Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 64326 times)

devbhumi

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गदगदु

गदगदु , गंगलोड़ा
गंज्यलि सि तू दिखे
गणम गणत गणन मेर
कन भग्यानी सि वा चिफलै
गईंण को गग्डाट सि तू
गगरणय गच्च तू भोरीगे
मिथे ई गजबज कैरी कि
गज्जी बाटो सत सुति गे
गजर बजर ह्वैग्यौं मि
गछ्याणो सि मि लगियूं
कै गाम कि छे
तू गदगदु , गंगलोड़ा
मि तै दगडी बचयांणा भुलिग्युं

बालकृष्ण डी ध्यानी
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खखड़ाट तेर माया को

खखड़ाट तेर माया को
तेरी छुयों मां मिथे ह्वैगयाई

कन कनि बात बोल्दी तेन
ऐ ज्यू मां खिडकड़त ह्वैगयाई

ओं आंख्युं का बगदा आंसु
किलै  आज इन अलुणया लग्यां छन

तुमरी  ऐगे आज पैली खुद मिथे
वा टवटपि  लूँणकूटण  कैगयाई   

खखड़ाट तेर माया को  .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मिथे त यन लग

मिथे त यन लग
सब अपडा छन क्वी ना यख परया
हाक दि मिन  जब 
क्वी न मिळू अपड़ो मिली सबै यख परया
मिथे त यन लग  ...............

जैन गोली खे उत्तराखंड जै बोली छे
कख लुक गै ह्वलू ऊ सब आज
दिखदा नि किलै कि क्वी छ्या जो अपड़ा कबि
कख लुकगै ह्वलू ऊको सुपनियूं  को गढ़ आज
मिथे त यन लग  ...............

सदनी यखुली छाय उ यखुली ही रालो
पीड़ा अपड़ी छाय वा अपड़ी ही राली
कैला नि आनु रे बगता आंसू पोछणा कोन
खैरी का ढोंगा ऐ उकाळो मां ठोलणा कोन
मिथे त यन लग  ...............

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जग्वालु रे

ऐथर बी समण आनु छ जग्वालु रे
पैथर बी जाणू छ बल बस जग्वालु रे

ठुलदा ठुलदा रैगे बल बस वैथे उकालो रे
नपद नपद रैगे बल बस वैथेई ऐ उन्धारु रे 

कैरी भी क्य कर सकद बल तूछे जग्वालु रे
बेटी ब्वारियों को आस को बल बस तू अंग्लो रे

जग्वालु कुजाणि कख कख आज लुकायूं व्हालू
जख बी जांद मेर नजर वख जग्वालु खडियूं  व्हालू

ऐथर बी समण आनु छ जग्वालु रे
पैथर बी जाणू छ बल बस जग्वालु रे

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चुळमुळु ई पोट्गी

चुळमुळु ई पोट्गी
किलै आह कनि छा आज
कया हुलु आज ब्वै न
रसोड़ मा पकैई
नकोडी किलै सुंघणी च कया छ
चुळमुळु ई पोट्गी  ......

गहता को रवाटो पकैई
भांगा की थींचि चटनी को साथ 
दूर किंकरलो घियु हैस्णु
थींच्यु प्याज दगड किलै आज
चळमुळु ई पोट्गी  ......

भैर भित्र  कैनु मेरु चुळमुळु  ज्यू
कब बोई मिथे देली रसोड़ भत्ते हाक
कब मि जैकी सपड़ा सपोड़ि करलों
कब मेर चुळमुळु पोट्गी होली शांत
चळमुळु ई पोट्गी  ......

