Author Topic: Exclusive Garhwali Language Stories -विशिष्ठ गढ़वाली कथाये!  (Read 49384 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
सॉरी भुला !

( संसार के प्रसिद्ध कथाकार मंटो की उर्दू कथा ' सौरी ब्रदर 'का गढवाली में रूपांतर )

(रूपांतरकर्ता: भीष्म कुकरेती )

हिन्दू मुस्लिम दंगो को जोर छौ .

बीच चौबट मा एक ल्हास पोड़ी  छे

दंगाय़ी उना बिटेन आइन .

एक दंगाईन ल्हास को सुलार को नाड़ू ख्वाल,

अर झळकाँ देखिक ब्वाल बल

" सॉरी भुला ! माफ़ कॉरी दे

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
आत्मविश्वास

 

                            आशा रावल  की भिजिं कथा

 

                                 अनुवाद :भीष्म कुकरेती

 

             एक फैक्ट्री मालिक की नींद भूख सब खतम हुंयि छे, ब्यापार मा बडो घाटा ह्वे तो वै पर बड़ो करज पात चढि गे अर वैक समज मा नि आणु बल इं बुरी स्थिति से भैर आणों बान क्या करे जा। वो किम कर्तव्य की स्थिति मा छौ किलैकि हर समय करजदार वैक    पैथर पड़्या छा।

इनि उदास ह्वेको वो ब्यापारी  एक बगीचा मा बैठिक सुचणों छौ कि भगावन इन कौरि दया कि वो कुड़की/नीलामी से बच जा।

इथगा  मा अचाणचक बगीचा मा एक  बुड्या आयि अर ब्यापारी तैं पुछण लगि," तेरि सूरत बथाणि च बल तू   कें बड़ी कठिनाई मा छे?"

ब्यापारिन  अपणि खैरि (दुःख ब्यथा कथा ) बुड्या मा लगै।

बुड्यान बड़ो ध्यान लगैक व्यापारि ब्यथा सूण अर फिर ब्वाल," ओहो ! मै लगद मि तेरि मदद कौर सकुद। ले ये चेक ले अर अपण काम अग्वाड़ी बढ़ा। एक साल बाद हम द्वी येयि बगीचा मा मिलला अर तब तू मेरि पगाळ वापस बौड़े दे"

चेक व्यापारिक  हथम थमै वो बुड्या तेजी से बगीचा से भैर चलि गे।   

 डुबदो मनिखौ कुण कुणजौ पात सहारा जनि बात छे। व्यापारिन देखि कि वैक हथम सबसे बडो धनी वारेन  बुफेर को साइन कर्युं  बीस  लाखौ चेक छौ। 

पैल व्यापारिन निर्णय ले कि ये चेक तैं भुनैक कुछ समस्या दूर करे जावो। पण फिर व्यापारि न स्वाच कि ये बडो धनी क चेक तैं तो  कबि बि भुनाए जै सक्याँद तो वैन भविष्य को ख़याल करदो बीस लाखो चेक अपण तिजोरि पुटुक धौर दे।

व्यापारि  की मनोदशा मा अचाणक बदलाव ऐ गे अर विको सांस (साहस) माँ बढ़ोतरी हूण लगी गे। फैक्टरी को काम माँ क्या क्या बदलाव कर्याण से वैको भविष्य कन   सुखमय ह्वे सकुद।

व्यापारि  मा एक नयो किस्मौ उलार -उत्साह भोरे गे अर वैन कर्जदारों दगड़ नया ढंग से सौदा कार, नया ढंग से नया कर्जदार अर माल विक्रेताओं दगड़  सौदा कार तो वैको व्यापार कुछ ही मैना माँ फिर से चमकण बिसे ग्याइ। वैको व्यापार मा मुनाफ़ा बढ़ण लगि गे।

एक साल तक वैको पुरण उधार -पगाळ बि खतम ह्वे गे छौ अर बैंकम बि लाखों रुपया बच्यां छा।

ठीक एक साल बाद वो व्यापारि   धनी मनिखो चेक वापस करणों बान  वाई ही बगीचा मा गे   जख एक साल पैलि धनी बुड्यान चेक दे छौ।

धनी बुड्या  दस्तखत कर्युं वो ही चेक व्यापारी हाथ मा छौ।

इथगामा कुछ हि देरम धनी बुड्या आयि। व्यापारि चेक बुड्या तै पकड़ाण इ वाळ छौ अर अपणी सफलता की कथा बथाण इ वाळ छौ  कि  बुड्या पैथर एक नर्स भागदी भाग्दि आयि अर वीन बुड्या हथ पकड़दो ब्वाल," थैंक गौड!  पागलों अस्पताल बिटेन  भाग्युं पागल बुड्या पकड़ मा ऐ गे। निथर ये पागलन हमेशा की तरां सब्युंम बुलण छौ कि वो धनी वारेन बुफेर च अर फिर ये  पागलन  बीस लाखौ चेक फाड़ी  तुम तै   दीण छौ"

नर्स बुड्या तैं पकड़ी अस्पताल जीना ली ग्यायि   
इना व्यापारी आश्चर्य मा छौ कि वैन  नकली बीस लाख का चेक का सहारा अपुण व्यापार दुबर खड़ो कार।


कथा को मन्तव्य  - यीं कहानी असली मंतव्य च कि धन ना बल्कणम  हमारी दशा मा सुधार आत्म विश्वास ही लै सकुद

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                     गढ़वाली साहित्यकार   काली प्रसाद घिल्डियाल जी को स्वर्गारोहण


                                 भीष्म कुकरेती
                         आज जब दिल्ली बिटेन पाराशर गौड़ जीक  फोन आयि बल काली प्रसाद जी गुजर गेन।  मीन दिल्ली गढ़वाळी कवि श्री जयपाल रावत जी कुन फोन लगाइ त ऊँ तैं बि नि पता छौ कि गढ़वळि गद्यौ  खाम यीं दुनिया मा नि छन।  जय पाल जीन साहित्यकार श्री रमेश घिल्डियाल जी से पता लगाइ त श्री रमेश घिल्डियाल जीन उत्तराखंड पत्रिका क नवंबर 2013 अँकौ हवाला से बताइ कि श्री काली प्रसाद जीक देहावसान 22 अक्टूबर 2013 दिन न्वाइडा (उ प्र ) मा ह्वे। 
             या एक त्रासदी च कि हम अपण पुराणा साहित्यकारुं बारा मा उदासीन छंवां। कै साहित्यकारौ स्वर्गारोहण का एक महीना बाद तक हम तैं पता इ  नि चलदो कु बच्युं च अर कु ज़िंदा च। काली प्रसाद घिल्डियाल कु आजौ गढ़वळि साहित्य तै   प्रखर योगदान का बारा मा सवर्णिम अक्षरुं मा लिखे जाल।
 
             काली प्रसाद घिल्ड़ियालौ जनम पदल्यूं , पट्टी कटळस्यूं , पौड़ी गढ़वाळम सन 1930 मां ह्वे।  घिल्डियाल जी दिल्ली माँ सरकारी नौकरी करदा छा।

