Author Topic: Exclusive Garhwali Language Stories -विशिष्ठ गढ़वाली कथाये!  (Read 48861 times)

Bhishma Kukreti

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गढ़वाली भाषा का प्रथम उपन्यास  का कुछ अंश           

 

                            ब्यळमु -ब्यूराळ


                   उपन्यासकार - बलदेव प्रसाद नौटियाल (कड़ाकोट, गग्वाड़स्यूं , पौ.ग. १८९५-१९८१ )   

                                      रचनाकाल- १९४०

                   प्रकाशक- गढवाली साहित्य परिषद् , लाहौर

                    इंटरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती 


           चमलोतड़ सिंग , लोक बदन , माळ का बद्युन को नौनो छौ. हर्बि  जन्नि स्कूल जा ण लगे, इस्कूल्या वे सणि   चिरडौण अर चुगन्यौण लगिने . बाठाअ  बटवैइ  तक वै सणि उळयौण लगिने, हीरे चिमडू -चिमड़ा तड़काला त्वे ! ब्वेबुबों कि ढोलक अर लांग छोडिइ   अब पंडित बण लगि गै. हैं! त्यरी दीदि  भूलि  नाचण गाण का नकचौलौं मान आंछरी बणिइ द्यसू की रस्याळु  उडालि, ब्वेबुबा रातु रातु स्वांग बणाइक भस्य्ला, गवणौ  का बिकः नमान खल्याणअ मळयौ  की चाअर घुजकुड्या ह्वेक अर अग्वाड़ी -पिछाड़ी , ढेस -तीर, कख्वडौं-कख्वडौं , रळबिजळ बैठिक ऊंको भासेणो सूणला, निअडौंदारौं  का छ्वबुन्द्या सांद आफु बि भासेणो आर उंदारौणो सीखला, ऊं सनकौंद  अर आँखा  नचौन्द देखला, हहह !  हिहिहि ! '  हैंसला त्यरी ब्वे बादण  चौन्त्युर का मुड ऐंच घाघरा का फफराट   कअरलि , पल्ला , पसारीइ  इनाम किताब मांगलि.  गौं का सिंग्याळ  स्वांग द्यखदि दौं गंडेळअ सी सिंग गाडीइ   अगन्याई ह्व़े जाला. देंदी धांसिंग भितनाई खैंचीइ घाघराइ झिमलाट मा हाटी का कोणों जाने सरकला. ! ओलेअर  ऊं दिखाई तड़बड़-तड़बड़ ताळी 

बजाला , खुटा घुर्सी -  घुर्सिक हैंसला ! फीर बाद्दी बादेण  सिंग्याळ - ज्वंग्याळ आर सेट-सौकानी का स्वांग द्यखाला, सबा मा हैन्सारत पोडली ! गौं की छमना मोर्युं आर दुंळो  बिटि बाद्दि का भंड्वळौ  आर बाद्यणि का नकचौलौं पर खितड़क हैंसलि अर सौजाड़यौं

चुगन्यालि !  आर टु यख 'बिसगुणु खा ! कंदड़ खा ! (बिजगनी क कन्दानु का , ) का उलटा जप से गअळो खराप कन्नु और आपणो धर्म-यमान बिगाणणु  छै।" 

      चिमडु यूँ हवळि का कजीलै छरौळयूँन  बिछान ऐ गे . उ नि रै इ सौक्यो . वेन अपणा नना मा बोले.  वेका ननान भेख्राज गाडे आर वेको मुंड माठी देय . हींग लगि ना फटगडि , नाई बुलौण पोडे  ना न्युटर, बामण त ये कलजुग मा जैन पुछणाइ  छौ! पुराणौ का साक्युं का ज्रायाँ भेखराज न इ  खटड़म-थचड़क खुटर - खुटर मुंड को घोल नीछि-नाछीइ, ल्वंच्याइ-ल्वंच्याइक , कूड़ाअ कअरा की काख पर बाळ- ऊळा को थुपड़ी लगे दे घोल का उड्या पंछि, ल्वेसुरा बच्चा आर घुसराण्या , किटगणयाँ, फिटगणयाँ  आंडरु उळा का पिलौं दगड़ी हड़हड़  घिलमंडी  ख्यन लगिने . खुस्यलोँ चिम्लाट जानू ब्वलेंद किन्ना बरखणा होन. चिमडु  का बर्मंड पर फैड़ी लगि गैने . माळ का बाद्युं नौना की जड़यूण ह्वेगे .उ डौळि मुंडि ल्हेंइक हैकि इस्कूल मा बिसगुण खा ! कन्दूड़ खा ! की संता संता का संतराड़ा से ज्यू छूवडाइक चिमराट चिम्राट अर चबराट का शांत कोठो का कोंसळा बणौण लगे- एक दोअणा द्वी दोण ! द्वी दोअणा चार दोण .

          छ्वूटा मा चिमड़ पाअड़ी गौं मा आपणा माई ममौं का यख जिरू जरू जिवाळ  लगाइक मिसपिगुड़ाआर कळजेंट मार्या करदु छौ. वैको नना मनसाराम जी घाट को मुर्दा ह्व़े गे छौ . दांत खुर सौब झअडि गै छा. दिन मा, जब जौ जनाना पुंगड़ा चलि जांदा छ्या उ बिस्गुण सुकाया करदा छा  आर गुठ्यार मां जाळ  ल्म्तम कैक घ्यंडुड़ा  आर घुगतौं की रासी मा बैठ्याँ रंअदा छा. कबारी जब कैइ औंदा- जौंदाअ  झिमलाटअन सग्वाड़ाअ खडिक पर घकचक  मा बैठ्याँ घ्यंडड़ो डार फुर्र उड़ी जांदी छै , आर उर्ख्याल़ा  ढेस- मळौणि  जुप जुप बैठण  वाळा आर दिवालि  का दान्दा पर मोंण  गडण वाळा घुगता इनाई उनाई टपराइक आपणा उड़ाण- खांटलोँ ल्हेइक सटगि  जांद छा; आर लोळा भौण्याअ ण भसराअ, ज्यूजळौण्या स्यंटुल़ा छौदाणा  मू सबा लगाइक 'चुचुचू ! टुर्र-टुर्र , च्वीं च्वीं , ढेंचु- ढेंचु ! मंसाराम जी की खौळ  कन्न लगदा छा,  तब ऊं का मुंडाअ लटला खड़ा ह्व़े जांद छा, ऊं की जिकुडि   मा ततलाट मची जान्दो छौ आर दाअडि  किटिकिटिइ गाळि देण लगदा छा.... 

