बल वर्धक, कंठ स्वर निदान , बबासीर नाशी आदि क्वाथ पादप
चरक संहितौ सर्व प्रथम गढ़वळि अनुवाद
(महर्षि अग्निवेश व दृढ़बल प्रणीत )
खंड - १ सूत्रस्थानम , चौथो अध्याय (षडविरेचन ) , कषाय अध्याय
अनुवाद भाग - 31
अनुवादक - भीष्म कुकरेती
( अनुवादम ईरानी , इराकी अरबी शब्दों वर्जणो पुठ्याजोर )
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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एन्द्री, कौंच,शतावरी,माषपर्णी, विदारी,अश्वगंधा,शालपर्णी, कटुकी, खरैंटी, पीतबला ये दस बल वर्धक हैं II7 II
लालचन्दन,लाल नागकेशर, पद्मक, खस,मुलैठी,मंजीठ,अनंतमूल,विदारीकंद, सिता(सफेद दूब),प्रियंगु, यी दस वर्ण्यछन अर्थात वर्ण बढ़ान्दनI I ८II
अनंतमूल,गन्नामूल,मुलैठी,पिप्पली,किशमिश,विदारीकंद,नीम,ब्राह्मी,बड़ीकटेरी,छोटीकटेरी, यी दस कंठस्वर’ कुण हितकारी छन II९II
आम,अम्बाडा,डहु/बडहल,करंज,इमली,अम्लवेतस,बड़ोबेर,केर,दलिम,बिजौरा, यी दस ‘हृद्य’ अर्थात हृदय कुण हितकारी छन II१०II
यूँ चारुं से बणयूँ क्षय वर्ग ch II [२] II
सोंठ, चित्रक, चविका,विडंग,मोरवेल,गिलोय,वच,नागरमोथा,पिप्पली,परबल यी दस त्रिप्तिघ्न छन अर्थात श्लेष्माजनित तृप्ति नाश करदन II११II
कुटज,बेलगिरी,चित्रक,सोंठ, अतीस, बड़ीहरड़,धमासा,दारुहल्दी,वच,चविका यी दस औषधि अशोघ्न अर्थात बवाशीरनाशी छन II१२ II
खैर,जंगीहरड़,औंला,हल्दी,अरुष्कर,सातवन,अमलतास, कनेर,विडग,अरचमेली कौंळ पत्ता यी दस कोढ़नाशौ कुण हितकारी हून्दं II १३II .
लालचन्दन, जटामासी,अमलतास,करंज,नीमपत्ता,कुटज बक्कल,राई /सरसों,मुलैठी,दारु हल्दी (किनगोड़ा अर नागरमोथा कंडूघ्न अर्थात ख्ज्जीनाशी छन II१४II
सहजनकाळीमर्च,जिमीकंद,केबुक,विडंग,निर्गुन्डी,अपामार्ग,गोखरू,वृषपर्णी,मूसाकानी,यी दस कृमिनाशी छन II१५II
हल्दी,मंजीठ,निशोथ,छुटि इलैची,काळीनिशोथ, लालचन्दन, निर्मली फल (जल शोधक रूपम),सिरस,निर्गुन्डी,लसोड़ा, विषनाशी (विषघ्न ) छन II१६II
यी छ कषायवर्ग II[३[ II
*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2021
शेष अग्वाड़ी फाड़ीम
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