उन्माद भाव अभिनय: उन्माद भावौ पाठ खिलण
गढवाल म खिल्यां नाटक आधारित उदाहरण
Performing Insanity Sentiment in Garhwali Dramas
( इरानी , अरबी शब्दों क वर्जन प्रयत्न )
भरत नाट्य शास्त्र अध्याय - 6, 7 का : रस व भाव समीक्षा - 56
s = आधी अ
भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद आचार्य – भीष्म कुकरेती
ततनिमित्तहसितरुदितोत्क्रुष्टासंबद्धप्रलापशयितोपविष्टोत्थितश्चेष्टानुकरणादिभिरनुभावैरभिनयेत्।
( ७ , ८३ कु परवर्ती गद्य )
गढ़वाली अनुवाद व व्याख्या - -
अनुवाद -उन्माद (बौळ्याण ) भावौ पाठ खिलणो कुण कबि हंसण , कबि रूण , कबि बैठण , कबि उठण या पौड़ जाण या अंसगत चेष्टा करणो करतब दिखाए जांदन।
व्याख्या - प्रिय जन क वियोग हूण , आकस्मिक कारणों से या द्रिव्य नष्ट हूण पर , चोर या शत्रु आक्रमण हूण पर , कफ , पित्त कुपित हूण पर मनिख कबि कबि बौळ्याण मिसे जांद। या चित्त वृति उन्माद च। इखम मनिख कुछ बि करण लग जांद जन हंसण , चिरड़ेण , कुछ बि निरर्थक बुलण आदि
गढ़वाली म उन्माद भाव उदाहरण -
एक दैं मीन मित्रग्राम (ढांगू , पौड़ी गढ़वाल , उत्तराखंड ) म बादयूं लोक नाटक देखि छौ जखम हीरा बादीन एक मनिखाक पथ खेली छौ जैक चोरी ह्वे अर वै मनिख पर अचाणचक बौळ चढ़ गे। बौळम उ कबि हॅंसो , कबि र् वावो , कबि डाळ म चढ़णो स्वांग कारो तो कबि भागणो स्वांग कारो। उन्माद भावो सुंदर प्रदर्शन छौ।
स्वरूप ढौंडियाल कृत 'मंगतू बौळ्या ' नाटक म तो मुख्य चरित्र मंगतू बौळ्या च अर नाटक म भौत दैं मंगतू व्यवहार म उन्माद भाव दिखाए गेन।
रत नाट्य शास्त्र अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
गढ़वाली काव्य म उन्माद भाव ; गढ़वाली नाटकों म उन्माद भाव ;गढ़वाली गद्य म उन्माद भाव ; गढवाली लोक कथाओं म उन्माद भाव
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