Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 105523 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
January 3 · Edited
कया आलू त्यार पिछने

ब्याळि बोलि मि
बोलि भोळ यख
जखम लिख्युं छ
भाग मा कख क्ख्क

बाच ले ये भाग
ज्युओंदगि कि जेल मा
कैल समोंण कैल ले जाण
सब रै जाणु भोळ यख

क्वी नि अपरु
ना ई यख मा क्वी परायु
गैरा लगणा किले इतगा
सोंसारा का नाता किले यख

ह्वे सकद सब-कुच
मिल बि जालू ऊ तेथे यख
मिल के ऊ बिरानू
कया आलू त्यार पिछने

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ऊँ चप्लों का जोड़
ऊँ चप्लों का जोड़

टूटा फुट्या
चप्लों का जोड़
घिसरड़ी ….२ की
बाबाजी गै ….कै छोरा
ऊ टूटा फुट्या
चप्लों का जोड़

रचक छ्च्क
ऊँ का ऊ शोर
पल्या डंड तल्या डंड
हुणा छिन भाव विभोर
ऊ टूटा फुट्या
चप्लों का जोड़

उकालो फंदी
कबी उन्दरू दौड़ी कि
पुंगडी मा कबी हौलो जोती की
लेणु च धेसाण डाला तौली जी
ऊ टूटा फुट्या
चप्लों का जोड़

गौं मा कबीत
कबी बजार मा
आंदा जंद अब बी ऊ
मेरा ख्याला मा
ऊ टूटा फुट्या
चप्लों का जोड़

मेरा बाबाजी
ऊ मेरा मुल्क
क्ख्क छोंटीयुं होलो अब
ऊँ का ऊ चप्लों का जोड़
ऊ टूटा फुट्या
चप्लों का जोड़

एक उत्तराखंडी

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खूटा तू हिटले

फूंक देनी डाळी डाळी
अब टक्कों कि ऐनी बाट

चांटी डोबरा पुला कू घोर
वोट और्री टक्कों कू जोड़ीयुं जोड़

सात बरसी बीत गैनी दीदा
तू ऐ छोर मी पल्या छोर

काम कुच भी नी व्हाई
जंग खाणा छिन अब नोट

डिजाइन बी णी बणेई उन
ऐगे यंत्रों कि यख फौज

दोई खांब यख दोई वख
बीच मा रेगै बस झक झक

प्रतापनगर छयूँ आक्रोश दीदा
खूटा तू हिटले जनांदोलन की ओर


एक उत्तराखंडी

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रुणु छा हिमाल

मी बोल्दु तैसे
कया तुम म्यार दगडी चलदा
रुणु छा हिमाल .२
कया तुम वैनका आंसूं पुस्दा
मी बोल्दु तैसे ……….

बिराणु मुल्क
बिराणा अब तुम लक्दा
रुणु छा गढवाला . .२
कया तुम वैनका आंसूं पुस्दा
मी बोल्दु तैसे ……….

अपरू ही णी रहाई
गैरों ल ही अब आपरू बाणाई
रुणु छा कुमो . .२
कया तुम वैनका आंसूं पुस्दा
मी बोल्दु तैसे ……….

दिन बीती जाल
तुम बौडी कब आला
रुणु छा उत्तराखंड .२
कया तुम वैनका आंसूं पुस्दा
मी बोल्दु तैसे ……

मी बोल्दु तैसे
कया तुम म्यार दगडी चलदा
रुणु छा हिमाल .२
कया तुम वैनका आंसूं पुस्दा
मी बोल्दु तैसे ……….

