गढ़वाली व्यंजन / कुमाउनी व्यंजन / हिमालय के व्यंजन
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गढ़वाली व्यंजन / कुमाउनी व्यंजन / हिमालय के व्यंजन
हरीश जुयाल (बदलपुर , गढ़वाल )
किसिम - किसिम का गढ़वळी व्यंजन
जुयाल़ा घरम आज प्क्याँ छन
आवा भैजी आवा जी
जु बि तुमर ज्यू ब्वनू च
कीटि -कीटि क खावा जी
दस भेली की सूजी खैन्डी च . छै नाल़ी क खुसका पक्युं
दल्यां चणो की दाळ धरीं च पुवौं न पुरो बिठलु भर्युं
भूड़ा -पक्वड़ा स्वाल़ा अरसा , लड्डू -पूरी , लगुड़ा -पटुड़ा
दड़बड़ी खिचड़ी, सड़बडु छ्न्च्या , चुनमंडो कु तौल धरयुं
आ ए दीदी , आ ए भुली , तु बि आ ए बौ ...
उड़द रयाँसू की दाळ पकीं च डिगचा धरयां छन छवाड़ मा
बासमती का चौंळ पकैकी तौला धरयां छन प्व़ार मा
लमींडा/ चचिंडा . ग्वदडि , छीमी , भिन्डी , लिंगुडा, खुन्तडा अर अचार
राई , मूल़ा, टुकुल, की भुजी तुमारो गिच्चाऊ खुण कर्युं ठुंगार
आ बोडी, आ काकी, आ मेरी समदण ...
ग्थ्वणि, फाणु , गिंजडि पकीं चा भदवल़ा छन भोरिक
फरफरी कौणि का भड्डू धरयां छन दाळ पकीं च तोर की
मूल़ा की थिंचवणि , पलिगौ धपड़ी , लया की चटणी , चून कु रोट
ड़्वळणि -झन्गवरु मरसा की भुजी कंड़ळी-बाडि घोट्म घोट
आ ये पौण ...
अल्लू क गुटका , ग्युं क फुल्का , निरपाणि की खीर पकीं
गैथुं का भरवाँ रवटलौं समणि घी की माँणि धरीं
तैडु गीन्ठी क परता भ्र्याँ छन ज्ख्या तुडका मा खूब भूटयां छन
ग्वीराळ , सकीना, बेथु , बसिंगू , बंसकल़ा ल्हेकी छन खुडक्यां
सिंगनि का ग्वबका घन्डाघोर , कुख्ड्या च्यूं का डेग धरयां
तिमला दाणी , खडिका टुक्कू , रौला प्फ्डी की भुजी बणी
टिमाटरूं कु झोंळ बन्यून च तुमारो खातिर झैळ लगीं
आवा कक्या सास जी , बड्या सास जी ...तू बि आ स्याळी जी
पीणा खुणी छांछ धरीं च , छांची मा नौणी गुंद्की घ्वलिँ
चटणा-खुणि आमे चटणि चटपटि, चसचसी , चटणि चिन्नी घ्वलिँ
फल फ्रूट मा लिम्बो क्छ्बोळी , पपीता खावा लूण रल्यूं
गल्ल प्क्याँ छन बेडु तिमला लूण दगड तेल रल्यूं
हैरी कखड़ी मा चिरखा दियां छन , भरवाँ लूण की चटणि पिसीं
हिसर , किन्गोड़ा ,करंडा , बिरन्गुळ, खैणा, हरड़, बयड़, किम्पू
टीपी टीपी तैं ढवकरा भ्र्याँ छन काफुलूं की कंडी भ्वरीन
घिन्घोरा , मेंलु, आडु, आम , औंल़ा, बेर दळम्याँ , बिजवरा
सेब, संतरा, घर्या क्याल़ा धाई लगाणा
आवा भैजी , अव्वा जी
सौंप सुपारी की जगा म्यारा सुप्प भर्याँ छन चूड़ा अर खाजा से
अखोड़ धरयां छन च्यडाउन दगड़म भ्न्ग्जीरो , तिल खूब रल्यां
काल़ा भट्ट का खाजा भुज्याँ छन कौन्यालुं का कुटरा ख्व्ल्याँ
मरसा क खील, ग्युं टाडा , मुगरी भूजिक ड़लुणा भ्रयाँ
छ्युंती म्याला , ब्वदल़ा टीपिक , सुरजा कौंल़ा धरयां तुम खुणि
बात हिटा को गुजारो कर्युं च भ्न्गुला तुमड़ा भ्रयाँ तुम खुणि
किसिम - किसिम का गढ़वळी व्यंजन
जुयाल़ा घरम आज प्क्याँ छन
आवा भैजी आवा जी
जु बि तुमर ज्यू ब्वनू च
कीटि -कीटि क खावा जी
सर्वाधिकार @ हरीश जुयाल, बदलपुर, पौड़ी गढ़वाल , उत्तराखंड २०१०