(इस तरहै होगा विकास)
ऐंसे नही, होगा विकास,
जैसे हो रहा, है विकास।
जिस दिन मिटेगा,
तेरा-मेरा भाव ह्रदॅय से,
उस दिन होगा सबका विकास।
कैसे नही होगा विकास,
तुम भी करो, मै भी करूंगा,
जब सब करंगे, तभी होगा विकास।
संकल्प लो, विश्वास जगाओ,
संयुक्त हो हर, घर परिवार,
टूटकर पुनः जुडता नही कुछ भी,
जुड भी जाये तो, गांठ पर गांठ।
पारदर्शिता हो मुख्य आधार,
हर दिन होगा, जीर्णोधार।
देव भुमी की पावन धरती पर,
फिर पवॅतीय, खेत लहरायेगे,
कोयल मिठी बोल, सुनायेगी।
कफुवा गद-गद होकर, खत-खतायेगा।
घुघुती फिर से, विरह के राग छेडेगी,
पलायन अपनी, जडो़ की ओर लौटेगा।
पुन: करंगे, उजडे, घरो का शिलान्यास।
इस तरहै होगा हमारे, पहाड़ो का विकास।
स्वरचित 16-03-2010