Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 25980 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वेगे
गों खोलों की मेलों की दीदों
याद छक्वै यैगे
चौंड भौन गैणाडांड
खुब रौनक अयीं होली
दुर दुर बिटी अयीं दीदी भूली
आपस मा भिट्याणा होली
नन तिना भी आज
खुश हुयां ह्वाल
कुई पुयीं वालु गुब्बारा
कुई डमरु बजांणा ह्वाल
सरा मणिकुट आज
स्वर्ग बण्यूं ह्वाल
देबी दयवता म्यार जख
परगट हुयां ह्वाल
यैथर यैथर चलणी होली
मां चौंडेस्वरी की डोली
म्याला मा अयीं होली दीदी भूली
अर नयी नयी ब्योंली
जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वैगे
गौं खोलों की मेलों की
दीदों याद छक्वै यैगे
गरमा गरम जलेबीयुं की
रस्यांण अयीं होली
चुडी कांडी अर चुंट्यूं की
दुकान सजीं होली
जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वैगे
गौं खोलों की मेलों की
दीदों छक्वै.....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वेगे
गों खोलों की मेलों की दीदों
याद छक्वै यैगे
चौंड भौन गैणाडांड
खुब रौनक अयीं होली
दुर दुर बिटी अयीं दीदी भूली
आपस मा भिट्याणा होली
नन तिना भी आज
खुश हुयां ह्वाल
कुई पुयीं वालु गुब्बारा
कुई डमरु बजांणा ह्वाल
सरा मणिकुट आज
स्वर्ग बण्यूं ह्वाल
देबी दयवता म्यार जख
परगट हुयां ह्वाल
यैथर यैथर चलणी होली
मां चौंडेस्वरी की डोली
म्याला मा अयीं होली दीदी भूली
अर नयी नयी ब्योंली
जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वैगे
गौं खोलों की मेलों की
दीदों याद छक्वै यैगे
गरमा गरम जलेबीयुं की
रस्यांण अयीं होली
चुडी कांडी अर चुंट्यूं की
दुकान सजीं होली
जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वैगे
गौं खोलों की मेलों की
दीदों छक्वै.....
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जिस माटी मे जन्मे मेरे
बीर चंद्र गढवाली
जिस माटी मे जन्मी हो
बेटी तीलु रौतेली
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
जिस माटी मै खेल कुद कर
जन्मे जहां बीर कप्पु चौहान
दुश्मनों के छक्के छुडाने जहां
पैदा हुये यशवंत और गब्बर जवान
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
जिस माटी की हरेक शिला मे
देवों के दर्शन होते हैं
निर्मल अविरल धारा के रुप मे
जहां मां गंगा के दर्शन होते हैं
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
जहां पंख्या दादा की गौरव गाथा
पुरे पहाड का मान बढाती है
पतिब्रतता पालन करती
जहां जंन्मी रामी बौराणी है
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
ईस माटी का फूल होने पर
खुद भी गौरव करता हुं
उस माटी को कोटी कोटी
नित रोज नमन मैं करता हुं

सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रावण तु आज बल
जग जगा फूंक्यांणा होली
परबात फिर कखी न कखी
टुपली पैरीक पैदा ह्वे जैली
कु मारी सकदु दीदा त्वै
बाहुबली मनखी तै
परबात भ्रष्टाचार बणी की
तु फिर पैदा ह्वै जैली
पैली त्यार खुंटा पन रैन
चांद सुरज अर काल
आज त भ्रष्टाचारयुं की कुटुमदारी
तीन तंदयल पर सी बांधी याल
तीन त लंका ही बण्या सुन की
यख त स्वीस बैंक भरै गेन
तेरी जन दस दस लंका
भग्यानु जगजगा बणै देन
शरेल ही मरी त्यारु हे रावण
आत्मा त भटकणा ही च
महंगाई अर भ्रष्टाचार बणीक
मार मार कैकी द्वास लगीं च
कलयुग मा तु हे दशानन
एक ही मुंड लेकी यैयी
कखी मंहगाई भ्रष्टाचारी
कखी घोटाला कैरी ग्यैयी
हाहाहाहा कैकी दादा
तु आज खुब हैंसणा होली
नयी नयी घोटालों की
भीतरी भीतर प्लान बणांणा होली
अरे कु मारी सकदु त्वै
अजर अमर अभिमानी तै
गबन घोटालों की फाईलों मा
जगजगा समयुं छै
अरे झुगली टुपली जाली तेरी
हपार कांड की डाल्यूं मा
कैन ब्वाल तु मरी गे
परगट हुयुं छै भ्रष्टाचार्युं मा
त्वै भ्रष्टाचारी तै मरन कुन
यख कती राम पैदा ह्वैन
जौंन हम मनख्यूं तै ठगे की
अपण निजि स्वार्थ सधेन
तु त जब तक ज्युंदी रै
रावण ही बणी क रैयी
हमर छंटयां राम भी तीन
रावण बणै देन
त्वै तै चिंता छै फिकर छै
अपणी पुरी लंका की
यख त भ्रष्टाचार्युं न देश कु
जमा लुट्या डुबई याली
त्वै कुन हाथ जोडी
बिनती करदु
दीवु धुपंण अर
उठंण गडदु
बोल क्या चयांणा त्वैतै
मी बीजा त्यार बणवे द्यांदु
जर्मन जपान चीन फ्रांस क त्वैै
पैकेज दिलै द्यांदु
त्यार जांण से देश फिर
सुन की चकुली बणी जाली
रोट भेंट की पुजा त्वै
बराबर दियांणा राली
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

