Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 26036 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 21 at 9:39pm · Delhi 

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-

किसी के विषय में राय बनाने से पहले उसे जानना और पहचानना जरूरी होता है,
जल्दबाजी में लिया गया हर फ़ैसला न तो कभी परिपक्व और न ही सही होता हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
January 13 at 7:28pm · Delhi · Edited ·

मेरी कलम से©jaiprakashdangwal:-

नाराजगी ठीक है लेकिन हर सफे से मेरा नाम मिटा देना ठीक नहीं,
आज तेरी किताब में अपना नाम ढूँढने लगा, तो कहीं मिला ही नहीं.

हर सफा जिसमें मेरा नाम था, उसे फाड़ कर फेंक दिया है तूने कहीं,
लेकिन एक सफा है, जिसमें कि आज भी, मेरा नाम है कहीं न कहीं.

तुम चाहो तो उसे भी फाड़ देना, वादा है मेरा मुझे कोई ऐतराज नहीं,
लेकिन शर्त ये है कि वह् सफा, ख़ुद तुझे ढूँढना होगा किताब में कहीं.

इस बहाने भूलकर भी मेरा नाम ढूँढने तक, तेरे जहन में रहूँगा कहीं,
नाराजगी होती है इस हद तक नहीं, नफरत भी छूट जाए पीछे कहीं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
1 hr · Delhi · Edited ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-

तुझे सताने का जान बूझ कर मेरा, क़तई कोई मक़सद नहीं है,
मुहब्बत पगला गई है, उसे संजीदगी से लेने की जरूरत नहीं है.

कभी भी मुहब्बत की तपिश लेकिन जहान में कम नहीं होती है,
वह् कल थी, आज है, कल भी रहेगी, वह् तो सदा बहार होती है.

मुहब्बत में, पतंगों के जलने की, मुहब्बत ने, कब फिकर की है,
वह तो, लम्बे अरसे से, जल रहे हैं, जलना उनकी फितरत में है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
1 hr · Delhi · Edited ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-

तुझे सताने का जान बूझ कर मेरा, क़तई कोई मक़सद नहीं है,
मुहब्बत पगला गई है, उसे संजीदगी से लेने की जरूरत नहीं है.

कभी भी मुहब्बत की तपिश लेकिन जहान में कम नहीं होती है,
वह् कल थी, आज है, कल भी रहेगी, वह् तो सदा बहार होती है.

मुहब्बत में, पतंगों के जलने की, मुहब्बत ने, कब फिकर की है,
वह तो, लम्बे अरसे से, जल रहे हैं, जलना उनकी फितरत में है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 

What I feel from my pen©jaiprakashdangwal: We are are passengers of life journey, some times with family, some times with friends and sometimes with strangers.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 24 at 8:55am · 

प्रेम के अनमोल बोल©जय प्रकाश डंगवाल:-

दे दे सजा जो चाहे तू, मगर मुझसे रूठने की सजा मुझको मत देना,
दे दे सजा, जो सजा चाहे, मुझे भूल जाने की सजा मुझको मत देना.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 24 at 4:20am ·

प्रेम के अनमोल बोल:-
कुछ न होते हुए भी मेरे पास, तेरा दिन मेरा है, तेरी रात मेरी है,
बड़ा सकूँ मिला यह जानकर तू मेरी है और मेरी हर साँस तेरी है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 23 at 8:22am ·

What I feel: We all must remember one thing... Instead of becoming sad and shedding tears on some ones pathetic life pray to God to help and do whatever good you can do for their betterment by exchanging your love for the person and by your concern for the person.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 22 at 9:52pm ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-

रोते रहने से ज़ख्म, और गहरे हो जाते हैं,
खुश रहने से, ज़ख्म धीरे धीरे भर जाते हैं.

ग़मों को जो लोग मुस्कुराकर भूल जाते हैं,
जिंदगी जीने का लुफ्त, वही लोग उठाते हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
February 22 at 9:36am · Delhi · Edited ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-

तुझे सताने का जान बूझ कर मेरा, क़तई कोई मक़सद नहीं है,
मुहब्बत पगला गई है, उसे संजीदगी से लेने की जरूरत नहीं है.

कभी भी मुहब्बत की तपिश लेकिन जहान में कम नहीं होती है,
वह् कल थी, आज है, कल भी रहेगी, वह् तो सदा बहार होती है.

मुहब्बत में, पतंगों के जलने की, मुहब्बत ने, कब फिकर की है,
वह तो, लम्बे अरसे से, जल रहे हैं, जलना उनकी फितरत में है.

 

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