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Poem Written by Harda "Rahi)- हरदा राही की कविताएं
adhikari harish dhoura:
aajkal पहाड़ में कतुवेके लूग भगवानो नाम पर ठगी ले करंग फगी, य कविताक माध्यमल में लोगो के सचेत करउनु , म्यार मकसद केके ठेठ पह्चुं नाहिअते , पहड़ोक भोली भाल जनता के जागरूक करून छू. यदि केके गलत लगी तो वीक लिजी माफ़ी दिदिया................
चाव्गौव्क गुद, मासकं दाडं,
मसक दाडून भेम हराडं,
दाड़ी दिकेहे गन्तु केई
वील क लाफि रो मसान .
जरा सूडो कास छू य मसान,
पाड़ी बिन रारो तिसांड
सात दिनों कोओल करार
न तेरी याक छुटी जाल परांड
काव मॉस काव मुर्गी
काव रंगक ल्याया हिल्वाड
काव-काव काव्हे हुन्द्चें
काव रंगक ल्याया निसाड.
द्वि चार अतेरक गाठी ल्याया
एक ल्याया बौताव सराब
विल्श दाब सिगरेट हुड्चें
नतेरी पूज है जली ख़राब .
हरदा "राही"
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
हरदा बहुत सुंदर... कविता लिखा है आपने ... जारी rakhiyega.
हेम पन्त:
कविता भौत भली लागे... आई लखिया... इंतज़ार रोल...
adhikari harish dhoura:
चेली हगे घर में ,
पड़ी दाड़ा-डाड़.
सास कुने खड्ड हेलो तके,
सोओर कुनो बघे दियो गाड़,
चेली हगे घर में ................
चेली हगे घर में ,
आब क्येक दाव भात ,
मेस कुनो द्वी पैली छन,
आब ख्वार पड़ी गे रात .
चेली हगे घर में ,
हघे गों बखोई सुगबुकाट,
खिमु-खिमुलिक चेली हरे ,
लोगोंक हरो छट पताट.
चेली हगे जाड़ी के जै हगो
जाड़ी हगेओ अभिशाप ,
चेली के छू जरा सुहुंड ल्यो ,
किले कनेछा तुम य पाप .
चेली सानिया चेली सायना,
चेली कल्पना चौहान छू .
चेली लिवेर संसार चली रो ,
चेली कटु महान छू .
"जै भारत जै उत्तराखंड "
हरदा "राही"
adhikari harish dhoura:
शराबी
माल बखोई बुबू वा,
आज हई भे पार्टी.
केके मुख पवु-अद्ध,
केले मुख लगाई भे पूरी बाल्टी.
केके आघिल्बे नुंडे डोई,
केके आघिल्बे प्याजक गाठ,
केके खुट ठाड़ लागी भे
कैले लग्हैभे अग्गास भाट.
सराबक जोरा-जोर हाइभे
सिकारक लुछा-लुछ ,
लड़ेक चुचकार हाइभे
घरपानक नि भे सूझ-बुझ.
हरदा "राही"
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