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Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 18
झंगोरा कि खीरी औ

झंगोरा कि खीरी औ
देकि लटपटाणु लागि छटपटाणु लागि
यु मेरु जी गडुली को तांसूं औ...ह
दबोड सबोड़ करि ओंला गेल्या
पक यु पोट्गो भोरी ओंला गेल्या
कन मचलू देकि कि मेर जीयु कि डाली औ...ह
झंगोरा कि खीरी औ..............

झंगोरा की दाणी दूध और्री पाणी
गुड चिनी और छंछा को छरा
आगि कु लागि वै मा झस्का औ...ह
फाड़ फाड़ पकिनी लगी वा
सुर सुर सरैनी लगी वा
अंतडा पंतडा म्स्लण लगी अफरी औ...ह
झंगोरा कि खीरी औ..............

ऐजा तू बि ऐजा मेरा पाड़ा मेरा गढ़वाला ऐजा
कन मिललु मिसालु इनि सझा
पंगत डाली की खाणा कु मजा औ...ह
समलोंणया रैगे वो बिता दिनी
आपरा सबि अब परै वहैगेनी
अब बस चित्रा दिकणी झंगोरा कि खीरी औ...ह
झंगोरा कि खीरी औ..............
झंगोरा कि खीरी औ..............

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 18
वो च तेरु गैल्या

परै वहैकि जो परै नि लगदु
विपदा पीड़ा मा जौ बस खैरि जपदु
सुख मा अपरी आप मिसळी जांदू
दुःख मा अग्ने त्यार देकि जांदू वो च तेरु गैल्या

बालपना कु तेरु साथी
जवनि मा बि ऊ तेरु दगडी
बुढया मा बि ख़ैष्णु ते संगत
कबि नि छोड़ी वैल ते दगड पंगत वो च तेरु गैल्या

खटी मीठी ईमली कु ऊ स्वाद
तेरु मनखी को तेर सरीर कु अरदु वो भाग
हैंसी तिल वैल बि तेर खुश मा हैंसेल
रुलों तेल वैल ते थे जीकोडी लगे कि बथेण वो च तेरु गैल्या

कूच नाता बधण रेंदा पर वो सब खरा नि हुँदा
बधण नाता संभलण पड़दा कुछ संभळीक बि नौ का रेंदा
और्री कूच अपरू आप जपतात
और्री अखरे तक तयार दगडी हिटदा वो च तेरु गैल्या

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 17
अद राति मा

आच अद राति मा
नींदि तुटी गैई
झन कया बात व्हाई
नींदि पूरी नि व्हाई

जुन कि जुन्याली
मेर निंद हर्ची गैई
कया व्हाई अचाणचक
समझ मा नि ऐई

ऐ जब भि
सुप्निया ऊ मुखडी
स्वणि सुप्निया
थे बि वो छोड़िगेनी

आच अद राति मा
नींदि तुटी गैई
झन कया बात व्हाई
नींदि पूरी नि व्हाई

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 14
बैठी तू उदास

बिमला आच किले होली बैठी तू उदास
झण् क्य व्हाई बात बिमला किले छे तू उदास
सरगा मा टक टकि लगे कया खोज्णी नि च आच
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

बोलि दे ना गम-सुम रै जिकोड़ी की भेद उमली दे
कया झुराणु ते थे कु रुळुनु ते थे आपरी ये गिच से बोलि दे
ना रूस तू ना झुरु तू ना अपरू से ना व्है इनि दूर तू
इनि कडक्स ना कैर बिमला ना इनि बैठ दूर तू
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

कंठ मेरु तिसी गेलो पिला दे छुईं की मीठी धार
गिचे नि गिची मेरी किले होली बैठी च आच तू शांत
ना साते ना खिजे चुचि कनि पट ना मि मोरी जोंलों आच
दे दे मेरा स्वासों थे तू सांस बिमला ना इनि बैठ दूर तू
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

बिमला आच किले होली बैठी तू उदास
झण् क्य व्हाई बात बिमला किले छे तू उदास
सरगा मा टक टकि लगे कया खोज्णी नि च आच
बिमला आच किले होली बैठी तू उदास

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
हिन्दी गीता कु ये च गढ़वाली बोळ संस्करण तुम थै कंण लग जी
 
लगि जा गौलि

लगि जा गौलि कि फिर ईं हैंसी राति व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है

हम थे मिली च आच ये बेल क्द्गा भाग से
जी भोरिकी देकि लियां जी हम थे करीब से
फिर आप का भाग मा,ये छुईं व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है

नजदिक ऐ जा की हम नि ऐंन यख बार बार
बाँयां गौली मा डालि की हम रो लेण मूल मूल
आँखा दगडी फिर ये ,प्रीत की बरखा फिरि व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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हिंदी गाणा बोल छंण ... लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो
चित्रपट : वह कौन
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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