न्यौलि, चांचरी, झवाड़, छपेली बेच्या मेरा, बेचि दी अरणो घाणी, ठण्डो पाणि, ठण्डी बयाल।

 

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