रौतेलो मेरु पहाड़
स्वर्ग जनि धरति मेरि, हिमलाय का पास .
सरी दूनिया रौतेली होळी (रौतेलो मेरु पहाड़ ) .... ४
नंदा देवी ओर्री गौरा देवी जनमा म्यारा घार
बिगरैली तीलू रौतेली ( धन्य मेरु पहाड़) .... ४
बिशनी देवी शाह को ऊ तम तमोनू च भाल
कण बिसरि जालो मि ( मेरु पहाड़ को इतिहास ) .... ४
रानी कर्णावती कि तबै चम चमकी छे तलवार
औरंगजेब भागी गे छे (छोड़ि मेरु पहाड़) .... ४
साठ दशक मां दारू लड़ै लड़े टिंचरी माई को साहस
शराब की दुकानें जलै (आंदोलन को मेरु पहाड़) .... ४
गोरखों आक्रमण लड़ै कि गवै दे अपड़ी जान
कोलिण जगदेई देवी थे (पूजणु मेरु पहाड़) .... ४
लोकगीतों पंवाड़ों मां यूँ सबु थे मिली मान
वीर नारी वीरांगनाओं ( धरति मेरु पहाड़) .... ४
पहाड़ा की नारी को पहाड़ा मा ना मिली सास
काम काज गीजी रैंदी (सदनी मेरु पहाड़) .... ४
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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मुखड़ा चंदोला दीदी ने लिखी है धन्यवाद दीदी