                          काली प्रसाद घिल्ड़ियालौ गढ़वळि नाटक
  काली   प्रासाद घिल्डियाल का तीन गढ़वळि नाटक मचित ह्वेन।
कीडु ब्वे -कीडु ब्वे नाटक एक इन विधवा ब्वेक संघर्ष की कथा च जैन अपण इकुऴया नौनु तै उच्च शिक्षा   दीणो बान पड्याळ -मजदूरी कार  अर वु नौनु बड़ी नौकरी पांदु। पण नौनु  नौकरी पाणो अर ब्यौ हूणो बाद अपण मां क अवहेलना करदु। ब्वे अपण नौनो अवहेलना -उदासीनता से अतयंत दुखी ह्वेक मोरि जांद।  ये नाटक मा घिल्डियाल जी गढ़वाळौ एक ख़ास युग दिखाण सफल ह्वेन अर कथगा ही भाव पूर्ण दृश्य ये नाटक मा छन ।
दूणो जनम -दूणो जनम छुवाछूत संबंधी नाटक च जखमा ग्राम सभा का सदस्यों अर सरकारी प्रशासन का शिल्पकारों प्रति दुर्भावनापूर्ण कुटिलता दर्शाये गे ।
रग ठग -रग -ठग नाटक एक पुत्रविहीन दम्पति कथा च जखमा या दम्पति एक उछ्दी नौनु तेन गोद लींदन अर वैक ब्यौ करदन। जब वै बच्चा ब्यौ हूंद त दम्पतिs  बि बच्चा ह्वे जांद। ये नाटक की मूल कथा च कि भगवान सदा न्याय ही करद।
श्री पराशर गौड़ का अनुसार काली प्रसाद घिल्डियाल 'किशोर 'का सबि नाटक सरोजनी नगर कम्युनिटी हाल, दिल्ली  मा खिले गेन।
                                       काली प्रसाद घिल्ड़ियालौ गढ़वळि कथा संसार
 
           मेरी  सितम्बर 2012 मा  भग्यान काली काली प्रसाद जी दगड़ फोन पर छ्वीं लगी छे।  काली प्रसाद जीन बतै कि ऊनं  न तकरीबन 20 कथा लेखिन।
कुछ कथौं बिरतांत इन च।
अबोध बंधु बहुगुणान काली प्रसाद जीक 'कुछ न बोल्यां (हिलांस मई , 1984 ) अर विरणु जीवन (हिलांस , अप्रैल 1984 ) की बड़ी प्रशंसा कार।  .
रूपा बोडी -रूपा बोडी (हिलांस , अगस्त 1984 ) एक मनोवैज्ञानिक कथा च।  इखमा रूपा बोडी तैं अपण कजे सुटकी मार खाणम  बेहंत मजा , आनंद आदु।
सतपुळी डाकबंगला - सतपुळी का डाकबंगला (हिलांस, मार्च  1985 ) एक संस्मरणात्मक शैलीs  मा द्वी बैण्यूं एक मनिख से प्रेम से उपजीं प्रतियोगिता अर मनभावुं कथा च। कथा सतपुळीs  भौगोलिक -सांस्कृतिक चित्र का अलावा मानवीय मनोवैज्ञानिक का कथ्या भेद बि खुलद।
खट्टी छांच -खट्टी छांच (हिलांस ,दिसम्बर 1985 ) आर्थिक अर भावनात्मक शोषण की कथा च। यीं कथा माँ घिल्डियाल जीक चरित्र चित्रण करणै  क्षमता गुण दृस्टिगोचर हूंदन।
जोग लहर - जोग लहर (हिलांस , मई 1988 ) गढ़वाली दार्शनिक कथाउं मादे एक भौत ही बढ़िया कथा च।  या कथा सिद्ध करदी कि काली प्रसाद जी आकर्षक कथा बुणण म उस्ताद छा।    घिल्डियाल जीन दर्शन जन गम्भीर विषय तैं बड़ो ही सरल ब्योंत से बिंगाइ।
मनख्यात -मनख्यात (हिलांस ,जुलाई , 1988 ) कथनी अर करनी पर चोट करण वाळ कथा च। एक सवर्ण  लिख्वार अछूत उद्धार पर साहित्य रचद पण जब समय आंद त जात -पांत भेद मा ही शामिल हूंद।
बंद कपाट -बंद कपाट (सितंबर , 1988 ) एक इन जनानीक संघर्ष कथा च जैंक पति घौर से दूर च अर एक  मर्द वींक शारीरिक शोषण करण चांद , वा विरोध करदी ।  फिर वींक पति अर समाज बि शोषकुं  साथ दींदन।  कथा मा गढ़वाली शब्दुं प्रयोग दिखण लैक च।
दूसरी मौत - दूसरी मौत (हिलांस , जनवरी ,1989 ) एक मनोवैज्ञानिक कथा च।  काली प्रसाद घिल्डियाल इन इन चरित्र गठ्याँदन कि गढ़वाली कथाओं तैं एक नई गरिमा , चमक मिलदी।
स्याणि - स्याणि (हिलांस मई 1989 ) बि एक मनोवैज्ञानिक कथा च।  कथा मा माँ कि इच्छा अर पुत्र की महत्वाकांक्षा व अभिलाषा बीच संघर्ष अर तनाव की कथा च। असलियतवादी कथा आधुनिक गढ़वाली कथाउं मादे एक बड़ी महत्वपूर्ण कथा च।
सहारा - सहारा (हिलांस , सितम्बर , 1989 ) एक प्रतीकात्मक शब्दुं से कथा लिखणै शैली बान याद करे जाली।  कथा बतांदी कि लता अर जनानी तैं एक सबल सहारा की जरूरत हूंद।  कथा स्त्री द्वारा भौतिक सहारा लीण अर भावनाउं मध्य  द्वंद की बि खोज करद।
रग ठग -रग ठग (हिलांस , अक्टूबर ,1990 ) एक प्रेरणादायक कथा च। पण प्रेरणा दायक कथा हूण पर बि असलियत का समिण दिखेंद। 
किस्सा बिंदु का - किस्सा बिंदु का (रंत रैबार , अक्टूबर , 2011 ) मनुष्य द्वारा जानवरों बच्चा  दगड़ असीम प्रेम की अनोखी, रहस्य भरीं   कथा च।
 घिल्डियाल जी सरल शब्दुं मा कथा रचद छा अर कथा माँ सदैव आकर्षण रौंद कि बंचनेर तै पूरी कथा पढ़न पड़द।  गढ़वाली मुहावरा , चित्र , प्रतीक का प्रयोग काली प्रसाद की खासियत च। कथा मा एक मोड़ अवश्य रौंद।  बचऴयात -  वार्तालाप असली लगदन।
काली प्रसाद घिल्डियाल की मनो वैज्ञानिक  कथा आधुनिक गढ़वाली कथाओं मी विशिष्ठ कथा छन।  काली प्रसाद घिल्डियाल की कथाओं मा जनान्युं चरित्र खासकर ग्रामीण गढ़वाली जनान्युं मनोवैज्ञानिक चरित्र समिण आंद।   कथा असलियतवादी छन अर इन लगद कि कथा की घटना पाठक का न्याड़ -ध्वार घटणि छन।  प्रतीक संयोजन से कथा मा असली बिम्ब समिण आंदन। 
काली प्रसाद घिल्डियालौ गढ़वाली गद्य माँ एक विशिष्ठ व चिरस्मरणीय   स्थान च। 
 
Copyright @ Bhishma Kukreti 16/11/2013

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
             मि मृत औरत से भौत प्यार करदु
        ( हत्या संबंधी अनूदित लघु कथामाला - 1 )
               अनुवाद   - भीष्म कुकरेती
रंधावा भौत सालुं से एक मृत औरत का प्रेम मा अंधु ब्वालो या फँस्युं ब्वालो छौ। जब बि वु वीं औरतक फोटोग्राफ दिखुद छौ वै तैं उत्तेजनात्मक संतोष मिल्दु छौ। हालांकि वीं जनानी तैं मर्यां चालीस साल ह्वे गे छा पर अबि बि रंधावा का प्रेम मा वी जोश छौ।   हालंकि वा वैक जनम हूण से पैलि मर गे छे, पर यांसे वैपर कुछ फरक नि पड़ुद  । वैक जीवन मा कथगा इ औरत ऐन पर क्वी बि वैक प्रेम कम नि कर सकिन।
एक दुफरा मा रंधावा वीं जनानिक एकी बेटी भामा तैं मिळणो गे। वै तैं पूरी उम्मीद छै बल बेटी से मिलणो बाद वु वींक ब्वेक बारा मा जाणि जालु।
रन्धावान भामा से ब्वाल - तुमर  भौत बढ़िया मकान  च।
भामा - धन्यवाद ! अच्छा मि तैं कुछ कारणु से दिन मा द्वी पैग जिन पीणै आदत पड़ीं च।  क्या आप भी ?
रंधावा - ना ना , मि तैं जल्दी च जरा।
भामा - तो मि पेल्युं ? क्वी ऐतराज   … ?
रंधावा - हाँ हाँ !  मि तैं क्यांक ऐतराज ?
-मि तैं पीण नि चयेंद पर कैपणी बोल च बल पूरणि आदत नि जांदन , वा खितखित हौंस।
- हाँ ! आदत अड्ड ही हूंदन अर नि मरदन।  रंधावा बि हौंस।
भामा - अच्छा आप आराम से कुर्सी मा बैठो।  मि एक मिनट मा आंदु।
रंधावा - जन आप बुलिल्या ।
भामा किचन मा गे अर एक पैग जिन पेक न घटकैक ड्रवाइंग रूम मा ऐ गे।
भामा - अच्छा आप मेरि मा पर किलै लेख लिखण चाणा छंवां ?
रंधावा - भौत सालुं से मि मिसेज खिरकवालक सम्मान इ ना , एक तरां से  प्रेम करदु।
भामा -हैं ! किलै ?
रंधावा -मिसेज खिरकवालक मेरी जिंदगी मा बडु महत्व च। जब मि छुटु लड़का छौ तो म्यार बुबाजीन मि तैं मिसेज खिरकवालक फोटो दिखै छे।  बस तब से ही प्रेम ह्वे गे।  मिसेज खिरकवाल वास्तव मा अति  सुंदर जनानी छे। आज बि वा अति सुंदर जनानी च।  मीन इथगा औरत दिखेन पर इथगा सुंदर औरत नि दिखे।
भामा - बड़ी लोमहर्षक बात च।  है ना ?
रंधावा - यदि मि कै मृत औरत तैं प्यार करूद तो यांक मतलब यु नी च कि मि पागल छौं। जब तुम कै से प्यार कारो तो तर्क काम नि करदन।  आपकी समज मा या बात नि ऐ सकदि। 
भामा - आप इथगा प्यार करदां ?
रंधावा - यदि प्यार नि हूंद त मि आंद बि ना।
भामा - अच्छा ! आप तैं क्या जानकारी चयेणी च ?
रंधावा - वा कनकैक मोर ?
भामा - वींक हत्या ह्वे छे।
रंधावा -कनकैक ?
भीमा -ज्यादा कुछ ना।  एक स्याम , म्यार बुबा जीक घूर लौटण से पैल एक आदिम हमर ड्यार घुस।  वैन मेरी माक गळा घोटणै कोशिस कार।  मेरी माँन बचणै  भौत कोशिस कार पर वैन अंत मा माँक गौळ घोटिक हत्या कर इ दे। वु भौत तागतवर छौ।  जब वैन माँ मार दे तो वु म्यार पैथर पड़ि गे
रंधावा -फिर ?
भीमा -फिर क्या घरक अलार्म बज गे अर वै तैं भगण पोड़।  मि कथगा बि भुलणो कोशिस करदु पर बिसर नि सकुद।  हर समय वु हलंकारी दृश्य म्यार आंखुं समिण ऐ जांद। यु दृश्य म्यार पैथर नि छुड़द।
रंधावा -तुमन भौत भोग हैं ! भौत बुरु ह्वे।
भीमा -हाँ पर यदि ज़िंदा रौण तो सब सहणै आदत डाळण पड़द।   
रंधावा - कखि न कखि , हम दुयुं मा एक समानता अवश्य च।
भीमा -क्या ?
रंधावा -मि जब छुटु छौ तो मीन बि अपण बुबा खोये , गँवाई।
भीमा -ये मेरि ब्वे ! च्च , च्च !
रंधावा -हाँ, वु मोर नी च पर  वु मे से सदाक वास्ता बिछुड़ गए। मिस भामा वु भलु मनिख नि छौ।  वु हत्यारा छौ।  वैन बुड्या , मध्य वय अर बच्चा सबि मारिन।  अर अधिकतर जनानी ! हाँ हाँ ! मिस धामा खिरकवाल म्यार बुबा एक सीरियल किलर छौ। मि एक सीरियल किलर कु नौनु छौं।
भीमा -क्या तुम गंभीर छंवां ?
रंधावा -जब वै तैं पुलिसन पकड़ अर जब जेल जाणु छौ त म्यार बुबान मि तैं मिसेज खिरक्वालक फोटो दे।   मीन बि शपथ ले ले अर प्रण ल्याइ। 
भीमा -क्यांक शपथ ? क्यांक प्रण
रंधावा -कि मि  वैक अधूरा कार्य तैं पूर करण पोड़ल। कि मी वैक अधूरा छुड्युं कार्य तैं पूर करुल।  प्रण लियुं च।
भीमा -क्या बोल रहे हो ?
रंधावा -मि तेरी माँ तैं प्यार करदु छौ , अर अबि बि मि भौत प्यार करदु।  पर मि तैं अपण प्रण पूर करण।  अर अपण बुबाक अधूरा कार्य तैं पूरा करण।
भीमा -मतलब तू मेरी माँ कु हत्यारा का पुत्र छे ?
रंधावा - हाँ।  जिंदगी  आश्चर्य से भरपूर च।  है ना ?
भामा  (जोर से किरांदी ) - तू पागल है।
रंधावा - यीं दुन्या मा सब पागल इ त छन।
     -समाप्त --

13/3/15 Bhishma Kukreti

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
           हत्यारा कु छौ   ?

       ( हत्या, रहस्य , रोमांचक लघु कथामाला - 2 )
              कथा संकलन   - भीष्म कुकरेती


" ममी ! मि तैं छोड़िक न जा ! मि तैं इखुलि डौर लगद।  नि जा। " मि जोर जोर कैक रुणु छौ।
पुलिस वळन ढाढ़स दिलैक ब्वाल ," बेबी ! ममी भौत दूर चंदा मामा का पास चल गे।  अब तू अपण मौसि भुंदराक  दगड़ रैलि।
मि खल्याण  बिटेन रुंद रुंद चौकक तरफ आणु छौ।  पुलिस वाळुन मांक शव क्वीलौं (कोयले ) बीच एक लम्बो काठक सन्दूकम बंद कार अर शव लेकि चल गेन। 
  मि पुरण खल्याणम खड़ु छौ।  यांदुंक छोया म्यार मन मा बगणु छौ।  मीन कबि बि कल्पना नि करि छे कि मि कबि उखम खड़ु होलु  जखम मेरि मांक हत्या ह्वे छे। 
सात साल कम नि हूंद।  चचिक  रैबार पर रैबार आणा रौंद छ अर मि आण से घबराँद छौ।  इखि त मांक हत्या   …। चचिन  मि तैं द्याख अर दौड़िक आयि , मि तैं भिट्याँद , भुकि पींद बुलण मिस्याई , " ये लौड़ी ! मेरी रिंगोड़ी कथगा बड़ी ह्वे गे ?" चचि  प्यार से मि तैं रिंगोड़ी बुल्दी छे।
चचिन  अगनै  ब्वाल  "रिंगोड़ी ! तू अब अठारा की ह्वे गे।  हु बहु पवितरा  अन्वार च। " पवितरा  मेरी ब्वेक नाम छौ।
मीन ब्वाल ," हाँ "
चचिन  ब्वाल , तेरी याद भौत आदि छे पर तू आदि नि छे।  चल अब ऐ गे त खूब याद बिसरलु मि।  अच्छा जा मुख हाथ ध्वे ले।  रस्ता का धूळ , थकान। "
मीन पूछ , " भै बैणि ?"
" बस आणा ह्वाल " चचिन  ब्वाल
मि कमरा मा ग्यों। सात सालुँमा कुछ नि बदल। हाँ जथगा चैन चचिक  मतबल अपण ड्यार आणम आणु छौ   बेचैनी बि उथगा इ छे।  मां की हत्या !
" ये रीमा ! रीमा मेरी प्यारी मौसेरी बैणि ! " मेरी चचेरी  बैणि कुंतला आयि अर वीन में पर जोरकी अंग्वाळ  मार।
समिण पर घनानंद दादा खड़ु छौ।  छुट मा बि दादा  मि तैं आत्मीय ढाढस दींदु छौ अर आज बि वै तैं देखिक मि तैं पता नि कखन अजीब से तागत ऐ कि जन बुल्यां म्यर मन मा ब्वेक हत्याक गरु भार खतम इ ह्वे गे ह्वाल धौं ! म्यार मन सुविधाजनक ह्वे गे।
घन्ना दादान हाथ अग्वाड़ी कार अर ब्वाल ," अरे छुटि  रिंगवाड़ी ! अब ढाँट रीमा ह्वे गे !  मि दादाक अंग्वाळ पुटुक धंसी ग्यों।
घन्ना दादन पूछ ," रिन्गोड़ी ! सॉरी रीमा ! बडा  जी कन छन ?
" बस उनि !  छुट चाचा जी ही दुकान संबाळदन।  बुबा जी तो धार्मिक अर सामाजिक कामुं मा दुकान से अधिक व्यस्त रौंदन।
" सुभद्राक क्या हाल छन ? " मीन पूछ
घन्ना दादाक जबाब छौ ," उन्नी वींतैं पागलपन का दौंरा पड़दन।  जब बिटेन बोडिक  हत्या ह्वे त अचानक कबि कबि बुल्दी कि  बोडि वींक   दगड बात करदि रौंदि।  डाक्टरक बुलण च एक त अर्ध पागल की हालत अर फिर तेरि माँकी मौत से अधिक फरक पड़  गे। "
मि तैं मंज्यूळक कमरा मिल्युं छौ।
मि तैं आण नि चयेणु छौ।  माँकी हत्या  की तरोताजा याद से मि  बिचलित हूणु  छौ।
दुसर दिन नास्ता बाद  कुंतला आई अर बुलण लग बल मि अर दादा बजार जाणो छंवां।  बस द्वैक घंटा मा ऐ जौंला।
मीन कुंतला तैं पूछ कि मांक हत्यारा कु कुछ पता बि चौल ? कुंतलाक जबाब छौ बल पटवारी अर पुलिस अबि बि खोज मा रौंदी।  पटवारी साल भर मा एकाद दैं पूछताछौ बान ऐ जांद।  पर   ....
मि अपण बिस्तर मा पोड़िक याद करणु छौ कि माँ तैं बांधिक तैं बांधिक खचाक खचाक से मारे गे छै अर अबि तक खूनी नि पकड़े। मि भोत देर तक इनि रौं फिर कुछ अजीब सि सहन्ति बि ऐ।  मि खिड़किक तरफ औं। मि इनि खिड़की खुलण चाणु छौ कि दरवाजा परन आवाज आइ ," ना ना !नि खोल। सावधान हाँ ! खिड़की खुललि त वींन भैर भाग जाण "
मेरी चचेरी बैणि सुभद्रा द्वारम खड़ी छे।
"अरे सुभद्रा तू ? तीन त डरै इ दे। " मीन ब्वाल।
सुभद्रान ब्वाल ," देख हाँ मि सच बुलणु छौं।  वींन बाहिर चल जाण "
इन बोलिक सुभद्रा चलि गे। बिचित्र बात कि 'वींन भैर चलि जाण '।  क्वा होली 'वा' वींन ?
दुफरा मा म्यार पसंदक खाणक बण्यु छौ।  खाणक खैक मि थुडा देर सियुं रौं।  कुछ आवाजों से मि बिजि ग्यों।  काकी सुभद्रा तैं समजाणि छे अर सुभद्रा पर पागलपनक दौरा पड़्यूं छौ तो कुछ बि बखणि छे।  फिर जब बिजु त क्या दिखुद कि म्यार पलंग का समिण एक कागज छौ कागज मा म्वासन लिख्युं छौ -जन तेरी मा मोरी , तीन बि मरण।
कागजक अर्थ छौ जैन बि मेरी मा मारी वु इखि छौ।
मेरि समज मा नि आयि कि कागज दिखौं कि ना ? अर कै तैं दिखाण ? चाची तैं ? कुंतला तैं ? घन्ना दादा तैं ? सुभद्रा तैं दिखैक त कुछ बि फैदा नी च , पागल जि च।  यदि मि कागज वै तैं इ दिखै द्योलू जैन माँ की हत्या कार तो ? अर मी कागज कै तैं बि नि दिखै सकदु चौ।
मि कुछ देरौ कुण भैर ग्यों , फिर ख्ल्याण बि ग्यों।  माँकी याद  जि ऐ गे छै   …
 जब मि अपण कमरा मा औं त सुभद्रा भितर छे।
वींन मि तैं दिखदि ब्वाल ," मीन बतै छौ कि अब तेरी बारी च  फिर बि   … "
"क्या मतबल ?" मीन घबरैक पूछ।
सुभद्रान ठंडी आवाज मा ब्वाल ," अब तेरी बारी च।  यदि वींक दगड ह्वे सकद त त्यार दगड़ बि ह्वालु "
मीन द्याख कि कमरामा एक घौण अर फरसा वळ दाथि  बि पड़ीं छे।
मि तैं गुस्सा आयि कि मेरी मांक हत्यारिन खड़ी च ," तो तीन मेरि मां मार ?" मीन सवाल कार।
"हाँ मीनि चाची तैं मार अर अब तेरि बारी च। " सुभद्राक जबाब छौ।
सुभद्रा रुक नी।  वींन बताइ , " जब मि अर तू दगड़ि खिल्दा छया अर मि पर पता नि क्या ह्वे जांद छौ अर मि तितैं झंडमंडै दींद छौ अर फिर रुण लग जांद छौ अर फिर शांत ही ना अर्ध वेहोशी मा चल जांद छौ अर इन बार बार हूंद छौ।  तो एक दिन चाची मेरी ब्वै तैं समजाणि छे बल - भूली सुभद्रा पर पगलपनक दौरा पड़द।  यीं तैं पागलखाना भिजण मा इ फैदा च। "
सुभद्रान सांस ल्याइ।  फिर बुलण लग " अर मीन व बात सूण आल छे कि ब्वे बि मि तैं पागलखाना भिजणो तयारी ह्वे गे।  मि तैं बोडी अर त्वे पर भौत गुस्सा आयि। "
मि।," अर तीन मेरी मांक कतल कार ?"
सुभद्रा ," हाँ "
मीन बोल - पर माँ तैं त बांधिक मरे गए छौ ?"
" नही।  जब बोडि गौड़ पीजाणि छे तो मीन घौणन बौड़िक मुंड पर चोट कार।  फिर बोडिक तै लह्सोरिक खल्याणम लौं अर फिर  ग्यूं कटण वळ फरसान गिँडाइ कट , कट , कट  … "
सुभद्रा किराई , " अब तेरी बारी च।  " वीन घौण उठाइ  …
इथगा मा पैथर बिटेन घन्ना दाकी आवाज आई, " कुंतला ! तू पटवारी तैं बुला।   मि यीं हत्यारिन सुभद्रा तैं संबाळदु  … "
मि बेहोश   ह्वे गे छौ।
  होश आण पर पता चल कि सुभद्रान मि पर घौण चलाइ अर चोट से कम डौरन ज्यादा मि बेहोश ह्वे गे छौ , पर चोट अधिक नि छे।  घन्ना दादान सुभद्रा तैं पकड़ दे छौ।


