देव भूमि बद्री-केदार नाथ ये डाली
मेरा गढ़ देशा की ये डाली
कंण मटमोटी बिगरली ये बाली
ब्थों मा कंण लह लहल्ह्यंद या
बात मेर उत्तरखंड की बथंद वा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२
ये डंणडी मा ये सरीयुं मा
घुघूती हीलंसा भी ये डालियुं मा
ये जीकोड़ी मा ये दगडी मा
माया प्रीत लगे ये डालियुं मा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२
प्योंली बुरंसा खिला डालियुं मा
विपदा खैरी कंणड़ लगा डालियुं मा
कीन्गोड़ काफल पक्की डालियुं मा
खूब चखी चखी खाई ये डालियुं मा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२
जख भी मी जंदु वख वो दिखंद वा
मेर दगडी चुप कैकी बचाण वा
डाणडों मा हरैली पस्रयंद वा
यकुली यकुली दूर खडी लाज्यंद वा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२
मेरा गढ़ देशा की ये डाली
कंण मटमोटी बिगरली ये बाली
ब्थों मा कंण लह लहल्ह्यंद या
बात मेर उत्तरखंड की बथंद वा
ये डालियुं मा( झुम्पा खेल हम ...२) ...२
मी थै याद बहुँत अंद वा
मेरा गढ़ देशा की ये डाली
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत..