अनिल सिंह मेहरा कुमाऊंनी
July 4 at 8:44pm ·
आज मित्र ने गांव से कुछ ताजा तस्वीर भैजी ,,,,, देख कर मन हर्षित हो गया ,,,,, कुछ पंक्तिया निकल पडी़ मुख सें ,,,,,,,,
रंगीलो छबीलो म्यर पहाड़
डाना काना यो गौव गाड़
हरी भरी जंगल हरी भरी स्यार
रंगीलो छबीलो म्यर पहाड़ ,,,
सामणी शोभित सुंदर कौसाणी
पिछाली मनमोहक कत्यूर घाटी
ऊचो पिनाथ का डाना ,,
मन हरचूनी पारे पाटि ,,,
सीमा कजूली बगेरी गेवाड़
रंगीलो छबीलो म्यर पहाड़
सुर सुरी बहें बुडसोल की चाल ,,
कति उपराउ कति ढाल ,,
मैस रूनी हसन खेलन
देखनी लैके बादो चाल
सरग पूजी छन मदुसाई पेड़
बगेटो में ओलजी उमरो फेर
ज्वानी बचपन बूडापा देखी
आई ले ठाण है री ठक ठकी बैर ,,,,
कमलेख पाटेई कुड़खेत बज्वाड़
रंगीलो छबीलो म्यर पहाड़ ,,,
धुर मां रक्षक कलविष्ट देव
कर री सबनो में आपणी सेव ,
दुख पीड़ में वी छन सहार
रोट पू में लगे दिनी किनार
डनफाटे मुलकै आपसी प्यार
हरी भरी रै शान्ती बजार
यस जागी ले और नी हूणी
सबको याद रें धैने बुडी़ ,,,
ड्वाबा नौघर सिलवाडी बड़प्यार ,,,
रगीलो छबीलो म्यर पहाड़ ,,,,
डाना काना यो हरी स्यार ,,,
रंगीलो छबीलो म्यर गौ गाड़ ,,,,,
कुंमाऊनी ,,,,,,
(पंक्तियो में बस आपण ईलाक आपु फाटे गौ ,, गाडे नाम मिले रो ,,,,,, बस तुक बंदी लिजी ,,,,,
वरना सुंदर तो आपु पूरा पहाड़ छू ,,, तुलनात्मक भाव नैतन मन मां )