Author Topic: Tribute To Movement Martyrs - उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि  (Read 63763 times)

हेम पन्त

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‎1-2 अक्टूबर 1994 की रात रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में हुए नृशंस काण्ड के पीड़ितों के घाव अभी भी ताजा हैं, क्योंकि इस काण्ड के अभियुक्तों को अभी तक सजा नहीं मिली है....

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hemdaju or shayad in bhrastaachariyon ke raaj main milegi bhi nahin wo log to sghid ho gaye in choro ko uttarakhand ki bagdor thmaa kar chle gaye hai

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पैकेज स्थापना दिवस::शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
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उत्तराखंड राज्य की 11 वीं वर्षगांठ पर क्षेत्र के युवा कांग्रेसियों ने शहीद स्मारक में मोमबत्तियां जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इंका नेता गिरधर बम व दीप जोशी ने कहा कि शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। इस अवसर पर विधान सभा उपाध्यक्ष पुष्कर दानू, सूर्य प्रताप, चन्दन बोरा, मदन, नगेन्द्र, योगेश देवली, हरीश, कुंवर सिंह, अजय सिंह, मोहन सम्मल, बाली खर्कवाल, अर्जुन सिंह, रमेश, लक्ष्मण मेहता, होशियार, धन सिंह बिष्ट सहित अनेक लोग मौजूद थे।

Dainik jagran

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शहीद मेला आज, तैयारी पूरी
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देवभूमि उत्तराखंड सदियों से वीर सपूतों की जननी रही है और यहां जन्मे रणबांकुरे समय- समय पर देश की आन-बान व शान की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर करते रहे हैं।

 ऐसा ही एक गांव सीमांत जनपद चमोली का देवाल का सैनिक बाहुल्य गांव सवाण हैं इस गांव के 22 सैनिकों ने प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनकर अपनी वीरता का लोहा मनवाया था, उनकी याद में आज लगने वाले शहीद मेले की तैयारियां पूरी कर ली गयी है। मेले में मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी मुख्य अतिथि होंगे।

सवाण गांव की जनसंख्या 1567 है। दशकों से इस गांव का सैन्य इतिहास रहा है वर्तमान में भी गांव से 120 सैनिक विभिन्न बटालियनों में तैनात है तो 90 पूर्व सैनिक, 12 सैनिक विधवा, 30 द्वितीय विश्वयुद्ध, 12 स्वतंत्रता संग्राम सैनानी व पेशावर कांड में शामिल रहे हैं। गांव का सैन्य इतिहास यह है कि प्रथम विश्वयुद्ध जो 1914-1919 में इस गांव के 22 सैनिकों ने अपनी शहादत दी जो जर्मनी की तानाशाही के विरूद्ध लड़ा था।

 इस शिलापट पर सवाण दिस विलेज 22 मैन वैंट टू द ग्रेट वार 1914-1919 टू गिव ऑफ दियर लिव्स लिखा गया है, हालांकि 22 युद्ध-वीरों में गांव के कौन सैनिक शामिल थे इसका लेखा-जोखा सैनिक बोर्ड, जिला प्रशासन के पास तक उपलब्ध नही है।

 जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के अनुसार 22 सैनिकों के नामों की सूची दिल्ली, म्यूजियम या गढ़वाल राईफल्स में मिल सकते हैं। गांव के कुछ पूर्व सैनिकों के पास मौजूदा मेडलों के आधार पर 22 में से 9 नामों की पुष्टि हुई है।

इनमें जवाहर सिंह मेहरा, बादर सिंह, खीम सिंह मेहरा, बलवंत सिंह मेहरा, खुशहाल सिंह, नेत्र सिंह, पदम सिंह, राय सिंह खत्री हैं। वहीं स्वतंत्रता संग्राम सैनानी दरबान सिंह, हरक सिंह, खीम सिंह, प्रताप सिंह, कुशल सिंह रहे है जिसमें से अब मात्र काम सिंह भंडारी 92 वर्ष ही जीवित हैं।

