शिरोविरेचन, वमनकारक द्रव्य , दस्त कराणवळ द्रव्य
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
(महर्षि अग्निवेश व दृढ़बल प्रणीत )
खंड - १ सूत्रस्थानम , दूसरो अध्याय श्लोक १ बिटेन 10 - तक
अनुवाद भाग - १९
अनुवादक - भीष्म कुकरेती
( अनुवादम ईरानी , इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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अपामार्ग (लटजीरा , चिरचिटा ) का बीजों तैं बूसो /छुक्य्ल रहित कौरि तंडुल बणैक कामम लाण चयेंद। यी बताणो कुण 'अपामार्ग-तण्डुलीय' अध्याय च। यु भगवान आत्रेय बुल्युं च। १ , २
अपमार्गौ तंडुल (चौंळ ). पिप्पली/लौंग, काळी मर्च, वायडिंग, संहजना क बीज , सफेद राई (सरसों ) क बीज , तेजवल का बीज , जीरु , अजमोदा /तिलवन , पीलू , छुटि इलैची , मेंहदी बीज , कळौंजी , काळि तुलसी , अपराजिता, कुठेरक/स्ग्वेट तुलसी , फणिजक (तुलसी भेद ), सिरस बीज , ल्यासण , हल्दी अर दारुहल्दी/किनग्वड़ , द्वीइ लूण ( सैंधव अर सौंवर्चल ), मालकंगनी , अर सोंठ (अदरक सुख्यूं ), यी शिरोविरेचन कुण उपयोगम लाण चयेंद।
श्वेता (अपराजिता ) अर ज्योतिष्मती द्वी मूलनि वर्ग की औषधि छन। यूंको मूल इ ग्रहण करण चयेंद अर अपामार्ग क तंडुल उपयोग म लाण चयेंद ।
शिर-शूल (सर भारीपन ) , मुंड दुखणम , नाक बिटेन दुर्गन्धयुक्त सींप आण , कफ आण , अधकपाळी हो , कृमिव्याधि, मिर्गी म , गंध वास नाश हूणम ,अर प्रमोहक/मूर्छा हूण जन रोगों म शिरोविरेचन क रूपम प्रयोग करण चयेंद। ३ -६
वमन कर्क द्रव्य -
मदन (मैंनफल, करहर ), मधुक /मुलेठी , नीमौ बक्कल , कड़ी तुरई , कड़ु तुम्बा , पिप्पली , कुट्ज , कड़ु घिया (इक्ष्वाकु ), छुटि इलैची , कड़ी तुलीण चयेंद। नीम क बक्कल रई , यी दस वस्तु कफ -पित जन्य व्याधि या आमाशय म पीड़ा , शरीर तै बिना पीड़ा दियां बिन वैद्य वमन /उल्टी करणो दे द्यावो।
यूं मध्ये मदन , मधुक , जीमूत , कृतवेधन ,कुट्ज , इक्ष्वाकु , कड़ी तुरई का फल लीण चयेंद अर पिप्पली व इलैची का बि फल लीण चयेंद , नीमक बक्कल लीण चयेंद। ७, ८
विरेचन/दस्त लाण वळ द्रव्य -
त्रिवित (निशोथ ), त्रिफला (हरड़ , बयड़ अर औंळा ), दंति (जमालगोटा ), नीलनी/नील मूल ,सप्तला (शिकाकाई ), वच , कम्पिल्लक , इंद्रायण , हिरवी , छुट करंज , पीलू फल , अमलतास , बड़ो जमालगोटा,निचुल फल , यूं वस्तुओं तै दोष पक्क्वाशय म हूण पर दीण चयेंद (बाकी स्थान म हो तो ना )
यूं मध्ये त्रिवृत , नागदंति , सप्तला , क्षीरणी /हिरवी अर , बड़ो जमालगोटा मूल लीण चयेंद छन , नीलनि व वच बि मूल उपयोग करण चयेंद। शेषों म फलों उपयोग करण चयेंद। ९ , १०
सावधान - कृपया पढ़िक अफु वैद नि बणन अपितु वीडी म जाण ही चयेंद
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2021
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
शिरोविरेचन, वमनकारक द्रव्य , दस्त कराणवळ द्रव्य , चरक संहिता में - शिरोविरेचन, वमनकारक द्रव्य , दस्त कराणवळ द्रव्य
चरक संहिता कु एकमात्र विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता क गढवाली अनुवाद
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