Uttarakhand > Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य

Poem Written by Harda "Rahi)- हरदा राही की कविताएं

(1/2) > >>

adhikari harish dhoura:
aajkal पहाड़ में कतुवेके लूग भगवानो नाम पर ठगी ले करंग फगी, य कविताक माध्यमल में लोगो के सचेत करउनु , म्यार मकसद केके ठेठ पह्चुं नाहिअते , पहड़ोक भोली भाल जनता के जागरूक करून छू. यदि केके गलत लगी तो वीक  लिजी माफ़ी दिदिया................


चाव्गौव्क गुद, मासकं दाडं,
मसक दाडून भेम हराडं,
दाड़ी दिकेहे गन्तु केई
वील क लाफि रो मसान .


जरा सूडो कास छू य मसान,
पाड़ी बिन रारो तिसांड
सात दिनों कोओल करार
न तेरी याक छुटी जाल परांड


काव मॉस काव मुर्गी
काव रंगक ल्याया  हिल्वाड
काव-काव काव्हे हुन्द्चें
काव रंगक ल्याया निसाड.


द्वि चार अतेरक गाठी ल्याया
एक  ल्याया बौताव सराब
विल्श दाब सिगरेट हुड्चें
नतेरी पूज है जली ख़राब .


                हरदा "राही"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

हरदा बहुत सुंदर... कविता लिखा है आपने ... जारी rakhiyega.


हेम पन्त:
कविता भौत भली लागे... आई लखिया... इंतज़ार रोल...

adhikari harish dhoura:
चेली हगे घर में ,
पड़ी दाड़ा-डाड़.
सास कुने खड्ड हेलो तके,
सोओर कुनो बघे दियो गाड़,
चेली हगे घर में ................

चेली हगे घर में ,
आब क्येक दाव भात ,
मेस कुनो द्वी पैली छन,
आब ख्वार पड़ी गे रात .

चेली हगे घर में ,
हघे गों बखोई सुगबुकाट,
खिमु-खिमुलिक चेली हरे ,
लोगोंक हरो छट पताट.

चेली हगे जाड़ी के जै हगो
जाड़ी हगेओ अभिशाप ,
चेली के छू जरा सुहुंड ल्यो ,
किले कनेछा तुम य पाप .

चेली सानिया चेली सायना,
चेली कल्पना चौहान छू .
चेली लिवेर संसार चली रो ,
चेली कटु महान छू .

"जै भारत  जै उत्तराखंड "

हरदा "राही"

adhikari harish dhoura:
        शराबी
माल बखोई बुबू वा,
आज हई भे पार्टी.
केके मुख पवु-अद्ध,
केले मुख लगाई भे पूरी बाल्टी.

केके आघिल्बे नुंडे डोई,
केके आघिल्बे प्याजक गाठ,
केके खुट ठाड़ लागी भे
कैले लग्हैभे अग्गास भाट.

सराबक जोरा-जोर हाइभे
सिकारक लुछा-लुछ ,
लड़ेक चुचकार हाइभे
घरपानक नि भे सूझ-बुझ.


     हरदा "राही"



Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version