Dosto,
You will read here beautiful Garhwali poems written by
By Harish Chamoli.
*घर पर रैयाँ*
सुणि छ मैन,भैर डार चली।
कोरोना कि देशुमा,मार चली।
खाणी कामणि,सबुकी छुटी,
कोरोना की कनि,कपाली फुटि।
भैर फणकु ,कुछभि न खैयाँ।
अर तुम अपड़ा,घर पर रैयाँ।
सरकार कु,आदेश मान्यां।
घर सी भैर, कतै न जैयाँ।
मजबूरी मा,लाचारी आलि,
खाण-पेण की,कमि राली।
रोठि चटणि सी,काम चलैयाँ।
अर तुम अपड़ा, घर पर रैयाँ।
साफ-सफै घर,फणु राखिकि।
बाड़ी-सग्वाड़ि कि,भुज्जी खैकि
बुढ़-बुढ्यों कि,सेवा करयांन।
बाल-बच्चों कु भी,ध्यान रख्यांन।
यीं घड़ी मा जरा,कठिनै खेयाँ।
अर तुम अपड़ा,घर पर रैयाँ।
भौं कैसि जरा,दूरी बणान।
मुख अपडू,ढ़किक रख्यांन।
नहेण-धोयणकु,ध्यान रखीक,
डिटोल लगै तुम,हाथ धोयाँन।
लोण मिलै,गरम पाणी पेयाँ।
अर तुम अपड़ा,घर पर रैयाँ।
कुल देवतों कु,ध्यान धरयाँन।
अपडों की,खबरसार लेयाँन।
जनु भि होलु,बक्त कटी जालु।
खैरी कु दिन भी,मिटी जालु।
लोण पिसिक,रैमोडी खैयाँ।
अर तुम अपड़ा,घर पर रैयाँ।
तीन मई तक,धीरज धरयाँ।
सुक्यां बण,ह्वे जाला हरयाँ।
बाँज-बुराँसु कु,पाणी पीकि,
दुनियाँ कि खैरी,लेंदी रैईयाँ।
जनि भी खेयाँ,पर खेई देयाँ।
अर तुम अपड़ा,घर पर रैयाँ।
मोदी जी जब,टीवी पर आला।
खुश खबरी भी, गैली ल्याला।
सभी मनख्यों कि,खुशी लौटैकि,
सैडा देश कि, विपदा हटाला।
घर मा समाचार,सुण्दी रैयाँ।
अर तुम अपड़ा,घर पर रैयाँ।
-हरीश चमोली
चम्बा,टिहरी गढ़वाल
उत्तराखंड
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M S Mehta