Source Dainik Jagran

Pooran Chandra Kandpal

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शहीदों को भूलना एक अक्षमनीय अपराध है. हम सबकुछ भूलें परन्तु उन्हें नहीं भूलें जिन्होंने उत्तराखंड राज्य के लिए सबकुछ भूलकर
सीने में गोली खाई.  शहीदों की स्मृति में चिराग रोशन करने वालों को नमन.  ये चिराग जलते रहने चाहिए . शायद इन चिरागों की
रोशनी से गैरसैण जाने वाले रास्ते की धुंध मिट जाय.  पूरन चन्द्र कांडपाल , २४.०२.२०१२

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शौर्य दिवस पर किया कारगिल शहीदों को नमन


 कारगिल शौर्य दिवस नुमाइश मैदान में शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण व श्रद्धा सुमन अर्पण के साथ मनाया गया। इस दौरान कारगिल शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध के शहीद नायक मोहन सिंह व नायक राम सिंह बोरा के चित्र पर माल्यार्पण के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष विक्रम शाही, विधायक चंदन दास व ललित फस्र्वाण तथा जिलाधिकारी डा वी षणमुगम ने स्व मोहन सिंह के पिता हिम्मत सिंह को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। इस दौरान उक्त वक्ताओं ने कहा कि शहीदों के बलिदान से हमें सत्य, निष्ठा, देश प्रेम की प्रेरणा मिलती है।

 वक्ताओं ने भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास की सराहना करते हुए शहीदों को नमन किया। साथ ही शहीदों के परिजनों के साहस की चर्चा की। सभा को कपकोट के पूर्व विधायक शेर सिंह गढि़या, पालिका अध्यक्ष सुबोध साह, प्रमुख राजेंद्र टंगडि़या, एसपी निवेदिता कुकरेती ने भी संबोधित कर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किये।

समारोह के दौरान राबाइंका, विविमं मंडलसेरा, नेशनल मिशन हाईस्कूल, जवाहर नवोदय विद्यालय सिमार, केंद्रीय विद्यालय व सांस्कृतिक कला मंच कर्मी के कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कंपोजिट सिग्नल व पुलिस के जवानों ने शहीदों को सलामी दी। बच्चों को पुरस्कार वितरित किये गये तथा विधवावस्था के चेक वितरित किये गये।


Source Dainik Jagran

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 Facebook © 2012 · English (US)About · Create an Ad · Create a Page · Developers · Careers · Privacy · Cookies · Terms · Help Chat (78) ...... देवसिंह रावत commented on his photo of you: "haan ho rahe hain, pahle rakshashon ke jo sata ke..."देवसिंह रावत31 minutes ago On your timeline · Hide
उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में खटीमा काण्ड की 18 वीं बरसी पर अमर शहीदों को शतः शतः नमन्
 