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रावण तु आज बल
जग जगा फूंक्यांणा होली
परबात फिर कखी न कखी
टुपली पैरीक पैदा ह्वे जैली
कु मारी सकदु दीदा त्वै
बाहुबली मनखी तै
परबात भ्रष्टाचार बणी की
तु फिर पैदा ह्वै जैली
पैली त्यार खुंटा पन रैन
चांद सुरज अर काल
आज त भ्रष्टाचारयुं की कुटुमदारी
तीन तंदयल पर सी बांधी याल
तीन त लंका ही बण्या सुन की
यख त स्वीस बैंक भरै गेन
तेरी जन दस दस लंका
भग्यानु जगजगा बणै देन
शरेल ही मरी त्यारु हे रावण
आत्मा त भटकणा ही च
महंगाई अर भ्रष्टाचार बणीक
मार मार कैकी द्वास लगीं च
कलयुग मा तु हे दशानन
एक ही मुंड लेकी यैयी
कखी मंहगाई भ्रष्टाचारी
कखी घोटाला कैरी ग्यैयी
हाहाहाहा कैकी दादा
तु आज खुब हैंसणा होली
नयी नयी घोटालों की
भीतरी भीतर प्लान बणांणा होली
अरे कु मारी सकदु त्वै
अजर अमर अभिमानी तै
गबन घोटालों की फाईलों मा
जगजगा समयुं छै
अरे झुगली टुपली जाली तेरी
हपार कांड की डाल्यूं मा
कैन ब्वाल तु मरी गे
परगट हुयुं छै भ्रष्टाचार्युं मा
त्वै भ्रष्टाचारी तै मरन कुन
यख कती राम पैदा ह्वैन
जौंन हम मनख्यूं तै ठगे की
अपण निजि स्वार्थ सधेन
तु त जब तक ज्युंदी रै
रावण ही बणी क रैयी
हमर छंटयां राम भी तीन
रावण बणै देन
त्वै तै चिंता छै फिकर छै
अपणी पुरी लंका की
यख त भ्रष्टाचार्युं न देश कु
जमा लुट्या डुबई याली
त्वै कुन हाथ जोडी
बिनती करदु
दीवु धुपंण अर
उठंण गडदु
बोल क्या चयांणा त्वैतै
मी बीजा त्यार बणवे द्यांदु
जर्मन जपान चीन फ्रांस क त्वैै
पैकेज दिलै द्यांदु
त्यार जांण से देश फिर
सुन की चकुली बणी जाली
रोट भेंट की पुजा त्वै
बराबर दियांणा राली
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बीर चंद्र गढवाली
जिस माटी मे जन्मी हो
बेटी तीलु रौतेली
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
जिस माटी मै खेल कुद कर
जन्मे जहां बीर कप्पु चौहान
दुश्मनों के छक्के छुडाने जहां
पैदा हुये यशवंत और गब्बर जवान
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
जिस माटी की हरेक शिला मे
देवों के दर्शन होते हैं
निर्मल अविरल धारा के रुप मे
जहां मां गंगा के दर्शन होते हैं
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
जहां पंख्या दादा की गौरव गाथा
पुरे पहाड का मान बढाती है
पतिब्रतता पालन करती
जहां जंन्मी रामी बौराणी है
उस माटी को कोटी कोटी
शतबार नमन मै करता हुं
ईस माटी का फूल होने पर
खुद भी गौरव करता हुं
उस माटी को कोटी कोटी
नित रोज नमन मैं करता हुं

