देव भूमि बद्री-केदार नाथ
अंधीयारी
जुन्यली मुखडी
चकोर सी की थै खोज्यनी वोहली
ईं अंधीयारी रात मा
अखां की पुतली कीले संणकाणी होली
जुगीन सी कीले झागमाण होली
जल बुझी की क्या जात ण होली
माया का फैरा दगड़ लगण वहाली
यकुली यकुली केले बाचाण वहाली
राता का प्रहार येरे दगडया मेरा
काखक बाटी साराण येरे दगडया मेरा
सजै की बैठी च कुअलण येरे दगडया मेरा
सारी रात यानी कटण येरे दगडया मेरा
पखीं पाखं सी कतरण ये मेर जगरण
बीता दिनों की यादों की अब रहेगे भ्रमण
कीले च उदास केले च ये तड़पण
अंशों का आँखों मा लगीरैंदी दाडमण
जुन्यली मुखडी
चकोर सी की थै खोज्यनी वोहली
ईं अंधीयारी रात मा
अखां की पुतली कीले संणकाणी होली
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com