कवि : शेर सिह बिष्ट "अनपड़"
जनम : ०३ अक्तूबर १९३३
ग्राम - माल रोड, अल्मोड़ा
छपी किताबे : हिंदी कविता
१) ये कहानी है नेफा और लड्दक की (कुमाउनी हास्य गीत संग्रह)
२. हसन बहार
३. दीदी बैणी
४. हमर मै बाप - कुमाउनी कविता संग्रह
५. मेरी लटि पटी (१९८१)
६. जाठिक घुघुर (१९९४)
७. व्यग्य कविता संग्रह
८. फचैक (१९९६) बालम सिंह जनौती के साथ)
९) शेरदा समग्र
पता - श्याम बिहार, तल्ली बमोरी हल्द्वानी
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चौमास क ब्याव
भादव भिन निझूत कनई, साइ पौणिक चाव
इन्द्रानी नौली हलानी, हौल के अडाव!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव
छलके हैलो अगास ले आपुन खवर क भान
धुर जगल खकोई गयी, पगोयी गयी डान
गाव गाव तलक डूबी गयी, खेत स्यार सिमार!
नटु गध्यारा दगे बमकाण फैगे गाड़!!
गोठक पिरूल चवीने दाज्युक सुरयाव!!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव
बौडी भूल रुपौल गैनई हंसी खेली दिनमान
दबाब लागी बेर त्वाप मरनायी बादव बेमान !!
हाव बजे मुरूली सीवे दे कान क मुरकुली !
गिज भितेर गिज ताणनयी रुपली दुगुरली !
कोणिक बलाड नाचनई इचाव निसाव!!
मडुवा हाडनहु दिनौ झुडर मुन्याव !!
संण संण संण सौंण तड तड तड तड़ात!
द्न्यारे बंधार पूछने घरकी कुशल बाद !!
ओ दीदी ओ आम कुनै जोड़ने जौ हाथ !
ज्यू जाग पैलाग हैर सार दिन पूरी रात !!
दूध जस पानी बगनी कराड़ी महाव !
खोई पटाडन नाचनई चुपताव खाव !!
भुज तुमाडी, तैड राडा खुसखुसाट
चु उगाव तिल थमनायी भडरि बुबू हाथ !!
चमेली फूल, छपेली गैनई गुल्डोरी चाचरी!
रंगली देवरों दगे नाचने हाँजरी !
घौत भट्ट मॉस, रेस हालनई अडाव
नाई माण, टुपार फारु मरनायी उछाव!!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव
गदू चिचन, लौकी तोरई, ठासी रेई ठ्दार!
पातो हौ आन, काथ कुनाई रात में ककाड!!
प्याड जा नाशपाती है रई महव जानी म्याव!
बेडू, आडू, घिगाडू,ओ इजा! जाणी मिसिरी गवाव!!
खुंडी ओहरी ब्येरे बिगौत फराव !
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव
रंगली डाना टाक पैरनई, धोती लगुनयी धार !
मखमली पिछौडी ओडनई तलि मलि द्वि सार !!
सौणि धरतिल बने हाली नौणी जै गात !
बौयल जा दिन देखनई ब्योली जै रात !!
छ्वे नैयक पाणी फुटना हियक जौ उमाव
छाती मे कुरकाती लागूना सुवक दी रुमाव !!
डाना काना काखिन हसणी, चौमास क ब्याव