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Kumaoni Poems By Naarayan Singh Bisht-नारायण सिंह बिष्ट जी की कुमाऊंनी कवितायें
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Devbhoomi,Uttarakhand:
दोस्तों, इस संग्रह में आप पढेंगे नारायण सिंह बिष्ट जी की कुछ कुमाउंनी कवितायेँ, नारायण बिष्ट जी का जन्म १९६६ में जनपद अल्मोड़ा में हुआ था और बिष्ट जी की कविताओं का संग्रह "गौं वालो चिठ्ठी लेखिया" का रचना-संसार इजा-बाबू,चेली-बेटी आदि से प्रारम्भ होकर गाँव की सामाजिक तथा आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक वस्तुस्थितियों के इर्द-गिर्द घूमता है।
जहां कवि की दृष्टि आस-पास के उन पहलुओं पर ज्यादा टिकी है जिन्हें देखकर भी लोग प्रायः अनदेखा करते हैं, यही कारण है की कवि सामाजिक विसंगतियों से उत्पन्न जटिलताओं से दो-चार होते हैं और अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को अपने पाठकों के साथ बांटना चाहते हैं और उन्हें विश्वास में लेकर सही को सही या गलत को गलत मनवाना चाहते हैं। अगर आपको भी इनकी कुछ कवितायें याद हों, तो यहाँ पोस्ट करें।
पैसे-पैसे जाग हो मैसा लिजी हो पैंस
मैस मैस जाग हो पैंसा लिजी न्हें मैंस
एम०एस० जाखी
Devbhoomi,Uttarakhand:
नारायण जी की पहली कविता "इजो सरसोति"
इजू म्यार लागै दिए ध्यान
करुलू में तयार गुण-गान
छै हैरान आज सार दूणी
दया तेरी काम यती हूनी
मान ध्यान जब तयार इजू
उपजों छ ज्ञान तब इजू
कुबुधि कें बुधी एं छ इजू
निर्बल में बल ओं छ इजू
पूज करी लागे तेरो ध्यान
यार रूप यति जतु छन
यों छ दूणी साड़ी उतू छन
सरसोति छै ज्ञाने की देवी
हैं छ ईजू यों ज्ञाने ला नेकी
तेरी किर्पा ज्ञानेक भकार
आज ईजू ज्ञाने संसार
नाम त्यार कलम जपैं छ
हाल चाल दुनिया लेखों छ
आज यति विन्ती मेरी
त्वेहूँ ईजा लाज धरै मेरी
जाति ईजा होली गलती मैं हैं
उती ईजा बाट देखे मैं कें
हाथ जोड़ी धरु ईजा ध्यान
ईजू म्यार लगै दिए ध्यान
Devbhoomi,Uttarakhand:
नारायण जी की दूसरी कविता उन्होंने अपने पिताजी जन्म वर्ष १९२६ की यादगार में ये कविता लिखी है
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बाबुकि की याद
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बाबू आब तुमेरी याँ यादै याद छन
मन म्यर तुमनौ, याँ बातें -बात छन !!
कौंछिया तुम मैं धीं तू करम करिए
छिं घिणिक काम में तू शरम करिए
पैंस एजा जेब में पैसैंल के करलें
जिंदगी भै सेंफ नैं एसैल के करले
पैंस -पैंस जाग हो मैसा लिजी हों पैंस
मैंस-मैंस जाग हो पैंसा लिजी न्हें मैंस
च्याला यो संसार छ भली लगायो मन
बाबू आब तुमेरी याँ यादे याद छन
तूमौल कौछी मैं घे या आपण आप न्हें
जा बचों बेक़सूर झूठी बुले पाप न्हें
खुलास करी दिए बाद में सजा न हवा
अकल बंदी काम त्यार पालो के नि जा
जाति मुर्ग नि हुन रात वा लै ब्ये जैंछ
जाति बात नि हेरे बात वाले है जैंछ
Devbhoomi,Uttarakhand:
ईजक संसार
भै ईज संसार हो !
ईज भै तयार हों,ईज क संसार हो !
दुःख में पूछै ईज
भूख में पूछै ईज
तू के खाले कै ईज
तू काँ जालै कें ईज
गर्व में पावें ईज
दुःख कै टावै ईज
जो जाणों ईज कणी,ईज घर द्वार हों
नानों गू कै ध्वे ईज
मुतैल भीजै ईज
भौ कणी नवै ईज
तेल चपौड़े ईज
भल कें बतें ईज
नक कें भुलें ईज
सबने भली ईज
ईज हरिद्वार हों
कतुक ठेलें ईज
कतुक बतें ईज
आदू पेट खें ईज
आदुक बचें ईज
ओलाद कणी ईज
कै भल मानें ईज
ओलाद लिजी वीहों
कतुक जंजाल हों
भै इज्ज संसार हों
Devbhoomi,Uttarakhand:
गौं वालो चिठ्ठी लखिया
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गौं वालो चिठ्ठी लखिया मैं तुमार गौं में ओंल !
समश्या लेखि त दिया मैं सरकार तैं कौल !!
को जिल छ को बीलौक के नौं तुमौर गौंक छ !
जे हैं गैंछ छोडो गल्ती सुधारनौक मौक छ !!
नाने राज्य नाने जिल नान-नाने बीलौक छ !
नानि-नानि गल्ती कैंलें सुधारनौक मौक छ !!
यो लें चा सुधरौ पैली जो जती लैगलत छ !
आजि लै निचाना सबै यो बात लै अलग छ !!
जब हवौला आशावादी बणी जाला सत्यवादी !
सारि बात लेखि दिया मैं यो कलमैल कौंल
गौं वालो चिठ्ठी लखिया !!!
गौंकि फसल पानिकी हाल के छन लखिया !
इस्कूल जाणी नानौक हालत कैंलें लखिया !!
भैस बीज या खादेक सब्सीडी कैंलें देखिया !
बाट और बिजूलिकी हालत कैन ले लखिया !!
पाणि स्रोत कतु छन छ न्हें त पाणि देखिया !
जो बात नैं गै शासन छ अनजाणी लखिया !!
मैं क्व़े ठुल नेता न्हें त्युं कलमौक सिपाई छूं !
तबै कौनुं मैं हु लेखौ मैं तुमेरी बात कौंल !!
गौं वालो चित्त लखिया ....................
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