          असूज-कातिग  और चैत-बैसाख आर भटग  रुड्यू   बी चिमड़ पान्चा सातां दिन गौं का ख्यचर्या गवैर छवारौं बटोळिक पंछ्युं  का घ्वलू की चराख्वडि मा पाक्युन दुरु दुरु का भेळा-भंगार , बोण- बळवुंडा, बाड़ी-बड्यार, बोट-ब्वट्या, ढया-खया, गाड-गदना, चंगी औंदो छौ. कखी आंडरु  फोड़ीइ घोल उज्याडि देन्दु छौ, कखी ल्वे-पाणी का फुकणा, घ्वलु का ल्वैसुरा  बच्चों रुगडिक स्वटगिन धडकौंदु छौ, आर उ ? उ चीं ! क्यां-प्यां जनु  ब्वलेंद   वेका हुंदा- जलमदौ कु रोणअ हों ! फीर अज्ञलू झाड़ीअ ग्वफळौ आर सौळक्यडौ   मा भड्याइक गौणि टांगणि , बूटी बाटि आफ चाटगाई छौ आर फान्जगा-फुन्जगा , आन्दड़ा प्यंदड़ा   दगडा का फंडध्वळयाँ  , अबोळ  अखळेड ग्वैर छवारों ग्वल्याई  देंदो छौ! कैकी सुता जाग न जाग , क्वीइ ध्यणो चा  झिंझडौ, चिमड़ की हुकुम अर्दुली क्वीइ नि कै सकदो छौ (तड़कौणे जीइ डअर रअन्दी  छे . खिर्साइक  कैइ  नाणा केणा नौना की कुंगळि  हात्युं आर स्वाळि  सि  गल्वाड़ तड़काई देव त उत बबराटनै  मोंअरि जाव !)  सौंजड्यों आर दगडा का काणा-कच्चों दगड नादिरसा अ छौ! काणों देखीअ  वेका मुख पर मड्याञण पोड़ी जांदी छै! आर जथे गरुड़ रिटद छौ उथे बिटि झप आँखा बुजी देन्दु छौ ! वे दिन हिंग्वसा   न कागा द्योल लम्योंद   कागू का ठञठु  का  ठवल्लौ से डाळा बिटि लमडद लमडद जोई बचे ! आर गरुड़ न त उ कफ़न  काई भेळ जोग  कै यालि  छौ!  सांसु देखा न वे चाडा पर चणण  लगे. आर उ बि गरुडो द्योल खंदरोंळू !

                 ह्युन्द्- हिंवाळु  चिमड़ गोद्युं को झमणाट  ल्हेइक रातु-रातु नजखाण तांइ निपण्या चिमचोण्या  गदनो रउ रउ की पैमाईस करदू रअदु उन्द    छौ, आर बिन्सर्या धोरा झुळमुळ  उठीअ फीर गदन्यू  पौंछ जान्दो छौ. गडवाळ -उड्याळ  त दीनैइ  ख्वचरीइ    दुंळयूँ क्या होणा छा, हाँ कैकी गोद्युं पर क्वीई माछी प्वड़ीइ होन त ऊं घर ल्हाई जांदू छौ आर ऊं की जगा आपणी गोद्युं डौखा खण्याइ औंदु छौ.

  सयाणा मा, जौं दिनु चमलो तड़ सिंग कालेज मा पढ़दु छौ, एक दिन उ ठाकुर जीहोस सिंग की बन्दुक ल्हेइक छत का बर्वठाअ  भितर मल्यों  का दोब मा बैठे . मल्यों डर्या छा ऐ नीन . कागो आय , वेण कागा पर इ फैर कर दिने . बस जी, ब्याखुनदा  कागा को चांजोपांजो, निछानिछी चीर फाड़ सुरु ह्व़े गे. मैणमस्यालों  दगड़ी भूटिभाटिक , उज्याई - गळाइक , अखंडि  बणाइक तंदूराअ ढुंगळौ   दगड़ी चाटी -पूंजीइ खैगे ! ब्वन लगे मॉस इ त च  ! कळजेट को हो चा कागा को ! हमन बोले अजी दागदार जी, तुमन एक गलती कर दिने . छ, यपाडा  का आंडरु  आर कुर्गळा पीसिक बी धोळि  छा ट हौर सवादी ह्व़े जांदु! द्वी फुल्का  गअळा   उंदी हौर छीरि जांदा . दगड्या  खौंळेइ गैने , घंकाणेइ गैने, ! हैका दिन ऊन उ देरो ई छोडि देय. 


 
  आभार- गाड म्यटेकी  गंगा - पृष्ट १८१-१८३     

Bhishma Kukreti

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Mamakot: A Garhwali Story about Conflict between inner consciousness and reality

(Review of Garhwali Story Collection ‘Joni Par Chhapu Kiali?’ (1967) written by Mohan Lal Negi)

                                         Bhishma Kukreti

            The Garhwali story ‘Mamakot’ part of the story collection ‘Joni Par Chhapu Kiali' by Mohan Lal Negi is about two children Javaru and Surutu. Javaru and Surutu are great friends in the village. They roam together in forests, water sources, collect flowers, etc. They were waiting for school results so that on holiday they could visit their Mamakot (mother’s parent’s village). Surutu did not pass the exam and did not visit his Mamakot. However, Javaru is able to visit his Mamakot. In ‘Mamakot’, Javru saw many things and ate many eatables. However, there he did not see pine fruit (Chhyunti). The story deals again even after getting many things; even after getting new knowledge; there is something left to attain. The storytelling style is very simple and has no surprise or twist in the tail. The story is able to depict children's curiosity and enthusiasm for newer adventures and then frustration for not getting what others have. 
               The phrases are according to time, place, and class of characters.
Copyright@ Bhishma Kukreti, 10/6/2012 

Bhishma Kukreti

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Bedvart: Garhwali story depicting Struggle of Badi-Badan (a dancing class)
 
(Review of ‘Joni par Chhapu kilai? (1967) story collection by Mohan Lal Negi)

                                  Bhishma Kukreti

               Bed or Badi is a dancing singing class of Garhwal. It is said that they originated from the body dirt (Mail) of lord shiva). They not only sing and dance but play adventurous games to entertain the people –lang khilan it is believed that the land becomes more fertile after lang-play.
   Mohan Lal Negi depicts the struggle of the Bed-Badi community. He describes one type of Lang where Bed/Badi slips through a long rope along the side of the hill and in this way he could die too. The storyteller could show the readers the struggle and adventure of the Bad- Bed community in Bedvart. For the sake of their Thakurs, the Bed or Badi were ready to play with their lives.
           Bedvat is the second story in Garhwali that shows the life of Badi community very seriously. The first was the novel 'Byalmu –Biral (1940) by Baldev Prasad Nautiyal.

Copyright@ Bhishma Kukreti, 11/6/2012

Bhishma Kukreti

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राजनीति विषयक गढवाली कथाएं- २

                             

                                               खड़क सिंग जीक मंत्री पद का बान चड़क

 

                                                           भीष्म कुकरेती

 

            कभी कभी जब नक्षत्र अडबंग (बेढंग) पोड्या ह्वावन त देळि क भेळ ह्व़े जांद सैणु रस्ता मा उप्यड़ , खेचळ ( परेशानी)   खड़ो ह्व़े जांद, बगैर बातो उपड़ग (विघ्न -बाधा) अर ह्यूंद मा बि  रुड्यू जन औरुड़ी- औडळ ऐ जांद. सि द्याखो ना खड़क सिंग जीन मुख्यमंत्री पद का खातिर उफ़ाळि मार त ऊं तै हाई कमांड न चड़गट्यु (चढ़यूँ  दिमागौ )  नाम देक बौणबासा  दे द्याई. राजनीति मा बि डंड  होंद  जन ब्व़े बाब अपड बच्चों तै गल्थी करण पर भितर ग्वडै करदन उनि हाई कमांड क विरोध मा जाण मा मुख्यमंत्री पद का दावेदार तै   भौत कुछ खां मा खां खेण पड़द अर मंत्री पद बि नि मिल्दो. अब द्याखो ना खड़क सिंग जीक तकदीर जब विरोधी दल का नेता छ्या त पार्टिक बान क्या क्या टुटब्याग  नि करीन. सरकारी पार्टिक भला कामू तै गाळी दे देकी सरकारी पार्टी तै बदनाम करणै पूरो पुठयाजोर लगाई तब जैक खड़क सिंग जीक पार्टी यू चुनाव जीत अर वु बुल्दन बल मार खान्द दै कख छ्या बल मूंड  ऐंच अर पिठाई  टैम पर कख छ्या बल मूंड तौळ. बस खड़क सिंग जी बगैर मंत्री पद का छ्या. अब बताओ सरकारी पार्टी मा ह्वेक बि क्वी बगैर मंत्री पद का ह्वाओ त नेतौं पर क्या क्या चड़क नि पोड़दन. सींद दै , सुद्बिज मा , बिज्या मा चड़क इ चड़क. बगैर मंत्री पद का खड़क सिंग जीक कुहाल छ्या. अरे जख कबज होण चयेणु छौ उख अदराड़ा [पेचिस] ह्व़े जान्दन अर जख अदराड़ा हुण चयांदन  तब कबज कि शिकैत ह्व़े जाओ. साला अपण ब्वेका मैस क्वी बि आड़ी बगत (खास समय) पर आड़ी (सहारा) नि दीन्दन या इ त राजनीति क उठंग-बिठंग च तरह तरह के खेल छन. उपयड़ मा, परेशानी मा क्या क्या नि होंद ! जु छै अपणा विधायक छ्या वो बि कै सरकारी संस्थान की चाह मा मुख्यमंत्री क उड़्यार पुटुक छिरकी गेन.  अर अब त मुख्यमंत्री अर हाई कमांड मजा मा छन कि विरोधी पार्टी का कथगा इ विधायक सरकारी पार्टी मा शामिल होणो बान अपण बाप ददा  बदलणो तैयार छन.


  जन बगैर पद का राजनीति वळु  दुःख, बीमारी ऐ जान्दन जन कि खड़क सिंग जी पर चडक पोड़ण बिसे गैने.चड़कौ  पैदा ह्व़े गे. विचारा खड़क सिंग जी अमोड़ इ अमोड़ (जिद ) बोली गेन बल 'मंत्री पद मेरी जूती से'. बोली त गेन पण जन स्याळ, बाग़ बगैर शिकार का नि रै सकदन तनी तनी सरकारी दलों विधयाक मंत्री या कुछ हौरी पद बगैर ज़िंदा नि रै सकुद. उनि खड़क सिंग जीक कुहाल छन. ना त संतरी का सलूट अर ना ही  सेक्रेटरियूँ क 'एस!   मिनिस्टर !  की अवाज'. ना ही चमचों की भिणभिणाट, ना ही जनता की आवा-जाई, ना इ मीटिंग सीटिंग अर सेटिंग. ना इ क्वी ठेकेदार दिखेंद ना इ क्वी मालदार मनिख. इन मा पार्टी फंड का नाम पर आण वळ सात पुस्तुं कुण धन -धान्य  को इंतजाम कनै होलू?     

 
    जब बि राजनीतिग्य परेशानी मा ह्वाओ जन कि सरकारी पार्टी मा ह्वेक बि मंत्री पद नि मिल्दो  त राजनीतिग्य कुछ सनातनी सास्वत कर्मकांड करदो. खड़क सिंग जीन ड़्यारम गां जथगा बि गढ़वाळी  दिवता - नागराजा, नरसिंग, कैंतुरा, हंत्या, देवी-अन्छेरी , ऐड़ी  (अन्छेरी) , रण भूत  सब  नचैना. जैन ज्यूँदि अपण ब्व़े बुबा तै भातौ  एक गफा बि नि खिलाई वूं  खड़क सिंग जीन  कै बूड -खूड की आत्मा-सांति बान नारेणबळि क नाम पर  हरिद्वार, गया, त्रिम्बकेश्वर  मा सैकड़ो भिकार्युं तै बनि बनी क खीर अर पूड़ी खलैन . वै जामाना का बूड खूडु  नाम पर आज का भिखलोई ले खुस ह्व़े गेन.


         खड़क सिंग जीन मंत्रीपद का बान  टूण टणमण  मा बि क्वी कसर नि छोडि. बाबा बाल्टी वाले क बल्टी उठाई, बाबा कचरा वाले को कचरा उठाई, मुर्दा को ड़रख्वा खड़क सिंगन   मड़घट वाले बाबा क  मड़घट बि द्याख, झाड ताड़ सबि कौरिन. अपण बामण से लेकी  तामिल नाडू, केरल का बामणु बात सूणिक  कुज्याण कथगा पाठ धरिन धौ! कुछ अफिक धरिन कुछ जगा दुसरी क्या छ्वड़ी घरवळी   तै बि पूजा प्रतिनिधि बणाइ. वास्तु शाश्त्र कि पुजाई  क चक्कर मा घर का सबि फर्नीचर बदल, घर बदल, जापनी , अफ्रीकी सब तरां की वास्तु शांति कार.


      अब बुल्दन बल मंतर, तंतर,,कर्मकांड, पाठ- पुजाई , टूण टणमण-टोटब्याग त अपण जगा  होन्दन  पण घुण्ड हिलयाँ बगैर बच्चा पैदा थुका होन्दन ! डिल्ली मा हाई कमांड का न्याड़ ध्वारक जथगा बि नेता छा उंको अंगुछा धोई, ऊंका जराब ध्वेक वै पाणी तै चरणा मृत जन प्याई, कैका खुट मलासिन-कैका कुकुर कि भुकी प्याई त कैकी बिरळि तै खुकली मा उठाई. कैक कज्याणि कुण काकी ब्वाल त कैकी कज्याण तै भौज  या बैणि बणाइ. फिर धीरे धीरे कौरिक हाई कमांड तक फिलर भेजिन कि भज्युं कुत्ता ड़्यार आण चाणो च. हाई कमांड त रुस्यूं  छौ  कि खड़क सिंग कि इथगा मजाल कि हाई कमांड की तौहीन करी दे अर हाई कमांड न पैल पैल फिलरूं  क दगड इन ब्यौहार कार जन कै खजी वळ  कुकरो दगड ब्यौहार करे जांद .भिखलोई  जन प्रार्थना कौरि   कौरिक  हाई कमांड तै दया आई कि ठीक च कै दिन त ये कुकरन बडी सेवा करी छे . बस पुराणि सेवाभक्ति का पुण्य का नाम पर खड़क सिंग जी तै मंत्री पड़ दीणो मन बणाइ.