14/3/15 Bhishma Kukreti
Short Stories, Garhwali Short Stories, Garhwali Murder Mystery Short Stories , Thrill Garhwali Short Stories, Horror Garhwali Short Stories 

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
                       गढ़वाली मा प्रथम विज्ञान कथा
                         बड़ु इ भलु च (विज्ञान -कल्पना कथा )

                  ( गढ़वाली विज्ञान -कल्पना कथामाला -1 )
                            संकलन -  भीष्म कुकरेती
डाक्टर रामचरणन ब्वाल - धीरे धीरे ! क्वी हैंक नि सूणो जन।
 अन्वेषण विभागक द्वी वैज्ञानिक लंचौ समौ पर सबसे पैथराक मेज मा सुरिक सुरिक छ्वीं लगाणा छया कि जाँसे संस्थानों भोजनालय मा बैठ्याँ हौर वैज्ञानिक नि सूण सौकन ।
डाक्टर धरम सिंगन पूछ -सच्ची ?
"हाँ बुनु छौं ना। " डा रामचरणन हौसला अर उत्साह मा जबाब दे।
डा धरम सिंगन ब्वाल -त्यार बुलण च बल ज्वा चीज माइक्रोस्कोप नि कर सकुद वु त्यार रसायन कर सकद ? असंभव , असंभव , कोरी कल्पना !
रामचरणन आवाज बढ़ैक ब्वाल - हाँ ! माइक्रोस्कोप बड़ो च।  पकड़ो , उथगा बखेड़ा करो अर तब सूक्ष्म जीवों तैं द्याखो। अब सूक्ष्म जीवुं तैं दिखण सरल ह्वे गए।
डाक्टर धरम सिंगन अपण कपाळ पकड़द बोल - माई गौड  ! संभावनाओं कु क्वी अंत नी च।  पर ह्वै कनकैक च ?
' इतेफाक से।  जन अधिकतर अन्वेषणु दगड़ हूंद।  खोज कुछ की हूंद अर खोज कुछ की ही ह्वे जांद। मि मुखबास साफ करणो नयो रसायन पर द्वी साल भर से काम करणु छौ। मीन एक बैचक मिश्रण बणाइ पर कुछ गलत ह्वे गे। मीन एक पेटी डिश मा मुखक वुं बैक्टीरिया कल्चर करणो धर्युं छौ जू बैक्टीरिया गंध पैदा करदन । मीन वै रसायनक एक बूंद डाळ जै रसायन का फॉर्मूला की खोज मी द्वी साल भर से करणु छौ। मीन वै रसायनक फॉर्मूला की एक बून्द कु सौंवाँ भाग पेटी डिश मा बैक्टीरिया कल्चर मा डाळ अर ये मेरी ब्वे ! एक सेकंड नि ह्वे कि बैक्टीरिया फम फम पेटी डिश से भैर ऐक  मेज मा फैलि गेन।  म्यार आश्चर्यका मारा चंका चलि गेन।  जु फॉर्मूला बैक्टीरियों तैं मारणो ये हफ्ता बणै छौ उ फॉर्मूला बैक्टीरियों विकास तेजी से करणु छौ।  मृत्युदायक या स्ट्रेलाइजेसन की जगा यु रसायन बैक्टीरियों की संख्या बढ़ाणु छौ याने यु रसायन मृत्युदायक रसायन नि छौ अपितु परजन वृद्धिकारी छौ।  मीन ये रसायन की तुलना म्यार पुरण बणयां रसायनुं दगड कार।  भौतिक रूप से सब एकजनि, यु रसायन मा बि वी माल मसाला इंग्रेडिएंट्स छौ पर ये हफ्ता कु नयो रसायन मा बैक्टीरियों प्रज्जन्न शक्ति बढ़ाणो लाखों गुना शक्ति छे।  बिलकुल उल्टां। मीन फिर एक साल तक ये नया प्रजननकारी रसायन पर खोज कार अर अब मि बोल सकुद कि मीन इन रसायन बणै आल जु अप्रतिम रूप से बैक्टरियों की संख्या बढांद।  " डा रामचरणन उत्तर दे। "
डा धरम सिंगन ब्वाल अर पूछ - विश्वास त नि हूणु च। त्यार बुलणो मतबल च कि ये रसायन से बैक्टीरिया इन विकास कर जांदन कि ऊँ बैक्टीरियों तैं दिखणो बान माइक्रोस्कोप की आवश्यकता नि पड़लि। अर बैक्टीरिया इन बढ़ जांदन कि हम यूँ तैं उठै सकदां।  अब तू दूसर प्रयोग कब करण वाळ छे ?
" मीन  बैक्टीरिया कल्चर चार पेटी डिश इनक्यूबेटर मा धरीं छन।  अर  एक डिश मा नयो फॉर्मूला वळ रसायन बि डळयूँ  च।  भोळ स्याम मि प्रयोग करण वाळ छौं। तू बि छै बजि स्याम दैं मेरी प्रयोगशाला मा ऐ जै।  उख मि दिखौल कि बैक्टीरिया कै हिसाबसे बढ़दन।  " रामचरणो जबाब छौ।
डा धरम सिंग कु जबाब छौ - ठीक च मि भोळ स्याम दैं तेरी प्रयोगशाला मा पौंच जौल।
दुसर दिन द्वी डा रामचरणक प्रयोगशाला क द्वार पर मिलेन।  द्वार खुल्द खुल्द डा रामचरणन बोलि ," सैत च मेरी खोज माइक्रोबाइलोजी अर केमिकल दुनिया तैं हिलै द्याली।  ले मीन पेपर बि बणै याल। " डा धरम सिंगन पेपर पकड़।
डा रामचरणन ब्वाल - तू तब तक पेपर पौढ़।  तब तलक मि इनक्यूबेटर की जांच  करदु।
" अरे तीन तो पेपर इन तयार कर्याँ छन जन बुल्यां तू पेपर ' इंटरनेश्नल जर्नल ऑफ अप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी ऐंड केमिकल्स' मा भिजण इ वाळ छे। "  डा धरम सिंगन उत्साह अर उत्तेजना मा ब्वाल।
डा धरम सिंग बि रामचरण का पास इंक्यूबेटरुं पास गे।
डा रामचरणन द्वी बैक्टीरिया कल्चर डिश इंक्यूबेटर  से भैर  गाडिन।  हरेक पेटी का उप्र ढक्क्न छौ।  डा रामचरणन  दुइ  पेटी दिशुं ढक्क्न ख्वाल।
डा रामचरण - डा सिंग ! यूँ द्वी  दिशुं मा बि E . coli verity indica  याने हानिकारक बैक्टीरिया छन अर यूंमा एक मा सामन्य माउथवाश केमिकल, हैंक मा प्रिप्रेफर्ड माउथ वाश केमिकल , ।  अर जरा यूं दुयुंक  बैक्टीरिया की जांच करदि।
डा धरम सिंगन दुइ पेटी डिश ले अर हरेक कल्चर से थोड़ा सि कल्चर स्लाइड मा धार अर सूक्ष्मदर्शी यंत्र से जायजा ले।
कुछ देर बाद डा धरम सिंगन ब्वाल - कै बि कल्चर मा एक बि बैक्टीरिया ऐक्टिव याने क्रियाशील नी च।  हरेक मा बैक्टीरिया का भैर कैल्सियम कार्बोनेट की तह जमी गे ह्वेल तबि बैक्टीरिया इनऐक्टिव या अक्रियाशील ह्वे गेन।
" वेरी गुड डा धरम सिंग ! अब मि वीं पेटी डिश तैं खुलणु छौं जखमा मीन म्यार नयो नयो रसायन याने अल्फा रसायन का एक मिलीलीटर कु बीसवां हिस्सा  डाळि  छौ।  अब मि वैकि जांच करण चांदु। " डा रामचरण तीसर पेटी क मेज मा धार।
 डा रामचरणन हैंगर से द्वी कवरिंग ड्रेस   आदि निकाळिन एक अफु पैर अर एक डा सिंग तैं पैरणो दे।  दुयुंन केमिकल रिजिस्टेंट ड्रेस, रक्षा कांच अर ग्लोव पैर।
अब डा रामचरणन तिसरी डिश तैं सिंकक बगल मा धार   अर डिशक ढकणा  ख्वाल।  डिशका ढकणा   खुल्दि फळ फळ बैक्टीरिया कल्चर भैर आयि अर मेज मा फ़ैल गे अर थोड़ा मेज मा बि फ़ैल ।  पर कुछ क्षणों इ बाद  बैक्टीरिया कल्चर कु भैर आएं बंद ह्वे गे।
बगैर बात कर्याँ डा धरम सिंगन डिश मांगैक कल्चर एक स्लाइड मा धार अर सूक्ष्मदर्शी यंत्र का तौळ धार। अर माइक्रोस्कोप से द्याख अर चिल्लाई , " व्हट ! E . coli verity indica कु इथगा बडु साइज ?"
रामचरणन ब्वाल - यस यस ! दैट इज द इनवेंसन ! यही नया अन्वेषण है ! ये त नै खोज च !"
डा धरम सिंग फिर चिल्लाई ," डिश का ढकण बंद कौर अर जु मेज मा गिर्युं च उखमा पुरण प्रिफर्ड माउथ वाश केमिकल डाळ। "
डा रामचरण फटाक  से समजि गे कि डिश से कखि बैक्टीरिया फ़ैल नि जावन तो ढकण लगाण जरूरी च।  अर मेज मा फैल्युं कल्चर मा एंटी बेक्टिरया केमिकल से बैक्टीरियों तै स्टेरियलाइज करण बि जरूरी च। डा रामचरणन डिशक ढकण बंद कार अर जखम बि बैक्टीरिया कल्चर गिर्युं छौ वैक उप्र माउथ वाश  बैक्टीरियल केमिकल डाळि दे।
