कबै कबै
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
की जनी तै कू बणई गै हौलू मेरु बाण
तू अबै से पैल सितार मा बसै छ कख
तै थै भूमी मा बुलेगे मेरू बाण
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
कै ऐ सरीर ऐ नजरी मेरू ठेही छे
ऐ लटलूँ की घानी शालो छा मेरु बाण
ऐ ऊंठा और्री ऐ बयाँ मेरू ठेही छे
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
की जणी तू मीथै चैहली उमरी भरी ई णी ही
उठेला मेरु ओर्रॆ प्रीत की नजरी ई णी ही
मी जंणदूँ तो परै छे मगरी ई णी ही
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
की जणी बजणा छा तुर्तरी सा बाटों मा
सुहग रात छा पलू उठाणू छो मी..२
सिमटणी छे तू शरमे के मेरु बयाँ मा
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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हिंदी गाणा बोल छंण ... कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
चित्रपट : कभी कभी
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण