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Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
घर की खिड़की

मेरे घर की खिड़की है
मेर ये जीवन दर्पण
चार कोने लोहे के सलाखों
सहरे जुडी होई
मेरे घर का सुरक्षीत होने
का आभास दिलाती रहती है
मेरे घर की खिड़की है

कई प्रहार ऐकांत
मे मै बैठे बैठे मेर मन
मस्तिस्क मै उभरे
कल्पनाऊं विचारों को
आपने कलम के सहरे
अक्षर बंध करती होये
मेरे घर की खिड़की है

वो सुबह का भोर
दोपहर की कड़ी धुप
शाम की छायी लाली
रात के अंधेरे मै खो जाती
मुझे कुछ सोचने मजबोर करती
मेरे घर की खिड़की है

काले काले बादल का गर्जना
हवाओं का यूँ चलना
बरखा का बरसना
बजली की कड़कड़हट
मेरे अंतर पटल पर
सुखद सन्देश मै भिगो जाता है
मेरे घर की खिड़की है

हर दुःख सुख की गव्हा
उसको ही मेरी परवाह
उस मै भी छुपा मेर खुदा
ना कीसी से वो भी जुदा
सबके नजरों मै आती
और आप को भी भाती होगी
मेरी तरह आपके घर की खिड़की
मेरे घर की खिड़की है

मेरे घर की खिड़की है
मेर ये जीवन दर्पण
चार कोने लोहे के सलाखों
सहरे जुडी होई
मेरे घर का सुरक्षीत होने
का आभास दिलाती रहती है
मेरे घर की खिड़की है

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
मण मयारू

मण मयारू
मण मेरु आज बस मा णी राई
कंण विपदा घार कै गयाई
मण मयारू बोझ मा दबी ग्याई
खैरी का बस्गा घरु होग्याई
मण मयारू ..........

लूटपाट मांची जख भी जावा तख
त्रश्दी ही त्रश्दी छयी यख या वख
मयारू गढ़ देश भी अछुतु णी रही
म्यार लोगों की पीड़ा बढग्याई
मण मयारू ..........

यखार यखार रै रैकीं मै भी
याखरी सी ही मी होग्युं
एक शुन्य मा ग़ुम होग्युं
यथार्त से भागदा रैंगुओं
मण मयारू ..........

उकल उंदर पाटों मा पीस ग्याई
खैरी की कामणी छुट ग्याई
बंजा पुन्गाडा सी बंजा होग्याई
मयारू बीज कण मोर ग्याई
मण मयारू ..........

हरु हरु देख्दा देखाद मांण कालु होगई
जीवण की चरखी खेचता खेचता
ये दागड़या मण क्या बात होग्याई
मी कीले मी णी रहई ये मेर मण
मण मयारू ..........

ऊँचा हिमाल देखाद देखाद
मण मयारू केले छुटु होग्याई
सै णी कम णी का वास्ता है देबता
रोंल्लयुं का गदनीयौं संग बोगी गयाई
मण मयारू ..........

मण मयारू
मण मेरु आज बस मा णी राई
कंण विपदा घार कै गयाई
मण मयारू बोझ मा दबी ग्याई
खैरी का बस्गा घरु होग्याई
मण मयारू ..........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Poem by Bal Krishan D Dhayani.

घुघूती

घुघूती तो बास
ये ऊँचा डंणड़ीयुं मा
घुगुती तो बास

तेरी घुग सुने की
याद आणों ये पहाड़
मण पन्हुचगे रुतैला
मुल्क म्यार गढ़वाल
घुगुती तो बास

हीमखंड को शिला यख च
देबतूं को निवाशा
बद्री- केदार कपाट यख
हमरु धन धन भागा
घुगुती तो बास

तेरी घुगे तेरी घुगे
तन उडों ये आकाशा
याद येगै बाबा बोई की
अन्खोयुं निकले धारा
घुगुती तो बास

