हरी मिर्च।
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(संस्मरण )[/size]
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हरी लखेड़ा
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भीष्म कुकरेती जी की पेज पर और उत्तराखंड रसोई विज्ञान ग्रुप मा आजकल उत्तराखंडी व्यंजन मा सब हरी मिर्च क स्वाद चखणै छन, जन हरी मिर्च नि ह्वेक हरि क आशीर्वाद ह्वा।
क्वी बुनै ये मा विटामिन सी, ए, बी-६, आइरन, कौपर, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, और कुछ छुट्टी गे ह्वा त वी भी हूंद ।
हरि मिर्च बल पाचन शक्ति बढ़ांद, स्किन चमकांद, वजन घटांद, और डायबिटीज़ से बचांद!
आप ही बतौ जै चीज़ मा यतना गुण छन वा हरि कु प्रसाद ही बुले जालु न।
पता नी कै कै तै पता ह्वालु पर बतै द्यूं कि म्यार गाँव बनचूरी क सग्वाड मा मिर्च त मिर्च, धनिया, हल्दी, ल्याहसुण, प्याज़, की खेती हूँदी छे । जख्या और भांगुल त अफीक जमी जांद छे। कहावत च त्यार पुंगडु मां जख्या भांगुल जामुल! अब त वनि भी सब वनि भी बांझ पड्यां छन!
मिर्च की पैली पौद उगांद छे! लगातार पानी की ज़रूरत। स्कूल क रस्ता मा पाणी क स्रोत छे त पौद की पाटली कु देखभाल क जिम्मा स्कूल्या छ्वारौं कु छे! पौद तैयार हूंण क बाद सग्वाड मा लगै दींद छे । एक महीना मा फल शुरु!
अरे भै, मिर्च त मिर्च ही च ! जु लगांद च और जै पर लगदी च वी जांणदन।
पाँच छै सालुक रै होलु तब! दगड्यों कि पता नी क्या ठाणी रै। ब्वाल कि हरी मिर्च खांण से नज़र तेज हूंद । पैलि त विश्वास नि ह्वे पर स्वाच कि नज़र तेज ह्वा भौं न ह्वा नुक़सान त कुछ नी। एक आध मिर्च त खै ही लींदु छे!
सग्वाड ग्यूं और दनादन पाँच छै मिर्च चबै दीन! आंखूंद पाणी बगणै रै, गिच्च मा सी सी पर परवाह इल्ले । बतै कैतै नी। बाद मा द्याख त जीभ और सारी गल्वाड पर छाला पड़ीं छन। रात मा न रोटी सब्ज़ी दे पर नि खये । मा न पूछ क्या बात च, मीन गिच्च चौडु करीक बतै कि छाला पड्यां छन। सारी बात बताण पड । तीन दिन तक दूध भात खै।
बौटम लाइन या च कि हरी मिर्च या मिर्च क बिना मसाला नी हूंद पर हिसाब से। यन नी ह्वा कि खाल चमकाण क चक्कर मा गिच्च जीभ -गल्वाड -चमिक जावन।
हरि क प्रसाद समझीक खैन, प्रसाद चुटकी भर हूंद, पेट भरीक ना!!