   फिर हाई कमांड न मुख्यमंत्री जी  खुणि राय क नाम पर आदेस देई   कि खड़क सिंग जी क पार्टी मा भौत जरूरत च मंत्री पद दे द्याओ.

 अर इन मा खड़क सिंग जी अब मंत्री ह्व़े गेन


(उन त या कथा काल्पनिक च पण जु कैकी कथा इनी सच ह्वेली त भैरों! इख्मा मेरी क्वी गलती नी च ) 


Copyright@ Bhishma Kukreti 10/6/2012   

Bhishma Kukreti

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Naurtu: a Garhwali Story illustrating Cruelty on Animals for Rituals of Sacrificing Buffalos 

(Review of Story collection ‘ Jonu Par Chhap Kilai)

                                  Bhishma Kukreti

 
      All over India and in many communities all over the world,  people sacrifice animals in religious rituals. Mohan Lal Negi narrates the story of the sacrifice of buffalo in ‘Naurtu’ rituals. The children were anxious to join the dance and singing in Naurtu but they were disturbed by watching pundits and other villagers injuring sacrificing buffalo with axes, swords, etc, and then killing the innocent animal for human benefits from god.
  The story starts with enthusiasm for the Mandan among children but slowly -slowly takes a very sad scene of killing buffalo by cruel means.
  The story is the best example of the rapture of pathos in Garhwali fiction. The story is able to create awareness about our cruel methods to worship a god who created both- humans and animals.

Copyright@ Bhishma Kukreti, 12/6/2012

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धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित एशियाई कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित दक्षिण एशियाई कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित भारिटी उपमहाद्वीपीय कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित भारतीय कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित उत्तर भारतीय कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित हिमालयी कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित मध्य हिमालयी कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित उत्तराखंडी कथा-कहानी; धार्मिक अनुष्ठानो में क्रूर ढंग से पशु बली सम्बन्धित गढवाली कथा-कहानी लेखमाला जारी ...

Bhishma Kukreti

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Sau Rupya ku Note:  A psychological Garhwali Story about Greed and Contentment


(Review of Garhwali Story collection ‘Burans Ki Peed (1987) by Mohan Lal Negi)

                               Bhishma Kukreti


               Mohan Lal Negi is famous for providing different subjects for each story. The deep observations of Mohan Lal Negi about the psychology of various people are credible.
         The present story ‘Sau Rupya Ku Note’ is a fine example of observations of Negi. A peon lost a hundred rupee note at that time when the average salary was below two hundred per month. The peon blames the theft on another colleague. Both indulged in sharp arguments and conflicts. An honest person gets the hundred rupee note. However, the honest person starts dreaming about the pleasure of getting a hundred rupee note. The story illustrates the drama of getting money and conflicts between honest nature and greed or the dream of suddenly getting uncalled or unearned money. The story also tells the pain of the loss of property.
 The story writers used ‘Vyas Shaili’ in this story (Br Anil Dabral-2007).
  The story is an example of deep observations of Negi, storytelling style, and different psychological aspects of various people for the same thing or materials



Bhishma Kukreti

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Junyali Rat: One of the finest Stories of Modern Garhwali Literature

(Review of Short Story Garhwali Collection (1967) by Mohan Lal Negi)

                                        Bhishma Kukreti


                  Critics Dr. Anil Dabral claims the modern Garhwali short story ‘Junyali Rat’ or “Jonu par Chhapu kilai?’ by Mohan Lal Negi is one of the finest stories of modern Garhwali stories. 
  The story deals with children helping farm jobs to take animals to grazing fields; the carelessness of children due to their age of playing and not the age of working; the husband and wife working full night for harvesting the ripped crop.
         Sonu and his wife are alone in agriculture work and they have to spend the full night cutting ripped crops in the moonlight.
   The storyteller Mohan Lal Negi is successful in creating an atmosphere of the average village of Garhwal when there is a heavy load of work for cutting the ripped crops. Negi also creates images of children taking the (forcibly) job of taking care of animals for grazing but they become busy in their games. Mohan Lal Negi depicts the moonlight scene when Sonu and his wife are cutting ripped Kharif crop-Jhangora.
    The storyteller illustrates the emotions and happening in nature through various enjoyable means such as through plains words, metaphors, figures of speeches, allegory, parables, proverbs, common sayings, etc. the story writer Mohan Lal Negi is a master of creating images by using exact phrases or symbols.
        Mohan Lal Negi is always master at portraying children's psychology very well. Here in Junyali Rat, Negi perfectly illustrates children's psychology and shows how children create a new world through their own story creation. 
   Mohan Lal Negi is a master of words and phrases and he showed his capability in the story ‘Junyali Rat’. One of the differences between folk stories and modern stories is that folk storytellers assert their beliefs but modern fiction writers search for the belief and Mohan Lal Negi searches many aspects of life in ‘Junyal Rat’. There is a black spot on the moon because the light is non-applicable to the common man except that moonlight helps the thieves or dacoits. Moonlight helping dacoits and thugs is the black spot on the moon.  However, the works by farmers in the moonlight are capable of wiping the black spot on the moon.
  The story is very artful and with morality too but, morality is never sermonic in this story but the whole story tells the morality and value of morality.

  The story is proof of observing the power of Negi and his sensibility for various aspects of life.
   ‘Junyali rat’ makes Mohan Lal Negi one of the modern finest fiction writers of world literature and ‘Junyali Rat’ is one of the finest stories of world fiction literature.

Reference
Dr Anil Dabral, Garhwali gady Parampara, Itihas se vartman

Bhishma Kukreti

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                       Faisla: A Garhwali Story about torturing, and harassment of women

(Review of Garhwali Story collection ‘Banj Ki Peed’ by story writer Mohan Lal Negi)

                                           Bhishma Kukreti


   ‘Faisla ‘is the story of a brother who cannot tolerate the oppressive, harassing, troubling and torturing acts of his brother-in-law on his sister. He kills his brother-in-law. The matter goes to court and the judge is in confusion as the brother killed his brother in law an emotional state of mind.
  There is terror, panic, fright, fear, and torture in the story from start to end. The story deals with the emotional attachment of the brother to his sister and also opens various social aspects of the husband’s treatment of the wife and the worsening status of women in society.