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मेरी उदास ह्वेगे
गों खोलों की मेलों की दीदों
याद छक्वै यैगे
चौंड भौन गैणाडांड
खुब रौनक अयीं होली
दुर दुर बिटी अयीं दीदी भूली
आपस मा भिट्याणा होली
नन तिना भी आज
खुश हुयां ह्वाल
कुई पुयीं वालु गुब्बारा
कुई डमरु बजांणा ह्वाल
सरा मणिकुट आज
स्वर्ग बण्यूं ह्वाल
देबी दयवता म्यार जख
परगट हुयां ह्वाल
यैथर यैथर चलणी होली
मां चौंडेस्वरी की डोली
म्याला मा अयीं होली दीदी भूली
अर नयी नयी ब्योंली
जिकुडी आज परदेश मा
मेरी उदास ह्वैगे
गौं खोलों की मेलों की
दीदों याद छक्वै यैगे
गरमा गरम जलेबीयुं की
रस्यांण अयीं होली
चुडी कांडी अर चुंट्यूं की
दुकान सजीं होली
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मेरी उदास ह्वैगे
गौं खोलों की मेलों की
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वा त्यार बान दिनभर
भुख तीस बैठीं च
सांकी सुकी ग्या बिचरी क
गली तीसन उबयीं च
हथ्यूं मां मेहंदी रचैकी
श्रृंगार खुब कर्युं च
त्यार बान दादा बौ
बिगरेली ब्योंली बंणी च
जरा भी फिकर ह्वैली
बगत पर घर यैली
आज किसा मा पव्वा ना दा
कुई नई निशाणी लैली
वा त्यार बान हे नरबै
भुख तीसी बैठीं च
त्वै कन नी फिकर भैजी
तेरी अपणी महफिल सजयीं च
ठ्यकों मा बैठीक त्यारु
स्वीच भीआफ कर्यूं च
नशा मा चुर भुनी
यांमा कुछ नी धर्युं च
वा बिचरी त्यार बान
भैर भितर कनी च
त्वै कन नी फिकर वा
जुगली जुनी क कनी च
वा तुमरी बान दिनभर
भुख तीस बैठीं च
परबात च दीदों
करवाचौथ कु त्योहार
लखांणु च सुदेश भटट
तुमकुन पैली यु रैबार
बगत पर घर पौंछी क
अपणी पुजा करै लेन
दोस्तु की महफिल
फिर कभी सजै लेन
वा तुमरी बान दिनभर
भुख तीसी बैठीं
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया) सबी दीदी भूल्युं भै बंधुओं तै करवाचौथ की शुभकामनाओ की दगड यु संदेश

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हैंसदी रै ख्यल्दी रै
टिकुली बिंदुली चमकदी रै
मुंड मा सिंदुर तेरो
फूलु सी डाली हैंसदी रै
द्वी हथी चुडयुं न भरै
हतेली मा मेहंदी रचदी रैन
नाक मा फुल की चमक
खुट्य माुं पैजीब बजदी रैन
हैंसदी रै ख्यल्दी रै
टिकुली बिंदुली चमकदी रै
देवी दयबतों की दीदी भुली
आशीर्वाद तुमतै मिलणा रैन
घर ह्वा या परदेश स्वामी
सुखी श्यांदी रखणा रैन
तेरी दुनिया की डाली मा दीदी
खुशियों क फूल लगदी रैन
तेरी जुनी सी ऊज्याली मुखडी
मुल मुल हैंसदी रैन
हैंसदी रै ख्यल्दी रै
तेरी टिकुली बिंदुली....
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया) की करवाचौथ पर दीदी भूल्युं कुन सादर सप्रेम भेंट

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
12 hrs · New Delhi ·

कल्‍पना मा देखणु छौं,
तीन सौ चौसठ दिन का बाद,
लाल दा बिष्‍ट जी बण्‍यां छन,
जन बोल्‍दन बाग,
पूजा होलि आज बिचारौं की,
खुलिग्‍यन तौंका भाग.....

जुन्‍याळि रात की जोन भी हैंस्‍लि,
खित खित हैंस्‍ला खूब बिचारा,
हंसमुख छन यी दगड़या हमारा,
हास्‍य की गंगा बगौन्‍दा,
जू मनखि कब्‍बि ना हैंसि हो,
वेकु तैं हैंसौन्‍दा.......

-जगमोनह सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
कविमन की कल्‍पना छ, नाराज नि होयां
दिनांक 30.10.2015

 

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