एक उत्तराखंडी

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लगि जा गौलि

लगि जा गौलि कि फिर ईं हैंसी राति व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है

हम थे मिली च आच ये बेल क्द्गा भाग से
जी भोरिकी देकि लियां जी हम थे करीब से
फिर आप का भाग मा,ये छुईं व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है

नजदिक ऐ जा की हम नि ऐंन यख बार बार
बाँयां गौली मा डालि की हम रो लेण मूल मूल
आँखा दगडी फिर ये ,प्रीत की बरखा फिरि व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है

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हिंदी गाणा बोल छंण ... लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो
चित्रपट : वह कौन
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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ऐजा ऐगे मौल्यार

ऐजा ऐगे मौल्यार जीयु छे बेकरार
औ मेरु राजकुमार तेरु बिगर रैई नि जैई

बथों से जबरी बि, चली ये बथऊँ
सरीर मेरु टूटी ऐ ई अंगदेई
जीयु ते थे बारी बार , तेरु हेर
औ मेरु राजकुमार तेरु बिगर रैई नि जैई

जीयु मा ऐकि मिन तेरी बांसुरी
नाचि मि चम चम बजनि पैजनी
जीयु कु ये उल्ल्यार तेरु धै ल्गानु
औ मेरु राजकुमार तेरु बिगर रैई नि जैई

पाणि की मछरि पाणि मा तिसी
कुसी का ऐ दीण फिर बि उदेसी
लेजा मेरी माया ऐ जा अब कि बारी
औ मेरु राजकुमार तेरु बिगर रैई नि जैई

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हिंदी गाणा बोल छंण ... आ जा आयी बहार, दिल हैं बेक़रार
चित्रपट : राजकुमार
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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हिन्दी गीता कु ये च गढ़वाली बोळ संस्करण तुम थै कंण लग जी
March 21
मि जख बि रयुं

मि जख बि रयुं , मी कख बि रयुं
तेर खुद मेर दगड च
कै से बोल दूँ , कै नि बोलूं
ये जी जिकुड़ी कि छुईं च
बोलण कु दगड अपरु एक दुनिया हिटदी च
परे छुपेकि ईं जिकुड़ी मा इक्लोप्न पलनौ च
बस जी खुद दगड च
तेरी खुद .......

क्ख्क त जिकुड़ी मा एक सुल चुभ जाणि च
क्ख्क प्रतेक एक तस्बीर भौत धुंदली पौड़ी जाणि च
क्वी नै दुनिया कु नै रंगों मा खुश रेहंदु
क्वी सब कुछ पै के बि यु मन ये मन बोलणु
बोलण कु दगड …

क्ख्क त बितयां ब्याल कि मूल जिकुड़ी मा उतर जाणि च
क्ख्क त धाग टूटे कि माळा पसरी जाणि च
क्वी जिकुड़ी मा कोनो नै , छुईं बाण रखणु च
क्वी अपरा पलकी परी खुद कि बाती रखणु च
बोलण कु दगड …

एक उत्तराखंडी

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हिंदी गाणा बोल छंण ... मैं जहाँ रहूँ -
चित्रपट : नमस्ते लन्दन
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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मी रंग सरबता कु

सुप्निया छे तू , निंदी छों मि
दोईयां मिसी राति बणी
रोज ईंनि मंगणु मनौति
तेरे मेर छुँईं बणे छुँईं बणे

मी रंग सरबता कु
तू मीठू गदनीयूँ कू पाणि
मी रंग सरबता कु
तू मीठू गदनीयूँ कू पाणि
मीथे अपरा मा मिसळी दे तू
मेरु दगड़या छुँईं बण जाणि

औ दगड़या तेरु प्रिति कु छुँईंयाँ
किले समझाणु
जागि कि राति रोजी बिताणु
बल अब अगने मि कया बोलूं
औ दगड़या छुँईं लगाणी आँखि वारी जैयूं
मांगि ले पाकिगे अच् मनौति
बल अब अगने मि कया बोलूं

मीनि त सुरुक निंदी थे धागु दगड़ी
बाँधी छे सुप्निया कु गैना
मी ना जग चैन्दु
ना यु सरग चैन्दु
ऐजा तू भागा मा मेरु

