भगवान सिंह जयाड़ा's photo.
भगवान सिंह जयाड़ा
-----सौण की कुरेड़ी------
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डांडी कांठ्यों मां प्यारी कुरेड़ी छैगी ,
झम झम बरखा अब बसगाळ लैगी ,
सूखी धरती माँ अब हरयाली छैगी ,
डाली बुटल्यों मां कन मौल्यार ऐगी ,
कुरेड़ी लौंकणी छ गाड़ गद्न्यों बीच ,
कभी छैं जांदी ऊँची डांड्यों का ऐंच ,
सौंण कुरेड़ी देखि डरदु जिया मेरू ,
डरूदु मन देखि ,बिकराल रूप तेरु ,
पहाड़ का लोगु मां अब दहसत व्हेगी ,
पिछली आपदा कु डर दिलु मां रैगी ,
अबकी ना बरखी यन हे बरखा राणी ,
सभी लोगु लाज राखी और बात माणी ,
ऐंसु बसगाळ यनि अनहोणी ना होऊ ,
पहाड़ मेरा अबकी शुख शान्ति रौऊ ,
देवी देबतौ अब तुम राख्यान ध्यान ,
ये बसगाळ पहाड़ मां शुख शांति रान ,
बिपदा पैली जन अब कभी नि आऊ ,
जन जीवन सदानि यख खुशहाल रौउ ,
डांडी कांठ्यों मां प्यारी कुरेड़ी छैगी ,
झम झम बरखा अब बसगाळ लैगी ,
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द्वारा रचित >भगवान सिंह जयाड़ा
दिनाक >१८/०७/२०१४
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