भरत मुनिs सौ नौनुं नाम
भरत नाट्य शाश्त्र अध्याय १ , पद /गद्य भाग २६ बिटेन ४० तक
(पंचों वेद भरत नाट्य शास्त्रौ प्रथम गढवाली अनुवाद)
पंचों वेद भरत नाट्य शास्त्र गढवाली अनुवाद भाग - ८१
s = आधा अ
( ईरानी , इराकी , अरबी शब वर्जित )
गढ़वळि म सर्वाधिक अनुवाद करण वळ अनुवादक आचार्य – भीष्म कुकरेती
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तब मीन बर्मा श्री आज्ञा व मनिखों चाह ध्यान रखि अपण सौ नौनूं तै जो जै लैक छौ वै कार्य पर लगै दे। यूँ सौ नौनुं नाम छन -शांडिल्य , वात्स्य,कोहल , दत्तिल, जटिल, अम्बस्टक , तण्डु , अग्निशिख, सैंधव, पुलोमा, शाडविल, विपुल,कपिञ्जलि, बादरि, यम , धूम्रायण, जम्बूध्वज,काक जंघ , स्वर्णक , तापस, केदार, शालिकर्ण, दीर्घगात्र, शालिक, कौत्स, तांडायनि , पिंगल , चित्रक, बंधुल, भल्लक, मुष्टिक, सेंधवायन, तैतिल, भार्गव , शुचि, बहुल , अबुध,बुद्धसेन, पाण्डुकर्ण, सुकेरल, ऋजुक,मंडक , शंबर, वज्जुल,मागध , सरल , कर्ता, उग्र, तुषार, पार्षद, गौतम , बदरायण, विशाल, शबल , सुनाम , मेष, कालिय, भ्रमर, पीठमुख,मुनि , नखकुट्ट , अश्मकुट्ट , षटपद , उत्तम , पादुक, उपानह, श्रुति , चाषस्वर, अग्निकुंड, आज्यकुंड, वितंड्य , ताण्ड्य,कर्तराक्ष,हिरण्याक्ष,कुशल , दु:सह, जाल , भयानक , वीभत्स, विचक्षण,पुण्डराक्ष ,पुण्ड्रनास,असित , सित, विद्दुज्जिह्व, महाजिह्व, शालंकायन, श्यामायन, माठर, लोहितांग,संवर्तक,पंचशिख,त्रिशिख, शिख,शंखवर्णमुख, षंड , शंकुकर्ण ,शक्रनेमि, गभस्ति, अंशुमालि, शठ, विद्युत्,शांतजंघच ,रौद्र अर वीर। २६ -४० ।
( सौ नाम दीणो विशेष उद्देश्य च। कलाकारों सम्मान दुसर कलाकार की नाट्य कर्म विशेषता नाम से इ बताण - अनुवादक )
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भरत नाट्य शास्त्र अनुवाद , व्याख्या सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती मुम्बई
भरत नाट्य शास्त्रौ शेष भाग अग्वाड़ी अध्यायों मा
भरत नाट्य शास्त्र का प्रथम गढ़वाली अनुवाद , पहली बार गढ़वाली में भरत नाट्य शास्त्र का वास्तविक अनुवाद , First Time Translation of Bharata Natya Shastra in Garhwali , प्रथम बार जसपुर (द्वारीखाल ब्लॉक ) के कुकरेती द्वारा भरत नाट्य शास्त्र का गढ़वाली अनुवाद , डवोली (डबरालः यूं ) के भांजे द्वारा भरत नाट्य शास्त्र का अनुवाद ,