 उत्तराखंड राज्य गठन जनांदोलन में 1सितम्बर 1994 को तत्कालीन उप्र मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पुलिस द्वारा खटीमा में शांतिपूर्ण ढ़ग से आंदोलनकर रहे राज्य आंदोलनकारियों को गोलियांे से भूना गया, उस काण्ड की 18 वीं बरसी पर सभी शहीदों की पावन स्मृति को शतः शतः नमन्। एक सितम्बर 1994 को खटीमा क्षेत्र के हजारों लोग जब शांतिपूर्ण ढंग से जुलूस निकालकर पृथक राज्य की मांग कर रहे थे तभी मुख्य चैराहे पर तत्कालीन थानाध्यक्ष डीके केन ने शांतिपूर्ण आंदोलनकर रहे आंदोलनकारियों को पुलिसिया दमन से चूप कराना चाहा। जिसका आंदोलनकारियों ने पुरजोर विरोध किया। इस पुलिसिया हनक में लोकशाही को रौंदने वाले गुनाहगार ने जलियांवाला बाग की तर्ज पर पुलिस गोलियां से आंदोलनकारियों को छलनी कर दिया। इसमें सलीम, भगवान सिंह, प्रताप सिंह, धर्मानन्द भट्ट, गोपी चन्द, परमजीत सिंह व रामपाल शहीद हो गये। राज्य गठन के बाद प्रदेश के हुक्मरानों को न तो राज्य गठन के शहीदों की शहादत का ही भान रहा व नहीं जनांदोलनों -बलिदानों से  पुलिसिया अमानवीय दमनों को सह कर भी  गठित इस राज्य की जनांकांक्षाओं का ही कहीं दूर-दूर तक भान रहा। हालत इतनी शर्मनाक हो गयी है कि जिन्होने उत्तराखण्ड राज्य गठन का पुरजोर विरोध किया था उन तिवारी जैसे विरोधी नेता को मुख्यमंत्री के रूप में थोप कर शहीदों की शहादत व राज्य गठन के आंदोलनकारियों के सपनों को जहां रोंदा गया वहीं प्रदेश में राव-मुलायम के अमानवीय दमन के कहारों व दलालों को यहां पर सत्तासीन कांग्रेस भाजपा की सरकारों ने शर्मनाक संरक्षण दे कर प्रदेश के स्वाभिमान व हितों को जनंसख्या पर आधारित परिसीमन, गैरसैंण राजधानी बनाने से रोंकने, मुजफरनगरकाण्ड-94 के अभियुक्तों को संरक्षण देने, प्रदेश के संसाधनों को प्यादों को लुटवाने, प्रदेश में बाहर के बंगलादेशी घुसपेटियों को बसा कर इसको कश्मीर व असम की तरह बर्बाद करने का कृत्य करना, प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के दिल्ली आाकाओं ने जातिवादी व भ्रष्टाचारी मानसिकता से ग्रसित हो कर यहां  पर अपने प्यादों को मुख्यमंत्री के रूप में थोप उत्तराखण्ड में लोकशाही का निर्ममता से गला घोंटने का कृत्य किया। ऐसे थोपशाही के प्यादों तिवारी, खण्डूडी, निशंक के बाद अब विजय बहुगुणा जैसे नेता को प्रदेश की कमान कांग्रेसी आला कमान ने सोंपी। जो प्रदेश के संसााधनों की बंदरबांट करने में तुला है। जिनको मुलायम सिंह व उनके प्यादों के साथ बेशर्मी से खडा होने में जरा सी भी प्रदेश के राज्य गठन के शहीदों की चित्कार व धिक्कार तक नहीं सुनाई देती। जिनको प्रदेश की चीनी मिलों  को लुटवाने में अपने प्रदेश की जनता व अपने पार्टी के सांसदों व विधायकों का विरोध तक नहीं सुनाई देता। जो लोग राज्य गठन जनांदोलन के शहीदों व आंदोलनकारियों के कातिलांे को संरक्षण देने वालों को महत्वपूर्ण संवेंधानिक पदों पर आसीन करने में तनिक सा भी शर्म महसूस नहीं करते ऐसे हुक्मरानों से प्रदेश के विकास व प्रदेश के सम्मान की क्या आश जनता लगायेगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिल्ली जा कर प्रदेश के हितो ं को रौंदने के अलावा इस बात का भी भान नहीं रहा कि 1 सिंतम्बर को खटीमा के शहीदों की शहादत का मर्म क्या है? मसूरी, देहरादून मुजफरनगर काण्ड सहित प्रदेश में शहीद हुए आंदोलनकारियों की शहादत का अर्थ क्या है? आज सवाल केवल विजय बहुगुणा या तिवारी जैसे सत्तांध उत्तराखण्ड विरोध नेताओं का ही सवाल नहीं है अपितु आज प्रदेश के अधिकाांश विधायक व सांसदों को इसका कहीं दूर दूर तक भान नहीं है। केवल घडियाली आंसू बहाने के लिए कभी कभार ये आंदोलनकारी शहीदों को याद करते हैं नहीं तो अगर इनके दिल में कहीं दर्द रहता तो ये एक दिन भी प्रदेश की सत्ता में आसीन हो कर या जनप्रतिनिधि बनने के बाद उस शासक व प्रशासन में कैसे अपने छाती पर मूंग दलने देते जिनके हाथ मुलायम के कहारों व शहीदों के हत्यारों को संरक्षण देने वाले गुनाहगारों के साथ है। गोलीकांड के शहीदों की याद में यहां की जनता हर साल सर्वदलीय सभा खटीमा की तहसील परिसर सहित प्रदेश व देश के विभिन्न शहरों में आयोजित करती है।

हेम पन्त

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Khatima goli kand (1 seotp1994) ke veer shahido ko bhaavpoorn shradhanjalu...

विनोद सिंह गढ़िया

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उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में खटीमा काण्ड की 18 वीं बरसी पर अमर शहीदों को शत्-शत् नमन।

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