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Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 27
हैंस दि रै

हैंस दि रै
तेर मुखडी हैंस दि रै …२

पीड़ा ना लुकेई
आंसूं ना इनि चूलेई
खैरी कि भासा
ईं आँखों थे ना बथेई

बिंग दि रै
तेर मुखडी ईं हैंसी थे बिंग दि रै …२

अपरी मा लगी रै
ऊपरी का ना थक खै
सबु मा बोल और्री बचे
यखुली मा ना वै थे बिसरै

खिल दि रै
बिगरैल मेरी ईं हैंसी थे खिल दि रै …२

पीड़ा ना लुकेई
आंसूं ना इनि चूलेई
खैरी कि भासा
ईं आँखों थे ना बथेई

हैंस दि रै
तेर मुखडी हैंस दि रै …२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 26
खूब रुनु छों आच

खूब रुनु छों आच यखुली काली राता मा
झन कै की खुद ऐ रूले मि कै बाता मा
खूब रुनु छों आच यखुली काली राता मा

रुन्दा रुन्दा ना थामेन्दा आंसूं ये आँख का
झन किले छे जीयु तू रुना कैकि माया मा
खूब रुनु छों आच यखुली काली राता मा

खुद बौडी ऐ किले तू किले की बौडी गै
जान्दा जान्दा ऐ गौली थे किले भीगे की गै तू
खूब रुनु छों आच यखुली काली राता मा

पीड़ा मेर दबी छे किले उखरि की गै तू
बौल्या बाने कि मी थै तेर जीकोडी चैन नि ऐ
खूब रुनु छों आच यखुली काली राता मा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 25
लगे कुदगली

लगे कुदगली
खुटे कि थेडि मा............ २
अंग्वाल ले लेकि
पिल मेर बुकी बोई ई मुखडी मा
लगे कुदगली .......

बैठी छों दूर
वै सड़की की मोड़ी मा............ २
बाबा जी कंडली की मार
तेर माया बोई कंडली भुजी मा
लगे कुदगली .......

हाथा की रेघा
किले तू खरेचि वाली आच............ २
बोई बाबा की कुदगली
लागि ये बडुळि मा
लगे कुदगली .......

लगे कुदगली
खुटे कि थेडि मा............ २
अंग्वाल ले लेकि
पिल मेर बुकी बोई ई मुखडी मा
लगे कुदगली .......

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 24
मयाल ही

मायाल ही मिलहो
मायाल ही बिछोहो
मायल ही गीत मि गैहो
बौडी जंद ते थे बौडी अंद ऐ थे
माया की अंग्वाल …२

गेड मारि माया इनि
देके ना किले कु नि
स्पर्श वै थे नि चैन्दु
आंखीं गेन्दुं नि बचेंदु
माया की अंग्वाल …२

बड़ ऊ भागी जे दारी
माया ल बाटू बैठी हेरी
मी थे चैन्दु हरी हरी
माया जिते बल माया हरि
माया की अंग्वाल …२

मायाल ही मिलहो
मायाल ही बिछोहो
मायल ही गीत मि गैहो
बौडी जंद ते थे बौडी अंद ऐ थे
माया की अंग्वाल …२

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 21
सिंकुली सै गैनी

गैनी गैनी
बिसरी गैनी
अपरा अपरा
आच सिंकुली सै गैनी

कोई नि हेरदु
रात का गैंणा
जून ते थे
सब बिसरी गैना

सुबेर कु उठानु
लग्युं वै थे घै की घेर
ध्याड़ी छूटी जाली
भूकी रै जाला फेर

गोळ मौळ
सब आच व्हैगैनि
नीरजक पाड़ि
सिंकुली सै गैनी

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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