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Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
devbhumi:
नैनों कि भासा तेर
नैनों कि भासा तेर अपरम्पार
मिथे पिरीति को पाठ पढे जा
इन अल्जीगियूं आँख्यूं मा तेर
मेर बि जीना कि उमीद बले जा
ब्य्खुनि को घाम जाणु वै छाल
वै दग्डी तेर मेर छुई लगे जा
जरासि बैठी जौला वै डाळ मोंड
हातमा हात कथा माया लगे जा
दिलमा बात धैरी जाण कख सुदी
आंखि वोंते तू मेर बात बते जा
वै घैल बाटा बैठ्यूं च मि प्यारी
हाँ बोलि कि ऐ ज्यू दबेई लगे जा
बालकृष्ण डी. ध्यानी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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devbhumi:
स्वास
यखि छया हम
यखि रौला
यखि मां हमन
यनि मिसै जाण
जबै राख उडालि
हमर मासाण भतेक
हमन यख वख
सुदि मुदि पसरे जाण
हैरा-भैर डांण्ड्याळी बोती
फूल बणिक हमन सजै जाण
अफि अफ लगि स्वास
आखेर तिल बल क्या पाई
यखि छया हम .....
बालकृष्ण डी. ध्यानी
devbhumi:
खोजि ल्यावा अपडो ते
कबि अपड़ा रैन्दा छया यख
अब बि नि जाण वो ग्या कख
तिबारी उदास डांण्ड्याळी उदास
कख गे होळा वो खोजीदास
बालकृष्णा ध्यानी
devbhumi:
गुमान
बैथ्यू छौं सुप्न्यु का रेल मां
अपरि हि दैल फैल मां
फुर्सत कख छ ..... रै गैल्या अब
कैते मिन भेट्ण कैते देन ऐ भेँट या
खोजदु छौं बल जी खोजदु छौं
अपडा मन भितर मि कैथे खोजदु छौं
मालूम छ्या मि यौ माटा कू जीबन
मिन एक दिन इन सौधी धौलि दीन
फिर बैथि कि ऐ कोरी किताब ते
किलै कि वैमा जिलेद लगाणु छौं
लिखणु छौं औरृ वैते पुसणु छौं
गैरो ऐ बस्ता किलै मि सरणु छौं
चितेणु छौं कि मिते अबेर ह्वैगेई
फुण्ड फूंकाण कूँन यौ गुमान ते मि देर ह्वैगेई
क्या यख जोडि मिन वैते लीजाणा को धे लगाणु छौं
वैन भि भोरिक रखयूं छ जै ते मि समझाणु छौं
बैथ्यू छौं सुप्न्यु का रेल मां ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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devbhumi:
म्यारू ढुंगा
धुरपळिम खिरबोज
ग्वरबाटा का ढुंगा
इन असगुन किलै मिते ऊ आज
कब उथ्ळो मि वैते
कब वैते द्यूँलू चुला
पुंगड़ी पटळि ली
द्वाखरी बंजी कुडी
मिते बुलाणु भुला
ज्वानि मां छोड़ि गियूं
किले लागणू अप्डी ब्यथा
पितरकूड़ी ह्वैगे अजाण
रुंदी हँसदी रै मेर पछाण
अहा कैर कि अप्डी कुदशा
हम तै अब बि नि पता
विकास कै घार छ बता
मोर बिंयारा संगाड रूणा
बैठि कुकुर आज कै कुणा
सर्या दिन राति काटी मिन
ना मिल मिते अप्डी सुधा
कै बाटो होलो म्यारा चुलू ढुंगा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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