कोढ़ , दाद , खज्जि , फुन्सियों आदि कुण औषधि
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
(महर्षि अग्निवेश व दृढ़बल प्रणीत )
खंड - १ सूत्रस्थानम , तीसरो अध्याय / आरग्वधीय अध्याय, ८ बिटेन - १७ तक
अनुवाद भाग - २४
अनुवादक - भीष्म कुकरेती
( अनुवादम ईरानी , इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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कूठ , दारू हल्दी -हल्दी , तुलसी , प्रबल /लमिंड, नीम पत्ता , अश्वगंधा, देवदारु, सहजन, सफेद राई , धनिया, कैवर्त्त मुस्ता , चोरक यूं 15 औषधियों तैं सामान परिमाण म चूरा क्रीक मिलाण चयेंद। पुनः ये मिश्रित चूरा तै छल म पीसिक सरैल पर लगाण चयेंद। उबटन से पािल सरैल पर तेल लगाण। ये उबटन से खज्जि , छुटि छुटि फुंसी , नि दबण वळ फुन्सी , कोढ़ , सूजन आदि नष्ट ह्वे जांदन। ८, ९
कूठ , गिलोय , नीला थोता , दारू हल्दी , कशिश , कमीला , नागर मोथा , पठानी लोध , कल्हार पुष्प , राल , मैनशिल , हरताल , कनेर छल , यूं १४ /चौदह औषधियों चूर्ण तैं सरैल पर घुषणो दीण चयेंद। घुसण से पािल तेल मालिश आवश्यक च। यांसे दाद , खाज , कोढ़ , किटिभ /जूं , कोढ़ , पामा विसर्प , विचर्चिका, स्राव युक्त फुन्सी , नष्ट ह्वे जांदन। १०, ११
मनशिल , हरताल , मरिच , लया तेल , आक को दूध , मिलैक लेप लगाण से कोढ़ समाप्त हूंद। िखम सब कुछ मिश्रण आक को दूध म हूंद ना कि पाणि म । नीला थोता , विडंग ,काळी मरिच , कूठ , पठानी लोध , मनशिल , का चूर्ण तेन आक का दूध म मिलैक लगाण चयेंद। १२
रसौंत , पनवाड़ बीज , यूँ तै कैथ का पत्तों रसौ दगड़ मिलैक लगाण से कोढ़ नष्ट हूंद। पाणि नि मिलाण। नाटो करंज बीज, चक्रमर्द , अर कूट तै गोमूत्र म मिलैक कोढ़ रोग मुक्त हुए जांद। । १३
हल्दी -दारु हल्दी , कुट्ज बीज , करंज बीज , चमेली कुंगळ पत्ता , कनेर की भितरौ बक्कल , टिल नाल भष्म , लगाण से कोढ़ मिटदो। १४
मनशिल , कुट्ज छल , कूट , जटामांसी , चक्रमर्द , करंज , भोजपत्र ै गाँठ , कनेर मूल, यी आठों द्रवों तैं द्वि द्वि तोला लेकि तुषोदक एक आढ़क अर धाक जळाण से उतपन्न रस एक ाधक (8 सेर ) पाक करण चयेंद। पाक इथगा तक करण चयेंद कि कड़छी पर चिपकण लग जाव। ये द्रव कु लेप से कोढ़ नष्ट हूंद। १५ , १६
अमलतासौ पत्ता , मकोय पत्ता , कनेर पत्तों छल , पीसिक लेप तै सरैल पर घूसिक कुष्ठ रोग नष्ट हूंद। १७
*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2021
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