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भरत नाट्य शास्त्र का गढवाली अनुवाद , Garhwali Translation of Bharata Natya Shast
Bhishma Kukreti:
करुण रसो अभिनय: / करुण रस स्वांग(अभिनय)
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय - 6: रस व भाव समीक्षा -13
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद – भीष्म कुकरेती
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सस्वनरुदतैर्मोहागमैश्च परिदेवितैर्विलपितैश्च ।
अभिनय: करुणरसो देहायसाभिघातैश्च ।।
(6 ,63 )
करुण रसम स्वगत रूण , मूर्छना, भाग्य तैं कुसण, अन्तरविलाप, , सरैल तैं पटकण , पिटण, भ्यूं पोड़न आदि से स्वांग (अभिनय ) करे जांद
भरत नाट्य शास्त्र अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य -शास्त्रौ शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
gdhwali m any ras va bhavon ki vyakhya bhol holi
Bhishma Kukreti:
श्रृंगार रस अभिनय
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय - 6: रस व भाव समीक्षा - 11
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद – भीष्म कुकरेती
नयनवदनप्रसादै: स्मितमधुरवचोधृतिप्रमोदैश्च I
मुधुरैश्चांगविहारैस्तस्यभिनय: प्रयोक्तव्य: II (6,48)
श्रृंगार रसौ अभिनय आंख्युंम अर मुखम प्रसन्नता से , स्मित मधुर बचन बोलिक, संतोष अर प्रमोद से अर शरीरांगों लालित्यपूर्ण मधुर रूप से चलाण/संचालन द्वारा करण चयेंद I
अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ अनुवाद शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
Bhishma Kukreti:
अथ रौद्रौ अभिनय
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय - 6: रस व भाव समीक्षा -14
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद शास्त्री – भीष्म कुकरेती
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नानाप्रहारणमोक्षै: शिर:कबंधभुजकर्तनैश्चैव।
एभिश्चार्थविशेषैरस्याभिनय: प्रयुक्तव्य: । ।
रौद्र रसौ अभिनय (स्वांग) बनि बनि प्रकारौ को प्रयोग करण , मुंड , गौळ , पुटुक , बौंळ आदि कटण द्वारा सम्पन हूंद।
भरत नाट्य शास्त्र अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
Bhishma Kukreti:
हास्य रस अभिनय
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय - 6: रस व भाव समीक्षा - 12
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद – भीष्म कुकरेती
विकृताचारैर्वाक्यैरङ्गविकारैश्च।
हासयति जनं यस्मात्तस्माज्ज्ञेयो रासो हास्य: II
हास्यौ अभिनय (पाठ खिलण ) असंगत चेष्टाओं , उल्टी सीधी छ्वीं करिक अर उटपटांग लारा पैरिक जान क्रियाओं से करे जांद I
अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ अनुवाद शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
Bhishma Kukreti:
वीर रसो अभिनय:वीर रसौ अभिनय
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय - 6: रस व भाव समीक्षा भाग -13
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद शास्त्री – भीष्म कुकरेती
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स्तिथिधैर्यवीर्यगवैंर्रूत्साहपराक्रमप्रभावैश्व।
वाक्यैश्वाक्षेपकृतैवीर्रस: सम्यगभिनेय।। ।6. 68।
वीर रसौ अभिनय स्थिरता , धैर्य, ऊर्जापूर्ण, गर्व , उछाह, पराक्रम , प्रभावपूर्ण वाणी अर साहसिक कार्जों द्वारा करण चयेंद।
भरत नाट्य शास्त्र अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
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