तू ढंग प्रिति कु
मि जाणि क्वी नादानी
तू ढंग प्रिति कु
मि जाणि क्वी नादानी
मीथे अपरा मा मिसळी दे तू
मेरु दगड़या छुँईं बण जाणि

मी रंग सरबता कु
तू मीठू गदनीयूँ कू पाणि
मी रंग सरबता कु
तू मीठू गदनीयूँ कू पाणि
मीथे अपरा मा मिसळी दे तू
मेरु दगड़या छुँईं बण जाणि

तेरु खैलूं दगड़ी , तेरु खैलूं तकि
मेरु त रोज ऐनु जैनु
मेरु त जै भि छे
तू हे छे , तू ही च
बांकी जग ये बिराणो

तू एक यात्री छे
मि एक बाट अजाणि
तू एक यात्री छे
मि एक बाट अजाणि
मन दगड़ी मोड़ी दे तू
मेरु दगड़या छुँईं बण जाणि

मी रंग सरबता कु
तू मीठू गदनीयूँ कू पाणि
मी रंग सरबता कु
तू मीठू गदनीयूँ कू पाणि
मीथे अपरा मा मिसळी दे तू
मेरु दगड़या छुँईं बण जाणि

औ दगड़या तेरु प्रिति कु छुँईंयाँ
किले समझाणु
जागि कि राति रोजी बिताणु
बल अब अगने मि कया बोलूं
औ दगड़या छुँईं लगाणी आँखि वारी जैयूं
मांगि ले पाकिगे अच् मनौति
बल अब अगने मि कया बोलूं

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हिंदी गाणा बोल छंण ... मैं रंग शर्बतों का
चित्रपट : फटा पोस्टर निकला हीरो
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
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किले कि तू ही छे...

हम तेर बिगर अब रैह नि सकदा
तेरे बिगर कया निशाण मेरी
तै से झंडी हों जौंला
तो अपरा दगड़ी ही हों जौंला झंडी
किले कि तू ही छे
अब तू ही छे
जिंदगी अब तू ही छे
सुख बि मेर पीड़ा बि मेर
मेर माया अब तू ही छे

तेरु मेरु यु नातो कैसो
एक बेली कु बिछोह काबुल निच
तेर बाण हम रोज च जीणा
ते थे दे दीनी म्यारु बगत सबि
कबि बेल नि हो मेरु अब तेर बिणा
हरी स्वास मा नौऊ तेरु
किले कि तू ही छे...

तेरा बाण ही जियु मी
खुद थे जौ मिल दियां छन
तेर सौं ने मीथे संभाली
सारि पीड़ा थे जिकुड़ी भैर कैरेई
तेरु दगड़ मेरु भाग जोडियुं
ते पाकि मी अपरु नि रहाई
किले कि तू ही छे...

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हिंदी गाणा बोल छंण ... क्योंकि तुम ही हो...
चित्रपट :आशिकी २ (२०१३)
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

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झणी क्ख्क गैनि वो दिन

झणी क्ख्क गैनि वो दिन , बोल्दा छन तेरा बाट मा नजरि थे अपरि हम बिछोला
झणी जख क्ख्की बि तुम रहु , माया लगुंला तुम दगड़ी सरि उमरी
तुम थे ना बिसरी जौंला

म्यारा खुटा जख भी हिटा, अपर बणाई मी थे दगड़या नि...... २
मी थे रुले रुलेगे , जांदी विं फूलो कि फुलार नि
झणी क्ख्क गैनि वो दिन …

अपरा नजरि मा आच भोळ दिन बि अंधारु रात छे...... २
छैलू म्यारा दगड़ छे ,छैलू म्यारा दगड़ी छे
झणी क्ख्क गैनि वो दिन …

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हिंदी गाणा बोल छंण ... जाने कहाँ गये वोह दिन
चित्रपट : मेरा नाम जोकर
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
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