Author Topic: Difference in Uttarakhandi Spoken Language - उत्तराखंडी की बोलियों में अंतर  (Read 19371 times)

Risky Pathak

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गंगोली बोली में: एक टैम मे द्वि नामि पैग छी, एक पुरबक कूण म, दुहर पश्चिम दिशा रूछी। एकक नाम सुन बेर दुहर रीशैल भर जाछी। एकक घर बति दुहरक घर जान मे १२ बर्सक बाट हिटन पणछी।

अब देखिये हिंदी का यह वाक्य और उत्तराखंड के अलग -२ बोलियों में इसका किस प्रकार अनुवाद में अंतर है !

हिंदी में :  एक समय में दो विख्यात शूरवीर थे, एक पूर्व के कोने में, दूसरा पश्चिम दिशा के कोने में रहता था! एक का नाम सुनकर दूसरा जल भुन जाता था ! एक के घर से दूसरे के घर जाने में १२ वर्ष का मार्ग चलना पड़ता था !


अल्मोडिया बोली में :  कै समय में द्वी नामि पैक एक पूरब दिशा का कुण में, दोहरो पछो का कुण में रौछिया! याक को नाम सुणिभेर दोहरो रीस में भरी रौछियो, हौर एक का घर बटी दोहरा को घर १२ वर्ष को बाटो ताड़ छियो !


Risky Pathak

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गंगोली बोली में: कां जाणा छा?







वैसे तो कुमाऊनी बोली के कुछ ही रुप हैं, भाव और शब्द लगभग एक हैं, हां, उच्चारण में कहीं-कहीं थोड़ा अन्तर है। जैसे-

कहां जा रहे हो? (हिन्दी)
कां झान मरिछे? (सोरयाली)
कां जानोछा? (अल्मोड़ा, बारामंडल)
कां जामछा? (पाली पछाऊं की ओर)
कख जाणा चा? (गढ़वाली)


Risky Pathak

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कङी को गंगोली इलाके मे "पयो" कहा जाता है जबकी दन्पुरिया बोली मे इसे "झोयी" कहा जाता है।

Risky Pathak

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इसी तरह बागेश्वर जिले में जिस पक्षी को "लमपुछडी" कहा जाता है उसे गंगोली बोली मे "करौली" कहा जाता है।



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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See the under mentioned line :
 

हिंदी में :  एक समय में दो विख्यात शूरवीर थे, एक पूर्व के कोने में, दूसरा पश्चिम दिशा के कोने में रहता था! एक का नाम सुनकर दूसरा जल भुन जाता था ! एक के घर से दूसरे के घर जाने में १२ वर्ष का मार्ग चलना पड़ता था !

काली कुमाउ में :  कै वकत में द्विजन बड़ा वीर छ्या ! एक जन पूर्व का कुना में, दोसरो पश्चिम का कुनो में रैछो ! एक का नाम सुनबेर दोसरो भारी रीस में जल्छो! एक का घर बटी दोसरा का घर बार वर्ष का बाटा दूर छो! ( इनकी बोली में,खन, ग्यान शब्द की काम आते है)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Now See this :
 
हिंदी में :  एक समय में दो विख्यात शूरवीर थे, एक पूर्व के कोने में, दूसरा पश्चिम दिशा के कोने में रहता था! एक का नाम सुनकर दूसरा जल भुन जाता था ! एक के घर से दूसरे के घर जाने में १२ वर्ष का मार्ग चलना पड़ता था !

शोर की बोली में :  कै बखत में में द्वी बड़ा जोधा छ्या, एक पूर्व का कोन दोसरो पश्चिम का कोन में रैछियो,एक को नाम सुनबेर दूसरो जलछियो! एक को घर दुसरा का घर बटी १२ वर्ष को बाटो छयो!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हिंदी में :  एक समय में दो विख्यात शूरवीर थे, एक पूर्व के कोने में, दूसरा पश्चिम दिशा के कोने में रहता था! एक का नाम सुनकर दूसरा जल भुन जाता था ! एक के घर से दूसरे के घर जाने में १२ वर्ष का मार्ग चलना पड़ता था !

पाली पछाऊ की बोली में : कै दिना में द्वी गाहिन पैक छिया ! येक पूर्व का कूँण में रह छियो, दूसरो पश्चिम का कूँण में रह छियो! एक क नौ सुनी बेर जल छियो ! येक क ध्याल दुहरक ध्याल है बेर १२ वर्ष क बट में छि !

Devbhoomi,Uttarakhand

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दोस्तों जैसा की आप सभी जानतें हैं कि- उत्तराखंड मैं जितनी भी भाषाएँ बोले जाती हैं उनमें ज्यादा अंतर नहीं है ! और सीखने मैं भी बहुत ही आसान हैं अगर कोई कोशिस करे तो,जैसा कि गढ़वाली और शोर कि बोली मैं काफी मिलती जुलती है और काली कुमाऊँ और कुमाउनी मैं भी ज्यादा अंतर नहीं जो कुमौनी बोलतें हैं वो आसानी से काली कुमाऊं को समझ और बोल सकते हैं इसी तरह जो गढ़वाली जानता है उसको शोर कि बोली बोलने और समझने मैं कोई परेसानी  नहीं है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हिंदी में :  एक समय में दो विख्यात शूरवीर थे, एक पूर्व के कोने में, दूसरा पश्चिम दिशा के कोने में रहता था! एक का नाम सुनकर दूसरा जल भुन जाता था ! एक के घर से दूसरे के घर जाने में १२ वर्ष का मार्ग चलना पड़ता था !



जोहार  भोट :  कै दिनन या द्वी बड़ा हामदार भाआड़ छिया! एक पूर्व का काण मा दुहरो पश्चिम काण मा रौ थी ! एक क नौ सुनी बेर दुहरो जल थी ! हौर एक क कुडो बटी दुहरा को कुडो बारे वर्ष टार थी ! 


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हिंदी में :  एक समय में दो विख्यात शूरवीर थे, एक पूर्व के कोने में, दूसरा पश्चिम दिशा के कोने में रहता था! एक का नाम सुनकर दूसरा जल भुन जाता था ! एक के घर से दूसरे के घर जाने में १२ वर्ष का मार्ग चलना पड़ता था !

दानपुर को बोली में : पेल बखत मा इ दो देख्वा भड़ छिलो! एक हाड़ी पूर्व दिशाक छोड़ मा दूसरो पश्चिम दिशाक मा रोनिलो ! याकक नाम सुण बेर लो दूसरो आग भी लागी जानी हाड़ी! याका क घर लो दुसराक घर बटी बार वर्ष का बाट छिलो !

 

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