कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
July 3
यख उमरी गुजरी गैनी
काफल टिप दि टिप दि ,बेडू खांदा खांदा
छोलों का पाणी पि दा पि दा
यख उमरी गुजरी गैनी
जीकोडी तिस बूझैंदी मिटेंदी
दोई खुटी दगडी हिट दा हिट दा
यख उमरी गुजरी गैनी
हात ना कूच बी रैई
रैगी ऊ सदनी की दोई भैना,खैरी-पीड़ा दगड़ी
यख उमरी गुजरी गैनी
इन ऐई सर चली गैनी
यूँ उकलू मिसळी गैनी , ईं गदनी बोगी गैई
यख उमरी गुजरी गैनी
अपरी मा लगी फसी रैई
झट सै गैई सिन्कोली जागी गैई
यख उमरी गुजरी गैनी
काफल टिप दि टिप दि ,बेडू खांदा खांदा
छोलों का पाणी पि दा पि दा
यख उमरी गुजरी गैनी
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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