Reference-
Dr Anil Dabral, 2007 Garhwali Gadya Prampara
Copyright@ Bhishma Kukreti 15/6/20012


Bhishma Kukreti

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राजनीति विषयक गढवाली कथाएं- ३

 

                                                पुराणों घी नै  बरोळिउन्द 
 
 
                                                      भीष्म कुकरेती
 

        जब तलक अजय बहुखंडी रानजीति मा सिरफ नेता छया त लमडेर  कुकुर जन  कखी बि घूमी लीन्दा छा, कुछ बि बकबास करी लीन्दा छा. हाँ! एक बात छे कि जन लमडेर कुकुर ह्वेन, खजि वळ कुकुर  ह्वेन, गळि  क कुकुर  ह्वेन या घरपळया कुकुर इ  ह्वेन - राजनीतिग्युं अर कुकुरुं मा एक समानता होंद अर वा च अपणि अपणि 'केर' , अपणि अपणि हद्द. अपणी पार्टी क कै हैंका नेता क टेरिटरी मा नेता लोक दखलअन्दाजी नि करदन , जु एकी पार्टी क एक नेता  हैंक नेता क केर लांघी द्याओ त राजनीतिज्ञ रूपी  मनिखो मा कुकुरखेल ह्व़े जांद या एक हैंको  पर भुकण बिसे जान्दन ,एक हैंक तै कटण मिसे जान्दन.   अर यदि क्वी कुकुर हैंको कुकुर की केर तोड़ी द्याओ त वो बि राजनीतिग्यों  तरां हल्ला मचाण बिसे जान्दन.  तब अजय बहुखंडी मा क्वी जुमेबारी त छे ना. अब  जब प्रदेशौ मुख्यमंत्री बणिन त कबि कबि क्या भौत दै निंद , खाण हराम ह्व़े जांद. आज बि मुख्यमंत्री की हालत खराब छे. ऊंकी   निंद हर्चीं  छे. भूक-तीस मरीं छे. मन मा ख्यळबळाण  (पाणी  जन उबळण ) हुणो छौ, अर पुटुक मा च्यौड़  (अजीब स्यू अण- अभिब्य्क्त पीड़ा) पड़णा छा.

                    .हजारो साल से हम दिखणा छंवां  बल मंत्री अर प्रशासनिक अधिकार्युं समंध कुछ अजीब होन्दन. मंत्री या राजा अर प्रशासनिक अधिकारी एक हैंका खुणि आवश्यक बुराई छन. धृतरास्ट्रो खुणि विदुर एक आवश्यक  परेशानी छे त  विदुरअ कुणि ध्रितराष्ट्र एक आवश्यक बुराई छे.  दुर्योधनो खुणि भीष्म अर द्रोणाचार्य एक आवश्यक मुंडारु   छौ त भीष्म अर द्रोणाचार्य खुणि दुर्योधन एक नेसेसरी  इविल , आवश्यक अनिष्ट, जरूरी बुराई छौ. मुख्यमंत्री- मंत्री अर प्रशासकौ  अधिकारी एक हैंकौ पूर्ण  पूरक हूण  से यि द्वी एक हैकाक जरूरत छन. मुख्यमंत्री अजय बहुगुणा जीन  इ डिल्ली मा जोड़ तोड़ी करीक अतुल ममगाईं जी तै चीफ सेक्रेटरी बणवाई अर मुन्ना लाल बनग्याल  जी तै अपुण प्राइवेट सेक्रेटरी बणवाई. ये हिसाब से यि द्वी मुख्यमंत्री क ख़ास आदिम छन पण जन मुख्यमंत्री सरा राज्यौ क आदिम हूंद अर वैको पैलि आस्था  राज्य हूण चयेंद पण असल मा वैकी प्राथमिक आस्था राजनीति होंद. उनि  ममगाईं जी अर बनग्याल जी अजय जीक ख़ास छन पण असल मा उंकी प्राथमिक आस्था प्रशासन च. अजय बहुखंडी  जी तै ममगाईं जी क याद आई कि यीं परेशानी क हाल यूँ द्वियुं मा इ ह्व़े सकद.

 हालांकि मुख्यमंत्री अर चीफ सेक्रेटरी ममगाईं जीक बीच हॉट लाइन च पण ममगाईं जी न पैलि दिन अजय जी तै अड़ाइ बल  कबि बि द्वी बड़ा बड़ा आदिम्युं तै डाइरेक्ट कबि बि बात नि करण चयेंद. इख तलक कि जब बि अजय जी तै ममगाईं जी तै क्वी सीक्रेट बात हॉट लाइन से करण तो बि मुख्यमंत्री तै पैल जूनियर सेक्रेटरी द्वारा चीफ सेक्रेटरी तक रैबार पौंचाण चएंद कि मुख्य मंत्री हॉट लाइन पर बात करण चाणा छन.  अजय बहुखंडी जी न ममगाईं जीक अड़यूँ  नियम क हिसाब से पैल अपण प्राइवेट  सेक्रेटरी खुणि ब्वाल कि ममगाईं जी खुणि ब्वालो कि मुख्यमंत्री हॉट लाइन पर बात करण चाणा छन. फिर प्राइवेट सेक्रेटरी न जूनियर सेक्रेटरी न अपण सीनियर मा रैबार भ्याज, सीनियर सेक्रेटरी न ममगाईं जीक जूनियर सेक्रेटरी मा रैबार भ्याज , ममगाईं जीक जूनियर सेक्रेटरी न अपण सीनियर मा मुख्मंत्री क रैबार भ्याज , सीनियर पण असल मा जूनियर सेक्रेटरी ना प्रदेश चीफ सेक्रेटरी ममगाईं जीक चीफ प्राइवेट सेक्रेटरी मा मुख्य मंत्री जीक रैबार  पहुंचाई. स्टेट चीफ सेक्रेटरी क प्राइवेट सेक्रेटरी मातबर सिंग बिष्ट जी न तब जैक स्टेट चीफ सेक्रेटरी तै बताई, " सर!  मुख्यमंत्री हॉट लाइन पर बात कर न चाणा छन?"

ममगाईं जीन अपण प्राइवेट सेक्रेटरी तै पूछ,' मुख्यमंत्री मै  से बात करण चाणा छन या आपसे ?"

प्राइवेट सेक्रेटरी मातबर सिंग बिष्ट जीन  घणघणै   क  जबाब दे ,'सर विद यू."

ममगाईं  जीन  तिराण वळि भौण मा ब्वाल,"" बट यू नेवर  टोल्ड सो इन युवर संटेंस . तुम प्रिवेंसियल सिविल सर्विस वळा कबि नि सुदर सकदवां! प्रशासनिक  सेवा मा एक क्लियर लैंग्वेज हूंद  . पण तीन सौ साल ह्व़े गेन तुम पीसीएस वळा अबि बि क्लियर एडमिनिस्ट्रेटिव लैंग्वेज नि सीखा !"