डा धरम सिंगन ब्वाल - आस्चर्यजनक ! अमेजिंग !
डा रामचरण - अब जरा चौथी डिश चेक करण पोड़ल।  यीं डिश का बैक्टीरिया मा मीन एक मिलीमीटर नयु रसायन डळयूँ च। इनक्यूबेटर का खास टेम्प्रेचर कारण रसायन का   प्रभाव नि पड़नु च।  पर अब थोड़ा सावधानी बरतण जरूरी च। "
डा रामचरणन डिश बिलकुल सिंकक पास लायी अर मेज का कोना मा धार।  डा धरम सिंग आश्चर्य मा दिखणु छौ। डा रणचरणन जनि डिश ख्वाल कि डिश से फ्यूण जन पदार्थ भैर आण शुरू ह्वे।  डा धरम सिंगन एक बून्द फ्यूण उठाई अर सूक्ष्मदर्शी से जाँच कार।
धरम सिंग फिर जोर से चिल्लाई " व्हट ! बिगर ऐंड बिगर E . coli verity indica जस्ट इम्पॉसिबल।  असंभव ! असंभव ! "
डा रामचरण पर जन दिव्ता ऐ गे हो।  " बिलकुल नया आविष्कार।  अब डा सिंग तू  तो बाोलॉजिस्ट छे तो पता लगावो कि यि E . coli verity indica बड़ा कनै हूणा छन?"
धरम सिंगन बोल ," ह्यां बड़ा बि अर यीं डिश की E . coli verity indic का शरीर भीतर बि कैल्सियम कार्बोनेट का दांतेदार स्पाइक्स पैदा हुयां छन।  मतबल यूं बड़ा E . coli verity indica   का गुणु मा बि बदलाव च एकी परिवार का द्वी तारांक E . coli verity indic.
डा रामचरण तैं पता नि क्या सूज अर वैन चौथि डिशक बैक्टीरिया कल्चरक एक बूंद तिसरी डिशक कल्चर मा डाळ।
फिर कुछ देर बाद डा रामचरणन अब फिर से तिसर डिश का कल्चर टेस्ट करणो डा धर्म सिंग तैं दे  ।
डा धर्म सिंगन ये कल्चर का बैक्टीरिया की जांच माइक्रोस्कोप मा कार अर चिल्लाई - बड़ा E . coli verity indica छुट  E . coli verity indica  तै खाणा छन।  अजीब ! बड़ा बैक्टीरिया अपण जातिक बैक्टीरिया खांदू च पर साइज का हिसाब से किलै ?
डा रामचरणन डा धरम सिंग कुन ब्वाल - जरा मटन पर टेस्ट करे जावो।
डा धरम सिंग समजी गे कि क्या करण।
वुं दुयुंन चार डिश मा बखरौ पिस्युं मांश धार।  हरेक मा सुई की  चोच से थुडा थुडा साधारण बैक्टीरिया कल्चर डाळ।
अब डा रामचरण का आदेशानुसार डा धर्म सिंगन पैलि मटन डिश मा  डा रामचरण कु खुज्युं रसायन नि डाळ , दुसर डिश मा थोड़ा जादा रसायन डा , फिर तिसर मा और जादा रसायन अर चौथू मा सबसे अधिक रसायन। चारि डिशुं  तैं एकी वातावरण दीणो बान एकि इनक्यूबेटर मा धरे गे।
डा रामचरणन ब्वाल - अब तिसर दिन हरेक डिशका बैक्टीरिया टेस्ट  करे जाल।
तिसर दिन बड़ी सावधानी से जांच कार। कुछ बि कल्चर मेज मा गिराये गे।  अपितु हरेक डिश  अलग अलग कांच की थाळी मा धरे गे अर तब डिशु ढक्क्न खुले गे।  दुसर डिश से ढक्क्न उठाये गे तो बैक्टीरिया फोर्मेसन अधिक छौ पर डिश तक सीमित छौ। तिसर डिश से फ्यूण आई अर भौत आई।   चौथी डिश मा रसायन अधिक छौ तो ढक्कन उठाणो बाद तेजी से सबसे अधिक फ्यूण चौथि डिश से आई
रामचरण अर डा धर्म सिंगन पायी कि चौथा डिश का बैक्टीरिया और डिश का बैक्टिरयों तैं मारणा इ नि छया अपितु कट कट की आवाज बि आणि छे।
डा धरम सिंगन माइक्रोस्कोप मा पायी कि रसायन की मात्रा अनुसार E . coli verity indic की कोशिका बड़ी त छन ही अपितु बड़ी कोशिकाओं का अंदर कैल्सियम कार्बोनेट का दांत बि बड़ा छन।  याने नया  रसायन E . coli verity indica की प्रजनन शक्ति इ नि बढ़ाणु छौ अपितु कोशिका का अंदर कैल्सियम कार्बोनेट का दांत रसायन की मात्रा का अनुसार बड़ा छ।  फिर रसायन की मात्रा बड़ा बैक्टीरियोन मा दुसर छुट बैक्टिरयों तैं मारणै शक्ति निर्धारित करणी छे।
डा धरम सिंगन ब्वाल ," डा रामचरण ! म्यार हिसाब से यु अनुसंधान नि हूण चयेंद।  कुछ तो प्रकृति विरुद्ध काम ह्वे गे।  यु रसायन  बैक्टीरिया याने E . coli verity indica  का DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लीइक एसिड ) याने जैविक अम्ल तैं प्रभावित करणु च अर यांसे बैक्टीरियों की प्रजनन शक्ति आताशीत बढ़नी च , बैक्टिरयों का आकर सूक्ष्मदर्शी से दर्शी आकार तक आणु च अर आम बैक्टीरियों से हजारों गुणा अधिक गैस बणानै तागत बि बढ़नी च। गैस बि त टेस्ट करण पोड़ल।  म्यार हिसाब से जु बि रसायन DNA या क्रोमोजोम तैं प्रभावित कारो वै अन्वेषण तैं नि करण चयेंदन।  हम द्वी माइक्रोबायोकेमिस्ट छंवां ना कि क्रोमोजोम वैज्ञानिक। यु रसायन जीवों मा म्युटेसन (उत्परिवर्तन ) पैदा करणु च।   परीक्षण तैं अब्याक -अबि रोक। म्युटेसन का अन्वेषण हम सरीखा वैज्ञानिकों वास्ता हितकर नी च।
रामचरणन हँसिक ब्वाल - हूँ ! डा धर्म सिंग ! यु अन्वेषण धमाका कारल।  हाँ गैस फोर्मेसन संबंधी अन्वेषण करण जरूरी च।  जरा मेरी मदद। कारो
डा धरम  सिंग - देख हाँ बुल्युं मान जा। म्युटेसन का एक्सपेरिमेंट का वास्ता हमारी लैब लायक लेबॉरटरि नी च।
रामचरण - डा धर्म सिंग डर्ख्वा कबि बि युद्ध अर अन्वेषण मा कामयाब नि हूंदन।
क्वी बि आदिम अफु तैं डरख्वा नि बताण चांदु तो झक मारिक डा धर्म सिंग तै डा रामचरण का साथ दीण पोड।
 दुयुंन मिलिक बड़ा बड़ा कांचक जारूँ मा पिस्युं  मटन धार। जार मा   नापणो वास्ता मेजरिंग स्केल प्रिंट  छा ।  फिर हरेक जार  मटन मा साधारण बैक्टीरिया कल्चर का एकै मिलीलीटर  डाळ।  पैल जार मा रसायन नि डळे गे , दुसर जार मा एक मिलीलीटर का दसवां भाग  रसायन मिलये गे, तिसर  जार मा एक मिलीलीटर का पांचवां  भाग  रसायन मिलये गे; चौथु जार मा एक मिलीलीटर   रसायन मिलये गे।  हरेक जार मा कागज चिपकाए गे अर हरेक कागज मा जार का अंदर क्या च का विवरण लिखे गे छौ।  जार का ढक्क्न बंद करणो बाद इनक्यूबेटर मा धरे गेन।  याने गैस फोर्मेसन आदि की जांच का वास्ता सब प्रयोग करे गे।
रातक नौ बजि गे छे।  हमउमरी वैज्ञानिक , द्वी अपण अपण स्टाफ क्वाटर मा गेन।  धरम सिंग शादी सदा छौ अर डा रामचरण की शादी विज्ञानं से हुईं छे तो अबि अकेला ही छौ। हाँ आज डा रामचरण का मन माँ एक संदेह आणु छौ अर दिमाग माँ केवल एक बात आणि छे -गैस , गैस अर गैस। 
डा रामचरण तैं निंद आइ च धौं कि ना पर डा रामचरण रात द्वी बजी लैब बिल्डिंग का तरफ चल दे।  डा रामचरण अफिक बुदबुदाणु छौ - यदि रसायन से बैक्टीरियों प्रजनन शक्ति प्रभावित हुणै च तो अवश्य ही नया बैक्टीरियों मा नई तरह की गैस बणाणै शक्ति ऐ गे होलि।
डा रामचरण आदतन रात बि लैब मा काम करदा छ तो लैब बिल्डिंग का चौकीदारन डा रामचरण तै बिल्डिंग भितर जाणि दे।  जनि डा रामचरणन लैब का द्वार खुलिन तनि जोर की आवाज आई अर बिल्डिंग मय डा रामचरण अर चौकीदार सहित आग मा धू धू करिक जळी गे।
कै तैं नि पता छौ कि बिल्डिंग पर अचानक आग किलै लग।  हाँ डा धरम सिंग तैं त पता छौ पर ए बगत तो डा धरम सिंग सियां छया।

