Author Topic: Difference in Uttarakhandi Spoken Language - उत्तराखंडी की बोलियों में अंतर  (Read 19756 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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गढ़वाल मैं प्रचलित बोलियाँ

ग्रिय्सर्ण और सुनीत कुमार आदि विद्वान गढ़वाली को हिंदी की ही बोली मानते हैं क्योंकि यह हिंदी के निकट है गढ़वाली स्थान-स्थान पर बदलती है !


हिंदी मैं -किसी आदमी के दो लड़के थे !


१-बधाणी-पिंडर और नंदाकिनी नदी के मध्य छेत्र बधाण पट्टी कहलाता है इस छेत्र के आस  पास बधाणी बोली जाती है
(कै आदमी का द्वि छिचोडी छया)


२-मांझ कुमैन्यां-कुमाऊँ के सल्गन छेत्र मैं बोली जाने वाली इस बोली मैं अनेक शब्द कुमाऊँ के मिश्रित ही गए हैं ,इसलिए इसे मांझ कुमैन्यां नाम से पुकारा जाता है
(कै मैस का द्वि चेला छ्या )

३-श्रीनगरी-इस प्रकार की बोली गढ़वाल की प्राचीन राजधानी श्रीनगर के अतिरिक्त देवल तथा पोडी के आस-पास के छेत्रों मैं बोली जाती हैं !
(कै आदमी का द्वि नौनीयाल छ्या)


४-सलाणी-सलाण छेत्र के अर्न्तगत बोली जाने वाली बोली सलाणी कहलाती है !
(कै झणा का द्वि नौना छ्या)


५-नागपुरिया -चमोली जनपद मैं नागपुर पट्टी तथा उसके सल्गन छेत्रों मैं बोली जाने वाली बोली नागपुरिया कहलाती है !
(कै बैख़ का द्वि लौड़ा छ्या )

६-गंगपरिया-टिहरी गढ़वाल मैं बोली जाने वाली बोली गंगपरिया कही जाती है
(एक झणा का द्वि नौनियाल थया)


७-लोहब्या-रात के सलग्न लोहाब पट्टी खंसर तथा गैरसैण आदि के आस-पास लोहाब्या बोली जाती है
(कै कजेका द्वि नॉन छाय )

८-राठी -कुमाऊँ से सलग्न दुतातोली,बिनसर और थलिसैण आदि छेत्रों को रात कहते हैं और उनकी बोली राठी कहलाती है
(कै मनखी का द्वि लौड़ छाया )


९-दसौल्य-यह छेत्र नागपुर पटी के सलग्न है !दसौली पट्टी मैं बोली जाने वाली बोली दसौल्या कहलाती है
(कई आदमी का द्वि लाडिक छया )


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जैसे की देव भूमि जी लिखा है : 

उत्तराखंड की बोली जानी वाली कुछ जगह और हल्का -२ अंतर है, जैसे लड़के लिए इन भाषाओ  कैसा अंतर है :

  -   छियोद    -  बैधानी भाषा में -   पिंडर, नंदाकिनी
  -  नौनियाल -  श्रीनगरी की भाषा में, गंगपरिया . टेहरी की भाषा में .
  -   नौना      -  सलानी भाषा में
  -   लौडा      -   श्री नगरी
  -   छिओड   -   कुमाओं में भी लड़के ले लिए कहते है ! 

Vidya D. Joshi

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Mehta ji,
Actually no differences can be seen between the dialects spoken either side of Indo- Nepal boarder of Dharchula and Darchula.  Moreover many of them are of the same family. But Being Nepali a National language of Nepal on Nepal side there is clear influence of Nepali language. 





The language of Dharchula (pithogarah) is slightly inspired with Nepali since this belt share the border of India and Nepal

Devbhoomi,Uttarakhand

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                                   कुमाऊँ मैं प्रचलित बोलियाँ

हिन्दीं मैं -एक समय मैं दो विख्यात योद्धा थे !

१-अस्कोटी-पिथौरागढ़ जनपद मैं सीरा छेत्र के उत्तर पूर्व मैं अस्कोट के आस-पास बोली जाने वाली बोली अस्कोटी कही जाती है इस बोली पर सीराली नेपाली और जोहारी,बोलियों का अधिक प्रभाव है !
(कै  बखत मा द्वि नामि पैक छि )


२-सीराली -सीर छेत्र की बोली सीराली कहलाती है पिथौरागढ़ जनपद मैं अस्कोट के पश्चिम और गंगोली के पूर्व का छेत्र सीर कहलाता है !
(कै बखत मा द्वि नामि पैक छयो )


३-सोर्याली -पिथौरागढ़ जनपद के सोर परगने की बोली सोर्याली है !पूर्व मैं काली नदी दक्षिण मैं सरयू .पश्चिम मैं पूर्वी रामगंगा और उत्तर मैं सीरा से घिरे छेत्र की बोली सोर्याली है !
(कै बखत मा दवी बड़ा जोधा छ्या )


४-कुमय्याँ -काली कुमौउनु की बोली कुमय्याँ या कुमाई कहलाती है यह बोली उत्तर मैं पनार और सरयू ,पूर्व मैं काली पश्चिम मैं देवीधुरा तथा दक्षिण मैं टनकपुर तक बोली जाती है !
(कै वक़्त मैं द्वी बड़ा वीर छ्या)


५-गंगोली -गंगोलीहाट के आस-पास की बोली गंगोली कहलाती है !यह छेत्र पश्चिम मैं दानपुर ,दक्षिण मैं सरयू,उत्तर मैं रामगंगा,व पूर्व मैं सोर तक फैला है !
(कै बखत में द्वी बड़ा जोधा छ्यां)


६-दनपुरिया-अल्मोडा जनपद के दानपुर के  परगने की बोली दनपुरिया कहलाती है दान्पुरिया में महाप्राण ध्वनियों के उचारण का अभाव है !
(पैल बखत माई दो देब्यां भड छिलो)


७-चौगार्खिया -यह छेत्र काली कुमाऊँ के उत्तर पश्चिम से लेकर ,पश्चिम में बारामंडल परगने तक फैला है!
(कै समय में द्वी नामि पैक छि )


८-खसपर्जिया-यह छेत्र अल्मोडा के बारामंडल परगने में बोली जाने वाली बोली खसपर्जिया कहलाती है !कुमाऊँ में अतीत में खस जाति का प्रभुत्व रहा है!उसकी बोली खसिया कही जाति है !
(कै समय में द्वी नामि पैक छि )



९-पछाई- अल्मोडा जनपद के पाली पछाऊं छेत्र की बोली पछाई कही जाति है !पल्द्कोट ,रानीखेत,द्वारहाट,मासी तथा चौखुटिया इस बोली के प्रमुख केंद्र हैं!
(कै दिन मा द्वी गाहिन पैक छिया )


१०-रौ-चौभैन्सी -उत्तर पूर्वी नैनीताल जनपद के रौ और चौभेंसी छेत्र में बोली जाने वाली बोली रौ-चौभेंसी है !
(कै ज़माना मा जी दुई नामवर पैक छिया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Wishes Karne liye :

  1..  Kumaon ki Taraf  -  Pailag word is generally used.

  2.   In Jaunsar area, Uttarkashi area - Samanay word is used for wish.

 

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