Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 16448 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ग्यौं जौ की सार्युं मा
बहार यै ग्यायी
दौडी दौडी की होली कु
त्योहार यै ग्यायी
आमु की डाल्युं मा
मौल्यार यै ग्यायी
बौंरु मा भौंरों की
रस्यांण यै ग्यायी
बांस की पिचकर्युं की
वा रस्यांण नी राई
हुलेरु की टोली भी अब
झंणी कख ग्यायी
पलायन की दीदों या
कन बथौं आई
मनख्युं की दगडा दगडी
रिवाज भी ली ग्यायी
सुचंणु छौं दीदों बैठी
दुर परदेश मा
म्यार गौं मुल्क की रौनक
कख हर्ची ग्यायी
ग्यौं जौ की सार्युं मा
बहार यै ग्यायी
दौडी दौडी की....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दुर छौं परदेश दगडयों
याद गौं की आंणी च
घुट घुट बडुली मेरी
जिकुडी खुब खुद्यांणी च
रुड्युं क अब दिन यैगेन
बेडु काफल पाकल
तिमला की पुडक्युं मा दगडया
हिंसर किंग्वड चाखल
आक्यो पाक्यो मीन नी चाक्यो
घुघती चैत की बासली
दीदी भूल्युं तै मेरी दगडयों
खुद मैत की लागली
चैत्वाली रुट्युं की खुद
ब्यटुल्युं तै लागली
बढा बाज ढौल दमौं
चैत की जब बाजली
दुर छौं परदेश दगडयों
याद गौं की आंणी च
घुट घुट बडुली मेरी
जिकुडी खुब खुद्यांणी.....
सर्वाधिकार सुरक्षित @लेख. सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बिंडी दिनु मा ध्वंलु छौ....ल्या तब
..........................
आरोप प्रत्यारोप की
औडल अयीं च पहाड मा
कित्यान बर्षु की काली पोथी
खुब दिखेंणी पहाड मा
कखी दल बदलु बंण्यां छन
कखी बिरड्यां आणा छन ड्यार मा
निखंणी निपंणी निसंणी हुयीं च
17 क रगर्याट मा
अबी बिटी की पलै गेन टिक्वा
बुकठ्यों की अब खैर नी
कच्ची पक्की दारु बोतल
पोंछण बैठी गेन पहाड मा
बसकल्या छुवाया सी फुट्यां छन
नेता म्यार पहाड मा
गुरा सी बौंफर मना छन
धारु धार गाड मा
आरोप प्रत्यारोप की औडल
कन अयीं च पहा....
लेख@सुदेश भट्ट (दगड्या)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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छैंदी की भी निछंदी हुयुं छौं
बांजी कैकी कुडी अयुं छौं
सौली सी दुंली बैठ्युं छौं
दिल्ली की घिंमसाण मा
सरा उलार छोडी यैग्यों
गाड्युं क पुंप्याट मा
घुर्चा घुंडी कन हुंयी च
यीं दिल्ली क रगर्याट मा
तीन सौ नाली बांजी पडीं
25 गज मा चितांणु साब छौं
वबर मज्युल मा ताल लग्युं
यख सौल दुंली मा लमतांण छौं
मच्छर चिपट्यां छन यख
मलज्वट क म्वार सी
सै नी सकदु रात भर
ताल्युं क गगडाट मा
छैंदी की भी निछंदी हुयुं छौं
बांजी कैकी कुडी.....
सर्वाधिकार सुरक्षित @सुदेश भट्ट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पैली उतडां कर्युं छ्या
अब कुकडां कर्युं च
उतराखंड रुंणु द्याखो
बरगबान हुयुं च
चिंतन मंथन कुछ नी हुंणु
बिकाश कार्यों क बार मा
चम्मचा भी बिजी हुयां छन
सदस्यता अभियान मा
डुंग पडल युंकी गैर्युं पर
बिना पुंछ जन कीड बी
खै पकै की पुटुक मलासी की
त्वाक लग्यां जु 17 की
रोज हड़ताल चक्का जाम
युंकी काली पौथ्युं मा
लोग परेशान हुयां छन
परेडग्राऊंड अर तहसील मा
पैली उतडां कर्युं छ्या
अब कुकडां......
सर्वाधिकार.@लेख.सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धिक्कार है रे हे मानव
निज हित को ही साधा है
अपने निज हित के खातिर
बेजुबान घोडे को मारा है
हो रही है राजनिति अब
हाई प्रोफाईल घोडे पर
टिकी हुयी हैं सबकी नजरें
चुनाव 2017 पर
कांग्रेस बीजेपी की अंतरकलह मे
युकेडी भी लगी जुगाड मे
छोटे छोटे दल बर्षाती
अब अवतरित हो रहे पहाड मे
बेजुबान पर हो रही राजनिति
औवेसी कन्हैय्या पर ये चुप्पी क्यों
भारत मां को सरेआम जो
चौराहों पर देते गाली हैं
टांग टुटी या तोडी गयी
ये सवाल भविष्य के गर्त में
राजनिति की गरम कढाई
पक रही है उत्तराखंड मे
कल तक जो करते थे बात
आदर्श उत्तराखंड की
भूल गये हैं सब कुछ अब वो
घोडे की तन्हाई में
अश्व है वो कांच नही
जो पल मे बिखर जायेगा
एक ही डंडे मे ईतना
लहुलुहान हो जायेगा
अगर हैं ईतने बलशाली
अपने ईस परदेश मे
खल्ली को बुलाके फिर क्यों
बेफजुल के डराते हो
अब ले डुबेगा घोडा ये
बडे बडे शुरमाओं को
कई अभी बी लगे हुये हैं
खुश करने मे आकाओं को
युकेडी को ईस्तफा से
कम कुछ मंजुर नही
अब मत बोलो घोडा घोडा
वो ईंसान से अब कम नही
जिंदा रहा तो लग रहा है
1 टिकट ये घोडा पायेगा
भारी बहुमत से जीतकर
बिधानसभा मे जायेगा
घोडे को लेकर गर्म हुयी उत्तराखंड की सियासत पर घोडे को समर्पित@लेख.सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रंग और पिचकार्युं की
रस्यांण अयीं होली
नयी बौ डर की आज
वबर लुकीं होली
सरा गौं क द्युर आज
त्वाक लग्यां ह्वाल
खन्नु छोली क देली मा
खड हुयां ह्वाल
बौडी भी छ्वारों तै
खुब भट्यांणा होली
भैजी बी म्यार आज
खुब रिस्यांणा ह्वाल
गैल्या बी कती आज
रंगमत हुयां ह्वाल
गाड गदनी कखी धार
महफिल सजांण ह्वाल
रंग और पिचकार्युं की
रस्यांण अयीं.....
आप सब्युं तै होली की शुभकामनाओं की दगड समर्पित @सुदेश भट्ट"दगडया"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड मे चल रही राजनितिक उठापटक पर ये लेख....
बजट सत्र भी फेल हुवा अब
भ्रष्टाचार की मैरिट मे
तारंण हार मौज कर रहे
दिल्ली के लीला होटल में
राजनिति के अंगारों मे
रो रहा है उत्तराखंड
भ्रष्टाचार की बेडीयों मे जकडा
हुवा उतंणपंड है
घोडे गधों की राजनिति मे
उत्तराखंड फंसा दिया
जो नही चाहते थे बने राज्य ये
आज उनको हंसा दिया
अपने निज हितों के खातिर
चीर हरंण प्रदेश का
चाल चली शकुनी की यैसी
हुवा अहित प्रदेश का
जहां होने थे तीन अभी तक
आठ कुर्सी वहां बदली हैं
सोच रहा प्रदेश हिमालया
क्या यही मेरी तकदीर है
रो रही है आत्मा उनकी
लाठी डंडे जिन्होने खाये हैं
पृथक राज्य के खातिर रामपुर खटीमा
मसुरी में भी जान गंवाई है
धिक्कार तुम्हे तुम डुब मरो
अंजुल भर पानी मे
उत्तराखंड का गला है घोटा
तुमने भरी जवानी मे
दीदी भूलियों से बिनती मेरी
तिलु रौतेली का सुमिरण करो
भ्रष्टाचारी ईन कत्युरों का तुम ही
जडफती बिनास करो
बजट सत्र भी फेल हुवा अब
भ्रष्टाचार की मैरिट......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट"दगडया"

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हे रबैग्युं तुमकुणै
कन निरास ह्वाई
हैंसदी ख्यल्दी दुनिया मेरी
तुमन ख्वै द्याई
क्या बिगाडी मीन तुम्हर
मीतै जरा बिंगाऊ
शक्तिमान तै आज तुमुन
मजबुर बंणै द्याई
अबी त ऊना छ्या मी
द्वी दांत ही ह्वै छ्यायी
राजनिति कु खुंडु टिक्वा किलै
मेरी कुंगली खुट्युं मा चलाई
मी मीमणांणा रौं घ्यलच्यांणु रौं
पर मेरी कैन नी सुंणी
अपंणी खुशियों क बान नरब्यों
तुमन मेरी डौंणी कटाई
आज देखी क रुवांणा छौं
अपुंण कट्युं खुट
यैचीलेन मी फर तुमुन
गोली किलै नी चलाई
म्यार दगड्या घ्वाडा सब
जांणा छन पीटी परेड मा
परांण खयांणा म्यार भी
उछंडण कु पुलिस लैन मा
मीन क्या जंण कांग्रेस बीजेपी की
जु मीथै मोहरा बंणाई
अपंणी लडै मा नरब्यों तुमन
मीतै चौकडे द्याई
मीत मरी जौलु द्वी चार दिनु मा
पर शबर देकी जौलु
जन मेरी भग्यनी रंड्या
वनी तुमरी भी ह्वै जैन
हे नरबैग्युं तुमकुंणै
कन निरास......
उतराखंड की राजनिति के शिकार हुये बेजुबान घोडे शक्तिमान की पीडित मन की ब्यथा@सर्वाधिकार.. लेख. सुदेश भट्ट"दगडया"8860087884

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बड भैजी साहित्यकार बलबीर रांणा"अडिग"जी व सीमा पर सतर्क प्रहरीयुं तै समर्पित ऊंक मन का भावों की दगड या रचना...
कबी बंबई दिल्ली
कबी ऊंची डांड्यूं मा
दुर छौं परदेश दगड्यों
खुद तुमरी आंख्यु मा
आंख्यु मा रिंगदी मेरी
पैंय्या कुलैं की डाली
सुपन्यु मा द्याखी दीदों
गांव अपुंण ब्याली
फर फर हवा दीदों
चलणी छे धार मा
सुपन्यु मा डबखणा रौं
आम की डल डाल्युं मां
कबी बंबई दिल्ली
कबी ऊंची डांड्यूं मा
खुद लगदी दीदों जनी
मेरी यख थाती मा
छ्वाया सी पांणी मेरु
यै जांदु आंख्यु मा
कबी बंबई दिल्ली
कबी ऊंची डांड्युं मा
दुर छौं परदेश दगडयों
खुद तुमरी आंख्यु .....
सर्वाधिकार सुरक्षित @सुदेश भट्ट"दगडया"

 

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