"हलिये द्वारा बैलो को सकेँतो का अध्याय"
ह पाण पाण- बैलो को पानी पीने का सकेँत
रौअ.... अ- बैलो को रोकने का सकेँत ( प्रोफ्सिनल हलिये बैलो को रोकने के लिऐ अन्य प्रकार कि आवाज निकालते है जिसे लिखना थोडा मुश्किल है पर उनकी प्रकिया कुछ युँ "होठो को दाँतो के बीच रख कर अन्दर को
जोर से साँस लिना जिससे पतली सी ध्वनि निकलती है जिसके सकेँत माञ से बैल रुक जाते है)
हअ... बँल्दा हअ- बैलो को चलने का सकेँत
हअ... कई, हअ... खैरु- बैलो के नाम से सकेँत देना
ह ईजाँऊ- बैलो को मिनाँऊ ( निचे के तरफ) के तरफ हल मे चलने का सकेँत (इस सकेँत का प्रयोग ईजाँऊ तरफ हल लगाने मे किया जाता है)
ह कनाँऊ- बैलो को भिड (ऊपर के तरफ) के तरफ हल मे चलने का सकेँत (इस सकेँत का प्रयोग कनाँऊ तरफ हल लगाने मे किया जाता है)
ह... तल, ह... मल- बैलो को हल मे ऊपर या निचे चलने का सकेँत
ह सिख बँल्दा- बैलो को बाँयै (हल लगे हुऐ ) हुऐ सिखोँ के समान्तर चलने का सकेँत (ताकि खेत मे बिरौड ना छोटे)
ह डुक डुक- मल ईजाँऊ से तल ईजाँऊ मे हल चलाते समय उस कोने को निकालने के लिऐ हलका सा गोलाकार हल लगाने के लिऐ बैलो को सकेँत, इस सकेँत का प्रयोग भीड तरफ से ईजाँऊ तरफ हल लगाते समय भी दिया जाता है यदि कोई कोना हो तो, और ग्रेहु के फसल के समय मौय लगाने मे इस सकेँत का प्रयोग अधिक होता है (ये सकेँत मूलत: खेत के कोनोँ मे हल लगाते समय दिया जाता है)
इस प्रकार हल चलाते समय हलिया चिगाँण भी हो जाता है तो बैलो को सिखौड मारते हुऐ "भ्यौणड पडि बल्द" कह के भी चेतावनी दार सकेँत देता है
सिखौड से सकेँत व बैलो के पुछँड अमौर के सकेँत भी हलिये द्वारा बैलो को दिया जाता है
बैल भी चिगाँण और हलिया भी चिगाँण पर ये सकेँत एक दुसरो कि मुश्किले कम कर देते है
"इसि लिऐ एक बेहतरिण हलिया हमेशा मार के विपरित हाँक से बैलो को अपने काबुँ मे रखते हुऐ हल लगाता"
http://phadikavitablog.wordpress.comलेख-सुन्दर कबडोला
गलेई- बागेश्वर- उत्तराँखण्ड