ग़ज़ल
उमेश चन्द्र सिंह रावत
अब बदल्यलीं मिन अपड़ी आ°खी,
त्यार आ°ख्य°ून अब दुन्या थैं द्यखणू° छौं।
घृणा, बैर, ईर्ष्या का कांडा अलझणा छन् जख झगुला पर्,
त्यार सहारा कु ट्यक्वा ले अब वख रस्ता बणाणू छौं।
मि नि लड़दु अब कै से बड़ु आदिम बणंना कू,
हर कैंथै अ°ग्वाˇ बोटि भिटिन्दु अब प्यार फैलाणू° छौं।
भंड्या डैर गौं बाटू° म अन्ध्यरू च बिरिड़ि नि जौ क्वी,
अफु थैं सुलगाणू छौं ज्ञानै फू°कल अब उज्यˇु घुरकाणू° छौं।
म्वरणां की डैर से खरीदणां छन् ग्वाˇा तोप
देशभक्तू° बटि सीखि लेऔं समर्पण अब जीणा आस बटणू° छौं।
धूˇ माटू म भ्वरेकी की भी नि खुजै सकीं परमात्मा वो लोग,
अपर वि वासैं आ°ख्यू मा वे थैं अब पलकों मा सजाणू° छौं।
सुण्यू° म्यारू कि प्यार म छोड़ि दिदीं दुन्या लोग,
कि दुन्या म रˇिणौं छौं अब हर दिल मा प्यार पैटाणू छौं।