गढ़वाली भाषा है बोली नहीं- डॉ. नंदकिशोर ढौंडियाल, विनसर पब्लिशिंग
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गढ़वाली मांगळ- तोताराम ढौंडियाल ‘जिज्ञासु’, ;संपादकद्ध, मांगळ गीत, धाद
प्रकाशन, देहरादून, सन् 2009, पृष्ठ 68.
गढ़वाली लोकगाथाएं- गोविन्द चातक, मोहनी प्रकाशन, देहरादून सन् 1958,
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गढ़वाली लोकगीत- गोविन्द चातक, सन् 1955.
गढ़वाली लोकसाहित्य का विवेचनात्मक अध्ययन- मोहनलाल बाबुलकर,
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गढ़वाली हिंदी कहावत कोश- चन्द्रशेखर आजाद, कोशगढ़
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गढ़वाली हिंदी शब्दकोश- अरविंद पुरोहित एवं बीना बेंजवाल, ;संपादन-
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गढ़ विनोदिनी- रुद्रमणि रतूड़ी, कविता, सन् 1952, पृ. 32.
गढ़ साहित्य सोपान- जीवानंद श्रीयालगढ़
सुम्याळ- शिवनारायण सिंह बिष्ट, कविता, सन् 1996.
गाड म्येटिक गंगा- अबोधबंधु बहुगुणा, ;संपादकद्ध अलकनन्दा प्रकाशन, नई
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गाण्यूँ कि गंगा स्याण्यूँ का समोदर- नरेन्द्र सिंह नेगी, कविता संग्रह, विनसर
पब्लिशिंग कं., देहरादून, सन् 1999, पृष्ठ 80.
गारि- दुर्गाप्रसाद घिल्डियाल, कहानी संग्रह, रामकृष्णपुरम, नई दिल्ली, सन्
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गीत गढ़वाळ- रणजीत सिंह बुटोला, कवितागीत
गुँगणाट- बेनी माधव ध्यानी, देव प्रकाशन, दुगड्डा, सन् 1990 पृष्ठ 40.
गितांग- गुणानंद पथिक, कविता संग्रह, नेहरू कॉलोनी, देहरादून, सन् 1983,
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गुठ्यार- रघुवीर सिंह रावत ‘अयाळ’, कवितागैत्र
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गैंणि का नौं पर- हर्ष ‘पर्वतीय’ कहानी, समय-साक्ष्य, देहरादून, सन् 2004, पृष्ठ 48.
गौं किले उजड़ना छन- उमाशंकर थपलियाल ‘समदर्शी’, कविता, श्री
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ग्वथनी गौं बटे- मदनमोहन डुकलान ;संपादकद्ध, कविता संग्रह, हिमालय लोक
साहित्य एवं संस्कृति ट्रस्ट, देहरादून, सन् 2002, पृष्ठ 84.