16/3/15 @ Bhishma Kukreti


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
   Very Short Garhwali Stories

                    बड़ बामणु उज्याड़खवा  गोर बि बड़ै लैक हूंदन !

               (  गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -1, Garhwali Very Short Stories -1 )
                         कथाकार -- भीष्म कुकरेती

सीताराम जखमोला   - अरे अरे सि दिखदि पलि सारी सत्या कुकरेतिक गोर उज्याड़ खाणा छन
जग्गु कुकरेती -दिन दुफरा मा सत्या कुकरेतिक निगुसैंका गोर उज्याड़ खाणा छन। ये सत्या कुकरेती का गोर अबि  चिलंग  जोग ह्वे जैन , बाग़ जोग ह्वे जैन, तड़म लग जैन । आज सत्या कुकरेतीक बुबान  खूब गाळी खाण।  मजा आलो।
बस्तीराम जखमोला  - अबै सि सत्या कुकरेतिक गोर नि छन।  दिखणि नि छे लाल गौड़ी ? सि गोर सत्या बहुगुणा गुरजी का छन।
जग्गु कुकरेती  -ये मेरि  ब्वे ! चलो रै , सत्या गुरुजिक गोर बौड़ैक लयाँदां।  निथर बेकार मा सत्या गुरजीक बुबाजीन गाळी खाण।

17 /8 /2015 Copyright @ Bhishma Kukreti ,
Garhwali Stories; Very Short Garhwali stories from Garhwal; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, Himalaya; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, North India ; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, South Asia;


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Very Short Garhwali Stories  ;  Modern  Folk Stories


       बुलशिट कथगा दिन चल सकुद ?

(  गढ़वाली लघुकथा श्रृंखला -6  , Garhwali Very Short Stories -6   )
                         कथा , कथा रूपांतर   -- भीष्म कुकरेती

एक मुर्गा अर बुल याने बल्द मा गाढ़ु दगुड़ थौ।  द्वी खुस रौंद था।
एक दिन मुर्गान ब्वाल बल - मि  ऊंचाई पर चढ़न चांदो।
बल्दन ब्वाल - अरे तू म्यार मोळ खा , तेपर अप्रतिम ऊर्जा ऐ जाली अर  तू ऊंचाई पर चढ़ जैली।
मुर्गान बल्दो मोळ खाई अर वै का शरीर मा ऊर्जा ऐ गे।  मुर्गा वैदिन एक फौन्टी मा चौड़ गे।
दुसर दिन मुर्गान फिर से मोळ खाई अर डाळक मथ्याक फौन्टी ,आ चढ़ गे।
अब रोज मुर्गा बल्दौ मोळ खाओ अर डाळक  और मथ्याक फौंटी मा चढ़दो  गे।
अंत मा एक दिन मोळ खैक मुर्गा डाळक चुप्पा मा बैठ गे।
तबी एक बन्दुक्या की नजर मुर्गा पर पोड अर वैन बंदूक चलाइ अर मृत मुर्गा भीम पोड़ि गे।
प्रबंध सूत्र - मोळ याने बुलशिट से तुम ऊंचा पद अवश्य पै जैल्या पर मोळ /बुलशिट का भरोसा हमेशा वे   ऊंचा पद पर नि रै सकदा।

/12 /2015 Copyright @ Bhishma Kukreti


Garhwali Stories ; Very Short Garhwali stories from Garhwal ; Very Short Garhwali stories from Garhwal , Uttarakhand ; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand , Himalaya ; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, North India  ; Very Short Garhwali stories from Garhwal, Uttarakhand, South Asia  ;Garhwali Folk Stories , modern Garhwali Folk Tales , Modern Garhwali Folk Stories




Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

           Inspirational Modern Garhwali Stories   
              गाडौ गड्याळ गंगम ( गढवाली कहानी )
 (महेशा  नंद
(यह एक काल्पनिक कथा है। किसी से मिलान होने की स्थिति में मात्र संयोग समझा जाय)
एक छौ गड्याळ। गड्याळ छौ भरि तिबड़ट्या। वे थैं गाडम् उचमुचि सि उठदि छै। एक दिन वेन गाड बिट बिगळेंणू उयार कै द्या। वु लगि छपताट कै गाड बिट उब्बू। उब जांणम् वे असंद आ। वेन सरेलम् बोलि-- "फूक कांडा लगौ, कक्ख रौं मि उकाळ बुकुंण फर लग्यूं। खुड़बुट उंदू जांदु।"
गड्याळ गाडा पांणिम् उंदू लगि छतपत-छतपत कै। वु सर्र उंदर्यू खुंण बौगी गंगम् ऐग्या। गंगम् दिख्येनि वे बिंड्डि बड़ा माछा अर छकंण्य पांणि। गंगा माछौन् वे थैं गाडौ गड्याळ जांणी वे कि पुलबैं कै द्येनि। लाडम वे फर अंग्वाळ बि बोटि द्या।
पुलबयूंम् वेन गंगा माछौं दग्ड़ि छुतपुत-छुतपुत कै घांण सरांणू (अपड़ु मतलब निकंळ) पीना दांत (चापलूसी कन) लगै द्येनि। स्यू गंगा माछौं थै उळ्यांण बैठि। जब बिंड्डि घळ्च-पळ्च(मेल मिलाप) ह्वे ग्या त स्यु पौदा माछौं दग्ड़ि लीरा ल्हींण (तर्क-वितर्क कन) बैठि। गाडम् त वु छपताट कर्दु छौ। गंगम् वु फबताट-भबताट कन गीजि ग्या। पाछ मुकरंगै बि कै द्येनि सैन।
गंगा माछा खप्प खौळ्ये ग्येनि--- "हैं! चुचौं कतरि बकि बात ह्वा! देबि छ्वट्टि अर छल बड़ु। गाडौ गड्याळ दंगळ्यांणू च ब्वालदि माछौं थै।"
पाछ वून वु फक्क फिंगै द्या। कैन बि वु मुक नि लगा। वु नरक्या अर गगळांण बैठि। वेन द्येखि गंगम् एक पुरंणीई डूंड(नाव)। वाम बैठी वु अर ऐगि फेर गाडम्। वु गाडा सौब रौ-भौ बिस्रि ग्ये छौ। वे थैं गाडम् छपताट कन नि आ। वु त भबताट कन गीजि ग्ये छौ। त स्यु गाडम् बि कन बैठि कतळ-बतळ। पंण गौळा गिंद्वड़ि लगि ग्या भासा। गाडै बोलि-भासा बिंगणी नि। पंण तौबि स्यु लबराट कन बैठि ग्या।
गाडा सज्यून (सचेत) माछौन् बींगि द्या---- यु बौग्यूं गड्याळ बौड़ी ऐ ग्या। भा रै! ये थैं इक्ख फबताट-भबताट नि कन द्या, यु तक्ख उंद ग्या त छेड़ि कै आ। अर अब इक्ख बि फबताट कन बैठि ग्या।

Copyright@ Mahesha Nand , Pauri
Modern Stories, Modern Stories from Garhwal; Modern Stories from Garhwal, Uttarakhand; Modern Stories from Garhwal Himalaya; Modern Stories from Garhwal North India; Modern Stories from Garhwal South Asia  ;
‘Let Us Celebrate Hundredth Year of Modern Garhwali   Stories!


Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
        माल्टौ डाळु अर अफखौ मनिख
-
 गढवाली  कहानी-महेशा नंद
-
 
फरस्वा सग्वड़म् छौ एक माल्टौ डाळु। वे फर लग्दा छा छकंण्य रसबसा माल्टा। पंणि जन्नि माल्टा खांण जुगा हूंदा त बांदर सौब माल्टौं थैं दमळै दींदा छा। बांदर माल्टा खांदा अर पाछ फरसु थैं लिकै बि जांदा। फरसू , वे कS नौना अर नाति-नतिंणौं थैं नै-नवांण कनू खुंणै बि एक सोळि माल्टै चखंणू नि मीली। फरसु थैं भिंग्रि चौढ़ि ग्येनि---"यारु, अमंणि मिन यु डाळ्वी डिंडै दींण। तब खंया बंदरु तुम माल्टा।"
वेन उठै द्या कुलSड़ु। जन्नि वेन माल्टा डाळा गेळ फर कुलSड़ि मप्या कि तबSरि रंणु ब्वाडा ऐग्या वुक्खुम्। वेन फरसू खुंणै बोलि-- "किलै ढळकांणै भुला स्यु डाळु ? स्यन्न नि कैर।"
"दिदा, यु म्यरु डाळु च। मि ये थैं गिंड़ौ चा करकौं, तुम कु हुंद्या ट्वकंण वळा ?" रंणु खप्प खौळ्ये ग्या।
तत्रि जुग भरि अगळति ह्वे ग्या। माल्टौ डाळु मनिखा भौ मा सैंदिस्ट फरस्वा संमणि तड़तुड़ु ह्वेकि ब्वन्न बैठि--- "तुम इन कन बोलि सकद्यां कि माल्टौ डाळु तुमSरु च ? माल्टौ डाळू न माल्टौ च, न तुमSरु, यु डाळु त सैरि मुंथौ च। हे मनिख ! भरि निखर्त ध्यौ छन त्यारा। तु मै थैं इन बथौ कि मनिख अपखौ किलै हूंद ? मनिख ब्वाद---- यु म्यारु कूढ़ू, यु पुंगड़ू, यु म्यारु सग्वड़ू, यु म्यारु जाSर-जख्यरू, यु म्यारु नौनू, यु म्यारु नाती, अपड़ा कूढ़ा पेट तुम अफी-अफ रंद्या, कै हैकS थैं एक बेळि बि नि संद्या। अपड़ा पुंगड़ा अर सग्वड़ा मंगैं घासै डैळि तका कै नि कटंण दिंद्या। चुचौं तुम अपड़्वी-अपड़ु किलै ब्वाद्यां ? कै दां हैंकौ बि त ब्वाला। जन मि ब्वादु--- म्यारु छैल, हैंकौ खुंणै। म्यारा फल-फूल-- हैंकौ खुंणै। म्यरि बास हैंकौ खुंणै। म्यारु बथौं-- हैंकौ खुंणै। म्यारा जलुड़ौं बटि छिज्यूं पांणि हैंकौ खुंणै। म्यारा झड़्यां पत्ता, सुख्यां क्याड़ा अर बकि त फुंड फूका, म्यारा मुना पाछ बि म्यरु सुख्यूं लखड़ु बि हैंकौ खुंणै हूंद। तौबि मि कै फर नि पित्येंदु। म्यारा फल सब्यूं खुंणै छन। अब चा क्वी बांदर खौ, चा क्वी मनिख, मै फर क्वी अंच-खंच नि आंद। ल्या, या च म्यरि गत, तुम मै थैं करका चा गिंडा, मिन कक्खि FIR नि लिखांण।"
फरस्वा हत बटि कुलSड़ु छट्ट छुटि ग्या। वेन माल्टा डाळौ हत जोड़ी बोलि--- "मि अफखौ मनिख छौं। मि त्वे जन सगंढ सरेलौ नि छौं--- जु हैंकौ खुंणै जलम ल्हींद।"
सर्वाधिकार  @ महेशा नंद
Let Us Celebrate Hundredth Year of Modern Garhwali   Stories!

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22