मातवर सिंग बिष्ट जी उत्तर प्रदेश प्रोविंसियल सिविल सर्विस (पी.सी. एस)  कैडर का छन अर जब लखनौ मा छ्या तब बि ई आई.ए.एस वळा पी.सी. एस. वळो तै इनी हीण भावना वळ बथुं    से घैल  करदा छ्या . इन माने जांद बल जब ब्रिटिश लोगूँ न इम्पीरियल सिविल सर्विस (ICS ) शुरू कर त उखमा सब ब्रिटीशर  इ छ्या अर राज्यों मा भारतीय PCS वळ छ्या त आई.सी.एस वळ पी.सी.एस वळो तै दनकांदा  छ्या अर यू रिवाज आज बि च  . इम्पीरियल सिविल सर्विस (ICS ) अब इन्डियन सिविल सर्विस(IAS )  मा बदल त ग्याये पण जब बि बगत आई ना कि आई.ए.एस वळ   पी.सी.एस. वळो तै दनकाणा इ रौंदन.  कबि कबि त बिष्ट जी क ज्यू बुल्यांद कि नेता बौण जावन अर यूँ आई.ए.एस वळु खूब बेज्जती कौरन पण नेतागिरी मा स्टेबिलिटी नी च त   पी.सी.एस. कि नौकरी मा पूरो स्थायित्व च पेंसन  च अर फिर रिटायर हूणो बाद  प्राइवेट कंपन्यूँ  अच्छो  पद मीली जांद.

ममगाईं जीन फिर बोल," बिष्ट जी ! रैबार पंचाई द्याव बल मी बस थ्वड़ा  देर मा बचळयांदो छौ. '

उन ममगाईं जी बि बिष्ट जी क सौकारी इतियास से परेशान छन. बिष्ट जीक बूड खूड ममगाईं जीक पट्टी का बड़ा थोकदार छ्या अर बिष्ट थोकदारूं न इ ममगाईं जीक पड़ददा पंडिताई बान  कुछ  पुंगड़ देकी बसाई छौ.ममगाईं जी नि चांदा छ्या कि जख मातवर सिंग बिष्ट जी ह्वावन उख उंकी पोस्टिंग ह्वाऊ, पण बिष्ट जी पैलि चीफ सक्रेटरी क प्राइवेट  सेक्रेटरी बणि गे छ्या. . ममंगाई जी जाणदा छन कि आम गढवळि मन से हैंको गढवळि तै बॉस नि माणदो उल्टा  औफ़िस का दगड्यो  तै बथाणु रौंद बल इक त यू बॉस च पण उख गां मा त एको ददा म्यार ददा क सिरतान छौ. या इक त यू बौसगिरी  झड़दो  पण उख म्यार गाँ मा म्यार त तिभित्या अर तिमन्ज्युळया तिबारिदार कूड च त एको एक भितर्या उबर इ च.

   मुख्यमन्त्री जीक पुटुकुन्द त परेशानी से च्याळ पड़णा छ्या. ऊन प्रशासनिक नियमु ऐसी तैसी कार अर ममगाईं जी कुणि फोन कार," क्या बात ममगाईं जी भौति बिज़ी छंवां?"

ममगाई जीन ब्वाल,' यस  चीफ मिनिस्टर , नो सर !"

मुख्यमंत्री जीन पूछ," मतबल? यस अर फिर नो "

ममंगाई जीन बोली," एस माने आप तै सम्बोधन अर नो माने आपौ  खुणि बिजि नि छौं पन असल मा भौत इ बिजि छौं"

मुख्यमंत्री जीन चीफ सेक्रेटरी जी तै अपण कैबिन का भैर कौनफेरेंस  रूम  मा चौड़  बुलाई अर दगड मा ब्वाल बल बिष्ट जी अर पोलिटिकल सेक्रेटरी तै बि लै येन . अब ममगाईं  जी झसकी गेन  कि कुछ त बात च .

कोन्फेरेंस रूम मा स्टेट चीफ सेक्रेटरी, बिष्ट जी, अर मुख्यमंत्री क प्राइवेट सेक्रेटरी ऐ गे छ्या अर हाइयरआर्की क हिसाब से बैठया छ्या. ममगाईं जीन चीफ मिनिस्टर कु पोलिटिकल सेक्रेटरी कुणि ब्वाल,' टम्टा  जी ! यूँ मंत्र्युं तै सिखाओ कि अर्जेंट, मोस्ट अर्जेंट, नॉन- इम्पोर्टेंट बट अर्जेंट, वेरी इम्पोर्टेंट अर नॉन-अर्जेंट, वेरी इम्पोर्टेंट एंड अर्जेंट ' कामू क बारा मा सोची लयवान.

अलाइड आई.ए.एस. काडर का सुबोध टम्टा जीन पूछ, " सर! ऐनी थिंग इरेपटेड रौंग ?"

चीफ सक्रेटरी जीन बताई," सबि कुछ गलत हूणु च. हरेक मंत्री जीन हरेक फाइल मा वेरी वेरी अर्जेंट अरमोस्ट  इम्पोर्टेंट लेखिक डे द्याई." ममगाईं जीन रुकिक सब्यू तरफ नजर घुमैक अगनै ब्वाल," एक मंत्री जीक फाइल च जखमा काम को ठेका दियी जालो दस मैना बाद अर वै कामो फाइल मा बि वेरी  अर्जंट अर मोस्ट  इम्पोर्टेंट च . एक फाइल च जखमा अच्काल पिथौरागढ़ मा बच्चों पर क्वी अजीब सी रोग सौर्यु च , फैल्यु च वीं फाइल मा मंत्री जी क नॉट च 'नॉन-इम्पोर्टेंट एंड नॉन-अर्जंट. इनी सब मंत्रालय मा च हूणु ."

बिष्ट जीन हाँ मा हाँ मिलाई," जी ममगाईं जी ठीक बुलणा छन. कुम्भो मयाळा न आण अब दस साल बाद पण  ट्वाइलेट  अर बाथरूमु फाइल मा मंत्री जीक रिमार्क छन - वेरी वेरी अर्जेंट एंड मोस्ट इम्पोर्टेंट  लिख्यु च कि सी मी अर्जेंट."

टम्टा जी न बोली,"  क्या इ निशंक जीक च्याला छन?"

सबि मूल मूल बक्रोक्ति से इ हंसिन , ऐडमिनिस्टरेसन को एक नियम च कि इन बातू पर जोर से सुपिन मा बि नि हंसण चयेंद.

ममगाईं जीन ब्वाल," अर यि मंत्र्युं सेक्रेटरी बि ना !  इंडियन सिविल सर्विस की नाक कटवाणा छन जन मंत्री लोक बुल्दन उनि लेखी दीन्दन सही होंद - वेरी इम्पोर्टेंट एंड मोस्ट अर्जेंट पण ...खैर   . टमटा जी अबि क्या ख़ास च ? "

    टमटा जी  न ब्वाल,' कुछ नई योजना अर पुराणि योजनाओं क मूल्यांकन कि बात च सैत "

बिष्ट जी न ममगाईं जीक ज़िना द्याख मतलब बुलणो आज्ञा मांग अर ब्वाल, "मतलब , पुराणि सरकारौ योजनाओं तै खतम कारो अर नई योजना बणाओ. फिर सबि रूणा रौंदन कि प्रदेशाऊ विकास नी होणु च . जब हरेक योजना मा इनी पोलिटिकल रुकावट आली त ..एक योजना पर कुछ काम होंदु नी कि वीं योजना तै पोलिटिकल राईवलरी क वजै से स्क्रैप करे जांद ...."