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ऐ टिपडा

हाता कि रेघा
या वा माथा कि रेघा
टिपडा तू  गिणदे गिणदे
तिल कया दयाख कया ल्याख

नौ गिरह का दोष छ लग्युं
क्वी ऊंचो छ त क्वी छ निचो
कैमा शनि की दसा लगिं छ
कैमा गुरु ह्वैगे हुलु अब फ़िदा

गुण नी जूडला त टिपडा नि मिळाला
टिपडा नि मिळाला ना नौनी नि मिळाली
नौनी नि मिळाली त ब्यो नि ह्वलू
त अग्ने को औरृ कर्म कांडा नि चललो

राजी-खुशी रंया सबि रन्त-रैबार
टिपडा तू खुश छे त खुश घरबार
ऐ राशि भत्ते तू वै राशि मा जालो
कुच ना कुच अछु भलो त कैरी जालो

जन्म भत्तेक मि मोरी भी जालो
टिपडा मेरु तू म्यार पिछने - २ आलो
पुरू कर्म कि तू गवाई मेरु देलो
जबै चित्रगुप्त  मेरु टिपडू उघडलो

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ऐ धाक

ऐ धाक का बाना
छूटो म्यारू
गौं गोठ्यार
पगडयुं धार

ऐ धाक
तू बणी कैक बान
ऐई बिचार
ह्वैगे ऊ बेकार

ऐ धाक
रौड़ी कख कख तू
कख तू पौड़ी
मिथे बथा 

ऐ धाक
नि राई तू कैमा जमा
बल बौगी ग्याई
इत्गा ही रैगे जमा

ऐ धाक .......
 
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मिसाणु... रे

मिसाणु.  मेरु  ....  २ 
द्वि आखर घोट घोट  कि
पड्या छन यन
औ जिकोडी को भेद गेड कि
गीत मेर यन प्रीत मेरा
मिसाणु ... रे  (मिसाणु मेरु)  ....  २

आंदा कबि वा  कबारा वा   
हेरदि मिथे घेरदि
अग्वाली मा लेकि जांद
फुर ऊ कख गुम  ह्वैजांदा
मिसाणु ... रे (मिसाणु मेरु)  .... २

म्यरु लिख्याँ ऊ गानो रे
रुन्दरों थे ऊ खूब हैसाणु रे 
बल ऊ रुवै की मिथे ग्याई
मिल हैंसी कि वैथे पंख लगैई
मिसाणु ... रे (मिसाणु मेरु)  .... २

बल बगत को ऊ सब जोड़ छन
म्यारा  भग्यान कख औरृ छन
खोजी खोजी की नि मिलणू रे
जै आखर थे मिन गठ्याणू रे
मिसाणु ... रे (मिसाणु मेरु)  .... २

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अचणचक

कख लुकी गे ह्वालो
ब्याळि को ओ रुमक म्यारू
ब्याळि तक छाय जो भंगयान  म्यारा
कख हर्चिगयां ह्वाला अचणचक आज

खोजी की ले आवा  औंथे
ऐ अगास पाताल भतेक तुम
भांड्यां खुद आणि च
औंकि किले की मीथे आज

अचणचक कया ह्वैई
द्वि साँसों गेड कीले छूट ग्याई आज
को बगत  काल बनिकी ऐई
लेकि चली गैई औंथे अपड़ो साथ

ओं माया को हाथ खोज्नु मि
जै हाथ न खिलै मि  दाल भात 
किलै रूसैग्याई ऐ बगत आज
किलै नि हुणु मि बिस्वास

कख लुकी गे ह्वालो  .........................

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ऐ जावा कागा

ऐ जावा कागा ऐ जावा कागा
दुधि भाति पकी छा खै जावा कागा
खै जावा कागा
ऐ जावा कागा ऐ

मेरु पितरों को श्राद्ध
अर्पण कै  जावा  .... २
मेरो तर्पण थे तुम
स्वीकार कै जावा औ

तन मन लगै कि
मिन ऐ सेवा किं छ .... २
स्वीकार कैरि कि पितृ को
आशीष दे जावा

सफळ सुफळ रख्यां
मेरो गढ़ देश थे .... २
संस्कारों ही जीबन
ध्यानी थे  धन्या  कै जावा औ

ऐ जावा कागा  .....

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