Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 105530 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उदास भरयूँ

क्ख्क तक ये जीकोड़ थे अंधारु छलाल
उदास भरयूँ दिण कबी त बिताला

कबी सुख च कबी दुःख इनी जिंदगी च
ये मोल्यार की ऋतू बगत दोई बगत च ….(२)

नयै फुल भोळ फिर बाटा मा फुलाल
उदास भरयूँ दिण कबी त बिताला

भला तेज कित्गा बथों कू च फरफराट
मगरी अपरा जीयूं मा रखी ये भरोशा …(२)

जो बिछडायाँ छा यात्र ते थे फिर मिळाल
उदास भरयूँ दिण कबी त बिताला

बोली क्वी कुच बी मगर सच ईं च
लाटा प्रीत का जो क्ख्क उठाण़ा छंन….(२)

वें थे एक दिंण त किनार मिळाल
उदास भरयूँ दिण कबी त बिताला

क्ख्क तक ये जीकोड़ थे अंधारु छलाल
उदास भरयूँ दिण कबी त बिताला


एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हिंदी गाणा बोल छंण ... कहा तक येह मन को अँधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभी तोह ढालेंगे
चित्रपट : बातों बातों में
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कबै कबै

कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
की जनी तै कू बणई गै हौलू मेरु बाण
तू अबै से पैल सितार मा बसै छ कख
तै थै भूमी मा बुलेगे मेरू बाण
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा

कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
कै ऐ सरीर ऐ नजरी मेरू ठेही छे
ऐ लटलूँ की घानी शालो छा मेरु बाण
ऐ ऊंठा और्री ऐ बयाँ मेरू ठेही छे
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा

कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
की जणी तू मीथै चैहली उमरी भरी ई णी ही
उठेला मेरु ओर्रॆ प्रीत की नजरी ई णी ही
मी जंणदूँ तो परै छे मगरी ई णी ही
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा

कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा
की जणी बजणा छा तुर्तरी सा बाटों मा
सुहग रात छा पलू उठाणू छो मी..२
सिमटणी छे तू शरमे के मेरु बयाँ मा
कबै कबै मेरू जीयु माँ ,खैल आणू छा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हिंदी गाणा बोल छंण ... कभी कभी मेरे दिल में, ख़याल आता है
चित्रपट : कभी कभी
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
2 minutes ago
लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ

लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
आँखा भ्तेक भुंया ना पौ डू

माया भोरि संभाली ले
अपरा अंग्वाल समैई ले

कुटुंबदरी जिम्मेदरी
बोई आच खुद भांड्या आणि

लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
आँखा भ्तेक भुंया ना पौ डू

एक लेन्दा गौडू
बिस सेर अन्नाज कु पुंगडु

बुकि तिसि पुट्गी
बस चवलों को मांडू

बचे राखी सेर
मि आणु छों घारू

लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ
आँखा भ्तेक भुंया ना पौ डू

एक उत्तराखंडी

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सुणी लिंवा

अपरा रंगा मा रंगयां छिन
डंडा काठा हैरा-भैरा रंगा मा लिप्ट्या छन

देक कंन बिखरयाँ पड्यां छन
ऊँ चलूँ श्वेत रंगों मा चमक्यां छिन

गद्नि कु जलधारा बगदी राली
कुलूँ फुलूं की क्यारी खिल्दी रैली

कैन रच्यूं व्हालु कैन सूच्यु व्हालु
हे उत्तरखंड तेरु चित्र केँन् बने व्हालु

ये बाटा ये घाटा ऊँ उकलू माथा
कै कै कैथे वो धै लगाणु चा सुणी लिंवा !!!

एक उत्तराखंडी

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फूली कंवल

फूली फूली कंवल फूली
अब कि बारी ऐ पहाड़ मेरा पहाड़

दैणा व्हैजा बद्री मेरा दैणा व्हैजा केदारा
पंच प्रयाग मा जनि बगति ये गंगा की धारा

फूली फूली कंवल फूली
अब कि बारी ऐ पहाड़ मेरा पहाड़

आस जगी च
हैरा भैरा पुंगडुं की
ऊं गैल्या ज्यूँ परति आला
दुरी गिंया फूलों की

फूली फूली कंवल फूली
अब कि बारी ऐ पहाड़ मेरा पहाड़

विकास व्हालु
एक बारी फिर प्रयास व्हालु
गढ़ की बात व्हाली
ये राता की कबि त सुबेरा व्हाली

फूली फूली कंवल फूली
अब कि बारी ऐ पहाड़ मेरा पहाड़

एक उत्तराखंडी

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डाली ये

डाली डाली खुदेणी डाली ये
म्यारा अपरू कि खुद लगाणी डाली ये
डाली डाली खुदेणी डाली ये

डाला टूक चढ़ी भुंया फाल मारी ये
ले झम्पा यख ऐ बारी वख वै बारी ये
डाली डाली खुदेणी डाली ये

घाम घम पाड़ा छैन दे डाली ये
खानु खै नींदि ऐ भोरी डाला तौली ये
डाली डाली खुदेणी डाली ये

रिस्ता जम्युं नात ते दगड डाली ये
जामी रै ऐ पाड़ा मा तैमा बैठी घघुति बासी ये
डाली डाली खुदेणी डाली ये

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पाडे मा चकबंदी

पाडे मा चकबंदी
किले हम जाण शैर मा,
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी
जागि बुरंस अब ऐ पाडे मा
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी

अब ना व्हाला हाल ,
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी
हर गौंऊँ व्हालु हैर भैर
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी

पुंगडा दगडी नाता लागलु ,
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी
सुप्निया पुरु चकबंदी करेली
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी

ना उजड्ली स्यारी पुंगड़ी ,
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी
पाडे मा ही रलु अब ज्वाण
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी

गरीबी थे स्वास आली ,
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी
खुठ दगडी खुठा हिटला
पाडे मा चकबंदी पाडे मा चकबंदी

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लुक्युं रोलू ऊँ चलूँ

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झण कया बोळी ईं

झण कया बोळी ईं
दोई आंख्युं न
धै लगे जिकोड़ी ईं
ऊँ सानियोंं न

हैंसी दन्तुलि
छुची ग्लोडी बाटों
ऊपरि ओठ लसयाँण
वैल मुखडी पछाण

घुगरैल केस
झुमकी नि धैर भेस
जोगी बनि मि
तेर माया लागि फेर

झण कया बोळी ईं
दोई आंख्युं न
धै लगे जिकोड़ी ईं
ऊँ सानियोंं न

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ये घुघूती तू

मि यखी छों
तू क्ख्क बौड़ी गै ई
ये घुघूती तू
किले गौलि उबै गै ई

कुलांस नि
लगे छै च छूई
वि आमे की
डाली यकुली रोई

देक जक बि
वै तू सुण मेरी बाता
देर ना कैर झट ऐ
देक छुटू नि खानु भाता

बुरंस नि फुलणु
काफल नि पकेनि
देक बौजी रैगी बाटू हेरी
तै बिगर कैल रैबार पठेनि

ऐ जा ऐजा
ना इनि दुरी जा घघुति
पाडे थे छुडी
तू ना इनि ना रुसी जा

मि यखी छों
तू क्ख्क बौड़ी गै ई
ये घुघूती तू
किले गौलि उबै गै ई

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