टमटा जीन ब्वाल," पण सचेकी हम ऐडमिनिस्ट्रेसन  वळ इनी करदवां  क्या ?"

ममगाईं जीन बताई बल," बिष्ट जी! हम इंडियन सिविल सर्वेंटूं  काम च भारतीय संविधान अर ऐडमिनिस्ट्रेटिव नियमु पालन करण  अर मंत्री लोगूँ काम दिखण. म्यार  एक्स बॉस देशमुख जी जु इंडिया क चीफ सेक्रेटरी छ्या को बुलण छौ बल हम तै मंत्र्युं बुल्यु काम दिखण  चयेंद पण वी अर नॉट बाउंड टु  ओबे देम एज देयर विश एंड ह्विम्स."

इथगा मा मुन्ना लाल बुनग्याल जी ऐ गेन अर बुलण मिसेन," आज सुबेर बिटेन सी.एम्. जीक मूड औफ़ च. बस आणा इ छन ." मुन्ना लाल बुनग्याल जी बि उत्तर प्रदेश पी.सी.एस. काडर का औफ़िसर छन. अर या इ बात च कि देहरादून मा उत्तरप्रदेश अर दिल्ले कि सभ्यता पनपणि च .

मुख्यमंत्री जी क प्राइवेट सेक्रेटरी मुन्ना लाल बुनग्याल जीन बोली," कुछ प्रदेश विकास की बात होली. अर बुलणा छ्या कि वूं तै विकास का मामला मा सचाई चयेणि च."

मंगाई जीन ब्वाल, "मतलब मुख्यमंत्री जी तै सचाई नि चयेणि  च बल्कण मा ओ सकारात्मक प्वाइंट चयाणा छन जो ओ विधान सभा तै  , अर पत्रकारों द्वारा जनता तै  बथै साकन."

मुन्ना लाल बुनग्याल जी न  बोली , ' यू आर अबस्युलीटली राईट सर! सी.एम् वांट्स दोज   फैक्ट्स एंड फीगर्स , स्टोरी टु टेल." 

थ्वड़ा  देर मा मुख्यमंत्री जी कैबिनेट  सेक्रेटरी मिश्री लाल कौशिक दगड कौनफेरेन्स रूम मा ऐन, मिस्री लाल जी छन त हरिद्वार्क पण  राजस्थान काडर का आई.ए.एस. छन अर ममगाईं जीक क जूनियर छन.

सब्यूँ न खड़ो ह्वेक अभिवादन कार अर मीटिंग कि शुरुवात मुख्य मंत्री जीन इन कार,' द्याखो मेरी लोकप्रिय सरकार तै चार दिन बाद या पांच दिन बाद एक महीना हूण वळ च अर जनता चांदी बल सरकार वूकुण कुछ कार. फिर सीक्रेट रिपोर्ट या च बल पुराणि सरकार का बारा तेरा योजना जनता विरोधी छन. जनता चांदी बल यी योजना स्क्रैप करे जावन अर यूंक जगा जनता लैक नई योजना आवन ."

सबि कुछ देर तलक चुपी रैन त अजय बहुखंडी जीन ममगाईं जी तै पूछ ,' आपकी क्या राय च ?"

ममगाईं  जी अर हौर औफ़िसरू तै इथगा सालू अनुभव छौ ओ समजी गेन कि पुराणी सरकार की योजनाओं से पुराणा मुख्यमंत्री क नाम प्रसिद्ध ह्व़े अर अबि बि लोक पुराणा मुख्यमंत्री  क गीत गाणा छन अर या बात  कै बि वर्तमान मुख्य मंत्री तै  बर्दास्त नि होंद कि भूतपूर्व  मुख्यमंत्री का नाम प्रसिद्ध होणु रौ चाहे भूतपूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान मुख्यमंत्री क बुबा किलै नि ह्वाओ.

ममगाईं जीन ब्वाल,' सर ! हूणो त  सब कुछ ह्व़े सकुद पण इख मा द्वी बातु ख्याल करण इ  पोडल."

अजय जीन पूछ,' क्या क्या ?"

ममंगाई जीन ब्वाल,' एक त पुराणी योजनाओं तै स्क्रैप करण से भौत सा पोलिटिकल अर सैत च ऐडमिनिस्ट्रेटिव प्रोब्लम खड़ी ह्व़े जावन! ' हालांकि ममंगाई जी अर मुख्यमंत्री समेत सबि जाणदा छन कि पुराणि योजनाओं तै स्क्रैप करण से समस्या पोलिटिकल नि ह्व़े सकदन बल्कण मा प्रशासनिक समस्या इ आली.

अजय बहुखंडी जीन ब्वाल,' राजनैतिक समस्या मी देखी ल्योलू आप ऐडमिनिस्ट्रेटिव समस्याओं  तै सुळझाओ . आज कबिनेट कि मीटिंग च अर उखमा पुराणि योजनाऊ तै स्क्रैप करणो निर्णय लिए जालो अर नई योजनाओं लागू करणो निर्णय लिए जालो आप द्याखो कि ..."

ममगाई जीन कौशिको तरफ द्याख  कि कैबिनेट मीटिंग क अजेंडा मी तै किलै नि बताई.  कौशिक जी ममगाई जीक मन्तव्य समजी गेन ऊन सफाई अर सूचना क हिसाब से ब्वाल,' मुख्यमंत्री जीन और मन्त्र्युं से बात कौरिक कैबिनेट मीटिंगो एजेंडा मी तै अबि इख आन्द  आन्द  बथाइ  .." 

ममगाईं जीन ब्वाल,' बट सर इट्स अ ह्यूज  एक्सरसाइज . पैल त योजानो तै स्क्राप कारो अर फिर प्लानिंग कमीसन योजना बणाल, फिर फिनेस्नियल वाईबीलिटी  आदि आदि  फिर वूं  योजनाऊँ  नापतोल ह्वालू . दुई काम मा द्वी साल त लगी जालो."

अजय बहुखंडी जीन ब्वाल,' ममगाई जी आज स्याम तलक हमारि पार्टी क निर्णय च कि पुराणी पोपुलर योजना स्क्रैप हुणि चएंदन अर हमारि पार्टी क सरकार का तीस दिनों खुसी मा जन कल्याणकारी योजना लागू हूण चएंदन. "

इथगा मा मुख्यमं त्री जीक सेल फोन पर क्वी फोन आई , ऊन ब्वाल,' ओके टेल मैडम आई  शेल काल हर विदिन वन  मिनट "

मुख्यमंत्री जीन आदेस इ द्याई, बस आज पुराणि योजना स्क्रैप  हुणि चएंदन अर परस्यूं नई योजना. आप योजना तैयार करो प्लानिंग कमीसन ओके दे दयालो." अर मुख्यमंत्री, कैबिनेट  सेक्रेटरी अर ऊंको प्राइवेट सेक्रेटरी चलि गेन.
 
