मी उत्तराखंडी छौ!!!!
उतरायणी, खिचड़ी संग्रांद, घुघ्त्या [ शुभकामना - कुमाऊनी, गढवाली व् हिन्दी में ]
कुमाऊँनी
मकर संग्रांत त्यार देसाकि अलग-अलग जागान मा अलग-अलग नामँले जाणयो जांछ अर अलग-अलग तरीकन है भौत झर-परले मनायो जांछ. या त्यार कै हमर उत्तराखंडाक कुमाऊँ मंडल मा "उतरैणी" क नामले मनूनान् अर गढ़वाल मा येस पूर्वी उत्तर प्रदेशाक जन "खिचड़ी संग्रांत" या स्थानीय नाम "मकरैण" क नामाले मनानान्। कुमाऊँ मा येस "घुघुतिया" ले बुआलनान। यो दिन यक गुड़ मिल आटो है यक खास परकारक पकवान "घुघुत" बणायो जाँछ। यैक कारण ही कुमाऊँ मा मकर संग्रांत कै उतरैणीक दगाड़ घुघुतिया ले ब्वालनान। रात्त ही नारंगी, तलवार, दाड़िमाक फूल, डमरू, जलेबी आकाराक घुघुत, बड़न है बणि माला पैरीबेर छुआट बच्च "काले कौआ काले घुघुतिया माला खाले।" "ले कौवा बड़ा , मुकु दिजा सुनै-को घड़ा।" "ले कौवा तलवार , मुकु दिजा भॉल भॉल परिवार।"आदि कुनान। छत मा कौवा खिन घुघुत राखनान अर उनहै घुघुत खान खिन बुलुनान।
आप सबन कै यस पावन त्यारेकि भौत-भौत सुबकामना!
[अनुवाद - हिमांशु करगेती]
गढवाली
मकर सक्रांति कु त्यौहार देस का अलग अलग जगों मा अलग अलग नामों से जणे जांद अर् अलग अलग तरीका से भोत धूम धाम से मने जांद। ये त्यौहार ते हमर उत्तराखंड क कुमाऊँ मंडल मा "उत्तरायणी" क नाम से मनंदीन। अर् गढ़वाल मा येथे पूर्वी उत्तर प्रदेश को जन "खिचड़ी सग्रांद" या स्थानीय नाम "मकरैण" को नाम से मनंदीन।. कुमाऊँ मा येथे "घुघतिया " बी ब्वल्दीन। येका कारण ही कुमाऊँ मा मकर सक्रांद ते उत्तरायणी को दगड़ी घुघतिया बी ब्वल्दी ये दिन एक खास परकार कु पकवान "घुघुत" बणये जांद।सुबेर ही नारंगी, तलवार, दाड़िम क फूल, डमरू, जलेबी आकारा क घुघुत, बडा बटी बणि माला ते पेरी की छुटट नॉन बाल गंदीन "काले कौआ काले घुघुतिया माला खाले।" "ले कौवा बड़ा , मुकु दिजा सुनै-को घड़ा।" "ले कौवा तलवार , मुकु दिजा भॉल भॉल परिवार।" छत मा कौवों कुण घुघुत रखदिन अर ऊँते घुघुत खाण कु बुलादीन।
आप सब्ब्यों ते ये पावन त्योहारे की हार्दिक सुबकामना छन !
[अनुवाद - निखिल उत्तराखंडी]
हिन्दी
मकर संक्रान्ति का त्यौहार देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नाम, तरीके से और बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्यौहार को हमारे उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में "उत्तरायणी" के नाम से मनाया जाता है तथा गढ़वाल में इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश की तरह "खिचड़ी संक्रान्ति" अथवा 'मकरैण' के नाम से मनाया जाता है। कुमाऊं में यह त्यौहार 'घुघुतिया' के नाम से जाना जाता है। इस दिन गुड़ मिले आटे से एक विशेष प्रकार का व्यंजन 'घुघुत' बनाया जाता है जिस कारण कूमाऊं में मकर संक्रान्ति को ऊत्तरायणी के साथ साथ घुघुतिया के नाम से ज्यादा जाना जाता है। प्रातः ही नारंगी, तलवार, दाड़िम के फूल, डमरु, जलेबी आकार के घुघुत, बड़े से बनी माला पहनकर छोटे बच्चे "काले कौआ काले घुघुतिया माला खाले।" "ले कौवा बड़ा , मुकु दिजा सुनै-को घड़ा।" "ले कौवा तलवार , मुकु दिजा भॉल भॉल परिवार।" आदि कहते हैं। छत में कौओँ के लिए घुघुत रखते हैं और उनको घुघुत खाने के लिए बुलाते हैँ।
आप सभी को इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!