याद येगै छुटपन की
दागडीयुओं का खेला
ओ हीन्शोलों का डाला
टीपैकी मील जोंला खोंला
घुगुती तो बास

पन्त्दैर का कीबलाटा
घ्स्यरी गीतों गूंजती डंडी
बल्दों की जोड़ी का घंडा
लै जांदी मयारा गों का बाटा
घुगुती तो बास

उख होली उभी मेरी जी
हिरणी होली मेर बाटा
आम की डाई मा बैठिकी
झट दोडी लै आजा संदेसा
घुगुती तो बास

घुघूती तो बास
ये ऊँचा डंणड़ीयुं मा
घुगुती तो बास

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
वो क्या ?

वो बातें आँखों ने कही तुमने सुनी क्या
रातें सील्वाटों पर उभरी तुम पर कभी गुजरी क्या
एक टक देख तै रहना मेरा इंतजार था क्या
तुम्हारी छावी से बातें करना वो मेरा प्यार था क्या
वो बातें आँखों...............................

माथे पर घिरी पसीनो की बूंदे परेशनी है क्या
पैशनी की उभरी लकीरों छुपी प्यारा की कहानी है क्या
बीते दिनों बीते पलों की कोई निशानी है क्या
अटखेली लेती होई मासुम जवानी है क्या
वो बातें आँखों...............................

दूर लो की तरह जलती कोई बत्ती हो क्या
दिये मै फैले तेल की साथी हो क्या
रोशन ऊपर अंदर अंधेरे की खाई हो क्या
मीलों दूर फ़ैली लंबी कोई जुदाई हो क्या
वो बातें आँखों...............................

वो बातें आँखों ने कही तुमने सुनी क्या
रातें सील्वाटों पर उभरी तुम पर कभी गुजरी क्या
एक टक देख तै रहना मेरा इंतजार था क्या
तुम्हारी छावी से बातें करना वो मेरा प्यार था क्या
वो बातें आँखों...............................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.co

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
जीकोडी को उमाल

बारामास म्यार पहाड़ों मा..............२
तासों उदास म्यार पहाड़ों मा ............२

मण को तिश म्यार पहाड़ों मा .......२
ठंडो मीठो पाणी म्यार पहाड़ों मा .......२
बारामास म्यार

घुघूती को घुरो म्यार पहाड़ों मा .......२
मैता को खुदु म्यार पहाड़ों मा .......२
बारामास म्यार

बोरंश खीलो म्यार पहाड़ों मा .......२
काफल पक्युओ म्यार पहाड़ों मा .......२
बारामास म्यार

होली की होल्यार म्यार पहाड़ों मा .......२
ओझो को ढोल बन्दों का लासका म्यार पहाड़ों मा .......२
बारामास म्यार

उकाला उन्दारो म्यार पहाड़ों मा .......२
पीड़ा खैरी बारामास म्यार पहाड़ों मा..............२
बारामास म्यार

दूर डंडी को बंशी बजाणो म्यार पहाड़ों मा..............२
को गुअर चरंदो म्यार पहाड़ों मा..............२
बारामास म्यार

बंजा पुन्गाडी की दिशाधणी म्यार पहाड़ों मा..............२
रीता होग्या गों घुठ्यार म्यार पहाड़ों मा..............२
बारामास म्यार

ऊँचा कैलाश म्यार पहाड़ों मा..............२
केले छुड गै सब आस म्यार पहाड़ों मा..............२
बारामास म्यार

भगवती को मांडाण म्यार पहाड़ों मा..............२
सब थै सुखी संथ रखी म्यार पहाड़ों मा..............२
बारामास म्यार

कण उजाड़ उजाड़ होयुं म्यार पहाड़ों मा..............२
आंखी को उमाल कीले भैरअंदो म्यार पहाड़ों मा..............२
बारामास म्यार

बारामास म्यार पहाड़ों मा..............२
तासों उदास म्यार पहाड़ों मा ............२

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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