ममगाईं जी क बुलण पर सबि ममगाईं जीक कैबिन मा ऐ गेन अर गहन चर्चा करण लगी गेन

बिष्ट जीन पूछ ,' सर आपन हाँ किलै ब्वाल कि ह्व़े जाल?"

ममगाईं जीन पूछ , "मीन कख हाँ ब्वाल ?'

 बिष्ट जी न पूछ," पण  इन्डियन सिविल सर्विस मा एक या बात बि च कि कुच्छ नि ब्वालो त वांको मतलब हां हूंद . छ कि ना?"

ममगाईं जीन ब्वाल,' पण कुछ नि बुलणो अर्थ इन बि होंद कि सर आई नेवर सबस्क्राईब्ड  युवर थियोरी ."
 
बिष्ट जीन पूछ, " त इखम ?"

सुबोध टमटा  जीन ब्वाल,' ममगाईं जी !मेरी फजीत ह्व़े जाली जु .."

ममगाई जी , ; ओके . फिर त फेस लिफ्टिंग ,  वर्ड्स एंड फ्रेज  रिप्लेसमेंट का काम  इ करण पोडल."
 
टमटा जीन ब्वाल,' मतलब ?"

बिष्ट जीन ब्वाल,' जु आप तै याद ह्वाऊ त पांच साल पैली बि य़ी सरकार से पैल्याकी  सरकारन अंदो आन्द अफु से पैल्याकी सरकारक योजना स्क्रैप करी छौ अर नई नई योजना कि घोषणा करी छौ, अर वां से पैल्याक  सरकारन    बि अंदो आन्द अफु से पैल्याकी  सरकारौ  योजनाऊ तै स्क्रैप करी थौ अर अपणी योजना लागू करी छौ '
 
टमटा जीन ब्वाल," हां !  पुराणी योजनाओं कि   क्रिया अर सम्बोधन कारक शब्द छोड़िक अर जख तक ह्व़े साको  बाकि शब्दू  पर्यायवाची शब्द नई योजना क पोथी मा डाळी दे छौ.  अर व्यक्तिवाचक संज्ञाओं मा नया नाम बदली दे छौ जु नाम सरकारी राजनैतिक दल तै मंजूर ह्वाओ.'
 
ममगाई जीन ब्वाल,' वेल त बिष्ट जी ! सबि विभागुं क सेक्रेटरयुं   कुणि मुजवानी बोली द्याओ कि एकै पुराणी योजनाओं तै स्क्रैप कारो अर पुराणी योजनाओं का  शब्द बदली  द्याओ अर  बिल्कूक नया शब्द डाळि  द्याओ  ।"

 बिष्त जीन ब्वाल्,' सर ! इन बी किलै करणाइ  . हमम जो बि उत्तर प्रदेशौ टैमक  योजना छन ऊँ तै नया रंग अर नया पुट्ठों से  सजैक पेश करी लींदवां. हमन त एक दै मुलायम सिंग जीक टैम पर  चन्द्र भानु गुप्ता जीक  बगतौ योजनाओं तै पेश करी छौ. "
 
ममगाईं जीन ब्वाल, " पण इखम हम नि चाँदवां असल मा सचेक इ पुराणि योजना स्क्रैप  ह्वाओ. बस जु बि योजना स्क्रैप करण ह्वाओ वीं योजना क शब्द बदली क नै योजना क नाम दे द्याओ. "

बिष्ट जीन ब्वाल," हां त ठीक च बस टाइपिंग मा टैम लगल .'
 
ममगाईं जी न पूछ," टमटा जी !  आप स्याम तलक बथै द्याओ कि योजनाऊ नाम क्या हूण चयेंद परस्यूं स्याम तक सी.एम् जी तै चौदा   नई योजना मीलि जाली'

टमटा जीन पूछ, ' त मी जौं ?"

ममगाई जीन ब्वाल," हाँ आप मुख्य मंत्री जी तै बथाई द्याओ बल आज स्याम पत्रकार समेलन मा पुराणी सरकारो बारा  योजना स्क्रैप करणै घोषणा करी सकदन"
 
सुबोध टमटा जीन धन्यवाद दे , ' जुगराज रयां ! '

ममगाई जीन ब्वाल, " अर पर्स्यु चौदा नई योजनौ घोषणा बि होली."

 .टमटा जीक जाणो बाद ममगाई जीन बिष्ट जी तै जरूरी  हिदायत देन . अर ब्वाल बल वार फूटिंग बेसिस  पर काम हूण चयेंद मतबल युद्ध स्तर पर टाइपिंग हूण चयेंद.

अर इख्मा बथाणै  जरुरात नी च कि मुख्यमंत्री न पैल क दिन पत्रकार सम्मलेन मा पुराणि सरकार  की योजनाओं तै गाळी देन अर बारा योजनाओं तै स्क्रैप करणै घोषणा करी

फिर अपणि सर्कारौ  की एक मैना हुणो उपलक्ष मा चौदा नै योजनाओं घोषणा कार , बारा योजना  त पैलाक सरकारौ योजनाओं बिलकुल नया शब्दों अर नया नामो से से भर्याँ रूप छ्या अर द्वी योजना चन्द्र भानु गुप्ता जीक टैम पर पर्वतीय मंत्रालय मा बणी योजना छे.

मुख्यमंत्री बहुखंडी  जी खुश छ्या कि अब पुराणो मुख्यमंत्री कि प्रसिधी रुक जाली अर चौदा नयी योजनाओं क विज्ञापनों से अजय बहुखंडी अब  'द  टाल मैन  फॉर उत्तराखंड डेवेलपमेंट' का नाम से जाणे जाला. अब उंकी निंद आर भूक वापस ऐ गे छे. .

प्रशासनिक सेवा का लोग खुश छन कि सिरफ़  टाइपिंग करण पोड़ अर कुछ नि करण पोड़.

योजना रुपी पुराणों घी बि खुस च कि पुराणों घी तै नई बरोळि  मीली गे .

मातबर सिंग बिष्ट जी नया नया ट्रेंड हुंयाँ  पी.सी.यस. अधिकारी तै समझाणा छ्या कि ये इ तरां से पुराणि योजनाओं क  फेस लिफ्टिंग करे जांद

 



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Ghat: Sad Garhwali story about Death of a Son

                                                       Bhishma Kukreti

           Ghat is one of the stories in the story collection ‘Burans ka peed’ by f Mohan Lal Negi published in 1987.
   The story is about the sadness of the death of a son. The son is ill and the father does everything to save the life of his son. The person is poor and there are no medical facilities in the village. The man blames his son's death on another person that he performed ‘Ghat (a ritual to harm others).
  The story deals with the struggle of a poor person for saving his ailing son and many beliefs of village life.

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