Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 231648 times)

devbhumi

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अपने से

अभी शांत नहीं बस मौन हूँ
पूछता हूँ अपने से कौन हूँ

सुलगाने दो जलेंगे देर तक
बुझती आग हूँ अभी शांत नहीं

तपिश है बस  निराशा  नहीं
मांगता हूँ हक़ हताश नहीं

मोम ने बस दरारें भरी
आंखें बंद  है  सोया नहीं

अभी कोई मेरा पता नहीं
ढूंढता हूँ खुद से खफा नहीं

ऐ तन्हाई मेरी  अनमोल  है
सुकून है मुझे तुम्हे संकोच है

बालकृष्ण डी ध्यानी
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devbhumi

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तेरी एक मुस्कान ही

यूँ तो किसी के भी संग
बैठकर दो पल
हँसना-बोलना
बचाना अच्छा लगता है
यूँ तो ....

अकेले हैं आए भी अकेले
जाना भी  अकेले  है
तो क्यों कर के  अखरता है
ऐ अकेलापन
यूँ तो ....

खुशियों के संग जिंदगी के रंग
धरती पर बिखरें यंहा वंहा
सवाल है ऐ एकाकीपन
क्यों  ना पाता वो निर्जनता पार
यूँ तो ....

चिर देती है
तेरी रुसवाई ऐ  सीना
गले आकार जब तेरी  मायूसी,
मुझ से गले मिलती  है
यूँ तो ....

यूँ तो शिकायतें हैं
तुझ से सैंकड़ों मगर
तेरी एक मुस्कान ही
काफी है मेरे जीने के लिए 
यूँ तो ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
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भिगो देती हैं .......

भिगो देती हैं
वो प्रेम की बौछारें  तेरी
इस कदर..हमे इस कदर

पन्ने भी तेरे  ऐ सोच भी तेरी
किताबें भी खुद ही खुद हो गई अब तेरी 
इस कदर..इस कदर

सुना है इस  दुनिया से
यूं असर डाला है तुम ने  मैं रहा ना किधर
इस कदर..इस कदर
भिगो देती हैं .......

बहुत आसान है अब पहचान उसकी 
उसने काह हम इंसान हैं किताब नही
इस कदर..इस कदर

वो कहानी थी, चलती रही,
ऐ किस्सा था, खत्म हुआ ही गया
इस कदर..इस कदर

अकेले में अकेले से यूँ ही लगा रहा
अकेल ही उनको अपना बताता  रहा
इस कदर..इस कदर
भिगो देती हैं .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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काफल टिपकर

चांद तारे तो तोड़कर
इतनी दूर से तो मैं  नहीं ला सकता
अपने पहाडों से  काफल टिपकर
इस बार ऐ  पहाड़ी  तुम्हे  जरूर खिला सकता
चांद तारे तो तोड़कर ....... 

नारंगी बैगनी  हरे  रंग की
बस एक झुरमुट  हो तुम
दिल में यूँ ही सदैव रहोगी तुम
तुमसे जो हमे इतनी उल्फत है
चांद तारे तो तोड़कर ....... 

गोल रसीली खटि- मीठी सी
ललचाते पुकार रही है आ जाओ मुझे टिप्ने को
'काफल' हूँ बचा लीजिए मुझे
मैं  तो  उत्तराखंड का ही फल हूँ
चांद तारे तो तोड़कर ....... 

जितने खूबसूरत यहां के मेरे पहाड़ हैं
उतनी ही खूबसूरत मेरे पहाड़ की संस्कृति है
यहां इन दिनों फिर काफल की बहार आई हुई है
चलो हम चलें उन्हें मिलकर चुनने को
चांद तारे तो तोड़कर ....... 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बैठने दो

बैठने दो
दो घड़ी अपने पास
इतना हक दो कि
बस पूछ सकूं
तुम क्यों हो उदास ?

जो कुछ है   
वो क्षणिक है
आया गुजर जाएगा
बहने दो उसे
बस अपने निशान
वो छोड़ जाएगा

रोक सकता नहीं
बस पूछ सकता हूँ
नन्ही कलियाँ तोड़
तुम्हारे बलों में
क्या मैं सजा सकता हूँ
 
प्यार यही है
मुस्कुराती रहो सदा
धूप आशाओं की
बनकर आँगन मेरा
यूँ ही खिल खिलाती  रहो सदा

बैठने दो

बालकृष्ण डी ध्यानी
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आदिम औरृ डाळा

 

आदिम

बेकसूर डाळों को कुल्हड़ी न हत्या करदु

वूं का सीरर ते इजा कैरि कि

निरदई

उघड़ मां वों को परपंच लगे देंदु

अदिमों को राज यन हि हुंदु

 

भोल डाळों कि सत्ता आळी

तब आदिम का बि हड़गा टुटला

वों ते बि ऊनि ई जनि उघड मा रखे जालो

वूं का कुंटब मां कैकि मृत्यु हैव जाली त

वूं पर हुंया अत्याचार जनि

वो आदिम पर वो प्रयोग करला

आदिम राज आण से पैल

हत्या का सबूत ठिकाण लगाण धरण कला

डाळा बि आत्मसात कैर दयाळा

जन एक बार फिर

वूं कि सत्ता ऐजाव

 
बालकृष्ण डी ध्यानी
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बाट ते थे दिस जाली
« Reply #3466 on: December 27, 2022, 05:45:37 PM »

बाट  ते थे दिस  जाली

खोजी ले खोजी ले... बाट  ते थे दिस  जाली

फक्त  तेथे  हिटणा  को सज्ज  हो यार

ना अबि ना अबि क्वी ना हो टाळ  मटोल

फक्त  तेथे खुद दगडी लढणा को सज्ज  हो यार

खोजी ले खोजी ले...



हिटदरी बाट तेथे  बोलि ल

चल छोड़ि  क जोंला  परति  कि

छाती मा  वो मारला  कितेक  घौ जिकोड़ि बोलि ल   

चल छोड़ि क  जोंला  परति  कि

फक्त  तेथे निरभै होण्या  को सज्ज  हो यार

खोजी ले खोजी ले...



बरखा बरख़िल  सर सरि

फक्त  तेथे भिजणा को सज्ज  हो यार

सूरज  तपिलो ते परि प्रचण्ड

फक्त  तेथे घामांघूम  होण्या  को सज्ज  हो यार

खोजी ले खोजी ले...



कबि  सच  भेंट लो ते  कबि झूठ

कबि  मान  भेंट लो ते  कबि अपमान

आकाश  मां  उड़ दा वो पंख  तेरा

कबि त वों ते ले  तू भुमि मां त  ऐलु

फक्त  तैमा वैमा लय भिटाण्या को सज्ज  हो यार

खोजी ले खोजी ले...



हरेक  उकाल उकालता   ना

फक्त नै जोश लेकि सज्ज  हो यार

जबैर  लगलू  कुच नि  व्है सकदु

फक्त  नै सोच दगडी  सज्ज  हो यार



खोजी ले खोजी ले... बाट  ते थे दिस  जाली

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जय गोलू देबता
« Reply #3467 on: December 27, 2022, 05:48:01 PM »
जय गोलू देबता

हमरी पीड़ा अफि मा जा तू समै
क्या पाई तिल यखमा रैकि यख रुपै
गोलू देबता लगे हमुन फिर ते थे  धे
दौडी ऐजा हमते लिजा ते दगडी सरे

दुई हात जोड़ि कि हम छा बैथयां
अपडा से एकमत ह्वैकि हम छा बैथयां
तेरु ही धास तेर सार अब हमते लग्युं छा
चिट्ठी मा स्वाल लिखी सब्बि छा बैथयां 

मनोकामना सबै कि पूरी व्है जाली
न्याय देबता जबै तू सबते न्याय देलि
घांट चिट्ठी मिल बि गेड़ी च मंदिर मा
तू मिते ना  कै ते ना अब ना तू बिसरे

हमरु उत्तराखंड को चितई गोलू देवता
तेरू जय जयकरा रै  हमरा मुखम सदै
हम सबु ते तू सत बुद्धि सत मार्ग बते
छोड़ि  कि गयां सबु ते पाड़ों मा परते

हमरी पीड़ा अफि मा जा तू समै  ....
जय गोलू देबता
बालकृष्ण डी ध्यानी
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[b]लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि[/b]
« Reply #3468 on: December 31, 2022, 11:52:11 AM »
[/img]

ना ऐ पिछने तू इन पाठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

जैल ऐ बि बुरू टैम थोडु टैम लगे दि
अपडो परयों कि बल खुद लगे कि
ध्यान धैर ध्यानी ऐ आखेर नि छ
डैरी डैरी कि हि  सै ते थे बाट देखेलि

ना ऐ पिछने तू इन पिठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

पता छे ते वै समण तू ठैर निसकदु
कुच निछ ते पास वै दगड़ लड़णा कुन
फिर बि वैते चित्कारी ललकार देणु रे
बिच बिच मां तू वै ते हुंकार देणु रे

ना ऐ पिछने तू इन पिठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

ध्यान धरि ऐ समै क्या शिक्षा देणु
हरेक बेल ऊ तुमरी परीक्षा लेणु
उपयोग मा ले अफ ते सक्षम कना कुन
कु छु मि ? अर क्या ह्वै सक्दु ऐ जण ना कुन

ना हात-खुथी गालि वै कु रूप देखिकि 
स्वार हवैजा वै पर लड़णु छ ऐ ठरैकि
ना ऐ पिछने तू इन पिठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि


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मायाजाळ
« Reply #3469 on: January 01, 2023, 03:20:09 PM »
मायाजाळ

सब्यू  ते .....  ते यख
लाइक ,कमेन्ट...  शेयर चैन्दु
यूँ  रगरायाट अंख्यूं  ते
क न  यु सुख चैन  चैन्दु
सब्यू  ते .....  ते यख

स्वप्नयाळी आँखि थक गैनी
जग्वाळ  देख कैरी कैरी
क्वी त  होलो दगड़्या बिन पड़ी
लाइक ,कमेन्ट...  शेयर करलू ..... हरी हरी
सब्यू  ते .....  ते यख

बडू  टैम  ह्वैगे
कैल  बि वै  पोस्ट ते ख्वगेल ना
निराशा व्हाई क्वी बी ऐना
ऐना  दिख्या  ग्याई मि भिर-भिराट  कैरि
सब्यू  ते .....  ते यख

अप्डू  सुख  अफ दगडी हि  छा
मिल वै  ते  खोजी भैर  भैर
अब बी  नि  व्हाई  देर
झट स्वप्नियु  मा  ख्वै जै कैर अप्डी ..... केयर
सब्यू  ते .....  ते यख

बालकृष्ण डी ध्यानी
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