ग्यौं जौ की सार्युं मा
बहार यै ग्यायी
दौडी दौडी की होली कु
त्योहार यै ग्यायी
आमु की डाल्युं मा
मौल्यार यै ग्यायी
बौंरु मा भौंरों की
रस्यांण यै ग्यायी
बांस की पिचकर्युं की
वा रस्यांण नी राई
हुलेरु की टोली भी अब
झंणी कख ग्यायी
पलायन की दीदों या
कन बथौं आई
मनख्युं की दगडा दगडी
रिवाज भी ली ग्यायी
सुचंणु छौं दीदों बैठी
दुर परदेश मा
म्यार गौं मुल्क की रौनक
कख हर्ची ग्यायी
ग्यौं जौ की सार्युं मा
बहार यै ग्यायी
दौडी दौडी की....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)